सुरेंद्र राजभर
ठाणे- पिछले 36 महीनों में 18 बाल विवाह रोकने में जिले के विभिन्न भागों में प्रशासनिक तंत्र सफल रहा है। हालांकि शहर के कुछ हिस्सों में बालकों के विवाह जारी रहने की बात सामने आई है। कई मामलों में बच्चियां आगे पढ़ना चाहती थी मगर माता-पिता के दबाव के चलते उन्हें कम उम्र में ही ब्याह रचाना पड़ा।
प्राप्त जानकारी के अनुसार ठाणे और कल्याण तालुका में बाल विवाह की सबसे अधिक शिकायतें हैं। कोरोना काल में खराब आर्थिक स्थिति के कारण कई लड़कियों को अपने माता-पिता के दबाव के कारण आंशिक रूप से पढ़ाई छोड़नी पड़ी। कुछ लड़कियों की शादी भी उनके माता-पिता ने कोरोना काल में कर दी थी। हालाँकि वह आगे पढ़ना चाहती थी। लेकिन उनके परिवार ने उसे अनुमति नहीं दी।
बाल विवाह पर सरकारी आंकड़े…
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, 1 मार्च 2020 से 1 मार्च 2023 तक यानी पिछले 3 सालों में 18 बालकों के विवाह रोके गए हैं। कोरोना काल में राज्य सरकार द्वारा कई तरह की पाबंदियां लगाई गईं। इस साल पिछले तीन माह में एक बाल विवाह रोका गया। इन वर्षों की तुलना में वर्ष 2022 में पांच बालकों के विवाह रोकने में व्यवस्था सफल रही है। बाल संरक्षण प्रकोष्ठ, स्थानीय पुलिस, सामाजिक संस्थाएं, महिला एवं बाल विकास विभाग के सुरक्षा अधिकारी इन शादियों को रोकने में सफलता हासिल की हैं।
प्राप्त जानकारी के आधार पर की गई कार्रवाई में मार्च 2022 से मार्च 2023 तक 1 बाल विवाह रोका गया। इससे पहले 2022 में 5 बाल विवाह रोके गए थे। लिहाजा 2021 में सर्वाधिक आठ बालकों के विवाह रोकने में प्रशासन को सफलता मिली है। एक ओर कहा जा रहा है, कि नागरिकों से प्राप्त होने वाली शिकायतों की संख्या में वृद्धि हुई है जबकि समाज में जन जागरूकता बढ़ रही है।
तालुकों में बालकों के विवाह की दर चिंताजनक है। वहीं ठाणे और कल्याण तालुका में पांच-पांच शिकायतें दर्ज की गईं। इसके बाद उल्हासनगर 3, शहापुर और भिवंडी में दो-दो शिकायतें मिलीं है। सबसे कम शिकायतें यानी एक शिकायत मुरबाद तालुका से दर्ज की गई है।महिला एवं बाल विकास विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार जिले में बालकों के विवाह की दर कम है।
बालकों के विवाह की संख्या विभिन्न कारणों से बढ़ी है जैसे कोरोना काल में पैदा हुई समस्याओं के कारण लड़कियों की शादी करके जिम्मेदारियों से मुक्त होने की प्रवृत्ति, पलायन। लेकिन साथ ही इन अवैध शादियों को रोकने और लड़कियों की जिंदगी सुरक्षित रखने के लिए हेल्प डेस्क, सामाजिक संस्थाएं और प्रशासनिक तंत्र ने मिलकर काम किया। जो साधुवाद के पात्र है।
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