- Bmc Election: मुंबई उच्च न्यायालय द्वारा 227 वार्डो के अनुसार चुनाव कराए जाने का निर्देश।
- राज्य सरकार में तख्ता पलट के कारण खटाई में पड़ गया मनपा चुनाव।
- मनपा में निर्वाचित नगरसेवकों का कार्यकाल 7 मार्च को समाप्त। समस्त कार्यभार जा चुका है आयुक्त,प्रशासक के हाथों में।
- नजर नहीं आ रही निकट भविष्य में मनपा चुनाव की प्रक्रिया की संभावना।
- नौकरशाहों की छत्र छाया में मनपा प्रशासन
सुरेंद्र राजभर
मुंबई- बृहन्मुंबई महानगर पालिका का चुनाव (BMC Election) एक लंबे अर्से से प्रतीक्षित रहा है, जो महाविकास अघाड़ी की नीतियों के चलते रखड गया, जब तत्कालीन आघाड़ी सरकार ने बढ़ती जनसंख्या का हवाला देकर मनपा के 227 वार्डो का परिशिमन कर नौ नए वार्डो के साथ 236 वार्डो का निर्धारण कर दिया था। वर्तमान में शिवसेना और भाजपा की सरकार में वार्डो को बढ़ाया जाना उचित नहीं समझा साथ ही बॉम्बे हाई कोर्ट में अपील कर दी थी। जिस पर सुनवाई करते हुए मा.उच्च न्यायालय पूर्ववत 227 वार्डो के आधार पर ही चुनाव कराने का आदेश जारी करते हुए शीघ्र चुनाव कराने को कहा है।
BMC Election
आप को बता दें, कि मुंबई मनपा में एक लंबे अर्से से 227 वार्डो पर ही चुनाव कराया जाता रहा है। मा.सर्वोच्च न्यायालय ने राज्य की उन सभी मनपाओं के चुनाव शीघ्र कराएं जाने का आदेश दिया था, किंतु पूर्व राज्य सरकार द्वारा 236 वार्डो के परिसीमन के कारण चुनाव काफी प्रलंबित हो गया था। 31, मई 2022 को ओबीसी आरक्षण की घोषणा न होने के कारण लॉटरी के आधार पर चुनाव प्रक्रिया शुरू की गई थी। ओबीसी आरक्षण का मामला सुलझ जाने के बाद 28 जुलाई 2022 को ओबीसी आरक्षण के साथ लॉटरी निकाल कर आरक्षण निर्धारित किया गया था साथ ही गत अक्टूबर 2022 में चुनाव कराए जाने की संभावना थी।इसी दरम्यान राज्य सरकार में तख्ता पलट के कारण मनपा चुनाव (BMC Election) खटाई में पड़ गया है।
नवीन सरकार ने नौ अतिरिक्त प्रभागों के निर्णय को निरस्त करते हुए, पुनः 227 प्रभागों के परिसीमन की अधिसूचना जारी कर दी, जिसके कारण मनपा चुनाव (BMC Election) प्रलंबित होता चला गया है। शिवसेना के पूर्व नगरसेवक राजू पेडणेकर और एड.सुहास वाडकर ने सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी, जिसकी न्यायमूर्ति. सुनील शुक्रे व न्यायमूर्ति एम.डब्लू. चांदवानी की खंडपीठ के समक्ष सुनवाई हुई। मा.सर्वोच्च न्यायालय ने मा.मुंबई उच्च न्यायालय के निर्णय को उचित ठहराया। उक्त न्यायिक प्रक्रिया में वरिष्ठ विधिवेत्ता अश्पी चिनॉय, एड.देवदत्त आलोदकर सहित राज्य सरकार के पक्ष से वरिष्ठ अधिवक्ता वीरेंद्र सर्राफ व अधिवक्ता सचिंद्र शेटये उपस्थित रहे।
आप को ज्ञातव्य है, कि मनपा में निर्वाचित नगरसेवकों का कार्यकाल 7 मार्च को समाप्त होने के साथ समस्त कार्यभार आयुक्त/प्रशासक के हाथ में जा चुका है। किंतु निकट भविष्य में मनपा चुनाव (BMC Election) की प्रक्रिया की संभावना कहीं नजर नहीं आ रही है। यही कारण है, कि मनपा प्रशासन पूरी तरह से नौकरशाहों की छत्र छाया में जा चुका है।अनावश्यक प्रभाग परिसीमन में जाया होने वाली अवधि के साथ ही, सर्व सामान्य नागरिकों को नौकरशाहों का दंश झेलना पड़ रहा है।
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