मुंबई के ‘आइसोलेशन केंद्रों’ में ‘कोरोना’ वायरस का प्रकोप..

मुंबई- सरकार COVID-19 के प्रसार को नियंत्रित करने के लिए पूरी कोशिश कर रही है और अधिकांश सरकारी अस्पतालों, होटल, रिसॉर्ट, खाली पड़ी इमारतों को ‘आइसोलेशन वार्ड’ (अलग-थलग) में तबदील कर दिया गया है, जहां संदिग्ध रोगियों को निगरानी में रखा गया है! लेकिन ‘अंडर ऑब्जर्वेशन’ में रखे गये यहां लोग का कहना है, कि ‘वे अगरे वहां लाए जाने के बजाय मर गए होते, तो अच्छा होता, जब कि ऐसी परिस्थितियां बहुत कम होती हैं, यहां लाए जाने के बाद वे ऐसा महसूस कर रहे हैं!

कुछ लोगों ने ‘आइसोलेशन वार्ड’ में खाने-पीने की व्यवस्था पर परेशानी जाहिर करते हुए स्वास्थ्य का खतरा बताया, तो कुछ ने यह भी आरोप लगाया कि डॉक्टर उन पर ध्यान नहीं देते हैं!

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कुर्ला के एक 37 वर्षीय निवासी को साकीनाका स्थित एक होटेल में ‘आइसोलेशन’ के तहत रखा गया है! उन्होंने बताया, कि “हमें नाश्ते के साथ पानी नहीं मिला, दोपहर और रात के खाने के साथ प्रत्येक को आधा लीटर पानी की बोतल दी गई! मैंने यहां बृहन्मुंबई महानगर पालिका (बीएमसी) के कर्मचारी से इस पर बात की! उनसे पूछा, ‘क्या हमें प्यासे रहने के लिए ‘आइसोलेशन वार्ड’ में रखा गया है? बेहतर होता कि हमें मरने के लिए छोड़ दीया होता’! इसपर बीएमसी के अधिकारी ने मुझे आश्वासन दिया कि हमें पीने के लिए पर्याप्त पानी मिलेगा!”

मुंबई सेंट्रल के शिरीनबाई चावल से 24 और 28 वर्षीय व्यवसायी और उनके 9 रिश्तेदारों को ‘कोरोना’ के पोजिटीव रिपोर्ट के बाद, मुंबई के विभिन्न अस्पतालों में रखा गया है! उनके दूसरे रिश्तेदार ने आरोप लगाया है कि उन्हें भर्ती किए जाने के 24 घंटे बाद तक भोजन नहीं दिया गया! बताया कि व्यापारी को पवई के एक नीजी अस्पताल में भर्ती कराया गया है! जहां 24 घंटे से अधिक समय हो चुका है, लेकिन न तो कोई डॉक्टर उनसे मिलने गया है और न ही उन्हें भोजन दिया गया है! रिश्तेदार ने कहा, कि ‘वह भुखमरी से मर जाएगा’, उन्होंने यह भी दावा किया कि भर्ती होने वालों में से किसी का भी डॉक्टरों ने चार्ज नही लिया है! उनके रिश्तेदारों ने ट्विटर पर अपनी चिंता व्यक्त करते हुए, मुख्यमंत्री, स्वास्थ्य मंत्री और अन्य लोगों को टैग किया है, लेकिन किसी ने भी ट्वीट का संज्ञान नहीं लिया! उनके रिश्तेदारों और अन्य ‘कोरोना’ के संदिग्ध रोगियों ने आरोप लगाया है कि ‘आइसोलेशन वार्ड’ की स्थिति बेहद गंदगी से भरी हुई है! यहां बिस्तर और फर्श गंदे हैं और वे ‘आइसोलेशन’ के बीच सामान्य शौचालय और बाथरूम का उपयोग करने के लिए मजबूर है!

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बच्चों के लिए दूध या भोजन की व्यवस्था नहीं..
68 वर्षीय एक व्यक्ति की मौत के बाद कांदिवली के शताब्दी अस्पताल में उनके 10 रिश्तेदारों को ‘आइसोलेशन वार्ड’ में भर्ती कराया गया था, जिनका टेस्ट के दौरान Covid​​-19 पोजिटीव रिपोर्ट आई है! 1 अप्रैल के बाद से, उन्होंने कहा कि सात सदस्यों के रिपोर्ट नेगेटिव मिलाने के बाद छुट्टी दे दी गई है, लेकिन दो बच्चों सहित परिवार के तीन सदस्यों को ‘आइसोलेशन वार्ड’ में रखा गया है! जिसमें 2 साल का छोटा बच्चा भी है! उन्होंने बताया, कि अस्पताल के अधिकारियों ने उनके बच्चों के लिए दूध और भोजन खुद लाने को कहा, क्योंकि अस्पताल के पास उनके लिए यह सुविधा नहीं है!

एक 40 वर्षीय व्यक्ति की मौत के हो गई, जिनकी 31 मार्च को रिपोर्ट पोजिटीव निकली है! उसके परिवार के 9 सदस्यों को शताब्दी के ‘आइसोलेशन वार्ड’ में रखा गया था! मृतक के बेटे ने बताया कि परिवार के 6 सदस्यों की रिपोर्ट नेगेटिव आने के बाद भी परिवार के तीन सदस्य को अभी भी ‘आइसोलेशन वार्ड’ में रखा गया है!’ पत्रकार से बात करते हुए उन्होंने कहा कि “आइसोलेशन वार्ड’ की स्थिति भयानक है! COVID -19 के पोजिटीव और संदिग्ध दोनों को यहां एक ही वार्ड में रखा जाता है! मैंने चार दिन ‘आइसोलेशन वार्ड’ में रह कर देखा, कि इन चार दिनों के भीतर, वार्ड को साफ नही किया गया और न ही फर्श को साफ किया गया! भोजन भी कम मात्रा मे दी जाती थी! ऐसी परिस्थितियों में, एक स्वस्थ व्यक्ति भी बीमार हो सकता है!”


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