मोदी की बातों पर अमल करने से देश को बड़ा खतरा, जा सकती है लोगों की जान- तकनीकी

  • ताली पीटने या दीया जलाने से बड़ी है अब चुनौतीयां
  • ‘कोरोना’ से जंग में पीएम मोदी की दूसरी अपील लाइट बंद कर दरवाजे पर दीए जलाएं
  • जीवन के जंग के बीच इवेंट पर महाराष्ट्र में होने लगा विरोध

विशेष संवाददाता- (नितिन तोरस्कर/ इस्माइल शेख)
मुंबई-
शुक्रवार भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों के लिए जारी वीडियो संदेश में कहा ‘इस रविवार यानी 5 अप्रैल को हम सबको मिलकर कोरोना के संकट के अंधकार को चुनौती देनी है! उसे प्रकाश की ताकत का परिचय कराना है! 5 अप्रैल को हमें 130 करोड़ देशवासियों की महाशक्ति का जागरण करना है! 130 करोड़ लोगों के महासंकल्प को नई ऊंचाइयों पर ले जाना है! 5 अप्रैल को रात नौ बजे आप सबके नौ मिनट चाहता हूं! पांच अप्रैल रविवार को रात नौ बजे, घर की सभी लाइटें बंद करके, घर के दरवाजे या बालकनी में खड़े रहकर नौ मिनट तक मोमबत्ती, दीया या टॉर्च या मोबाइल की फ्लैशलाइट जलाएं।’

उन्होंने आगे कहा, कि ‘उस समय यदि घर की सभी लाइटें बंद करेंगे तो चारो तरफ जब हर व्यक्ति एक-एक दीया जलाएगा तब प्रकाश की उस महाशक्ति का ऐहसास होगा, जिसमें एक ही मकसद से हम सब लड़ रहे हैं, ये उजागर होगा!’

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हमेशा की तरह भारी और मन लुभावनी शब्दों का प्रयोग करते हुए प्रधानमंत्री ने 130 करोड़ आबादी को अपने समां में बाधने का भरपूर कोशिस किया! लेकिन देश पर आए संकट के बीच अपनी जरुरत के लिए आस लगाए लोगों का गुस्सा टूट पड़ा है! न जाने क्या उजागर करना चाह रहे हैं, मोदी जी पर यहां विरोध उजागर हो गया!

गृहनिर्माण मंत्री का विरोध..
देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ‘कोरोना’ के खिलाफ जंग में देश की जनता को यह दूसरी बार लाईव संदेश दिया है, जिसके बाद से ही महाराष्ट्र से इसका विरोध होने लगा है! महाराष्ट्र के गृह निर्माण मंत्री जितेंद्र अव्हाड ने तो पूर्ण रुप से प्रधानमंत्री का विरोध किया है! उन्होंने यहां तक कह दिया, कि ‘क्या देश के प्रधानमंत्री भारतीयों को मुर्ख समझते हैं, देश संकट से जूझ रहा है, लोगों के घरों में राशन नही है! राज्य के लोग सदमे में है और ऐसे समय में प्रधानमंत्री इवेंट का शौक पाल रहे हैं!’

शिक्षा मंत्री ने बताया दुर्भाग्य..
वही महाराष्ट्र की शिक्षा मंत्री वर्षा गायकवाड़ ने भी सोशल मीडिया पर एक वीडियो जारी कर इसका कड़ा विरोध किया है! उन्होंने प्रधानमंत्री के भाषण को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा, कि ‘देश इतने खतरे से गुजर रहा है, कि लोगों का बचना मुश्किल हो रहा है! अर्थ व्यवस्था डगमगा गई है, राज्य में कर्मचारियों को वेतन बांटने तक का पैसा नही है, आम लोगों के कारोबार बंद होने की वजह से कई समस्याएं उतपन्न हो रही हैं! एसी समस्या पर बात करने के बजाय, हमारे प्रधानमंत्री पहले ताली और अब दीया, मोमबत्ती और टॉर्च जलाने की बात कर रहे हैं! हमें ऐसे समय पर अपने दिमाग से काम लेने की जरुरत है! और देशों ने इस संकट पर कैसी उपाय योजना किये हैं, उसका अध्ययन करने की जरुरत है! यह संकट ना तो, ताली पीटने से जाएगा ना ही मोमबत्ती जलाने से दूर होगा!’

उर्जा मंत्री की चेतावनी..
महाराष्ट्र के उर्जा मंत्री डॉ. नितिन राउत ने बड़ा खुलासा करते हुए बताया, कि अगर एक साथ एक समय पर हमारे राज्य में बिजली बंद की गई तो बहोत बड़ी संकट का सामना करना पड़ सकता है! क्यों की बिजली सप्लाई तकनीक के कारण बीजली को वापस सर्विस सेंटर पर लाने के लिए 16 घंटे का समय लग सकता है! जिस वजह से अस्पतालों के मरिजों की जान का खतरा होगा और एक साथ पूरे देश की बीजली सप्लाई बंद करने से बीजली को वापस सर्विस सेंटर तक लाने में लगभग एक हफ्ते तक का समय लग सकता है, इस बीच देश में बहोत बड़ा संकट आ सकता है! इसलिए लाईट बंद ना करें!’ ऐसी अपील की है!

कर्ज एवं किश्तों पर निर्देश..
इस केंद्र और राज्य के बीच आम लोगों के हालात पर नजर ड़ाले तो नजारा यहां और भी भयंकर है! केंद्र का ऐलानीया तीन महीनों के राशन में यहां तीन चरणों में प्रति व्यक्ति 5 किलो मुफ्त चावल मिला नही है! सिर्फ चावल बांटने से यहां लोगों का जीवन व्यतीत हो पाएगा ऐसे सवाल उठने लगे हैं! शायद अब देश के राजनेताओं को यह पता नही है, कि प्रति व्यक्ति को 5 किलो चावल क्या पर्याप्त हो पाएगा, लाईट का बील भी आता है, चावल के साथ और भी कुछ लगता है! केंद्र से जारी एक बयान में कहा गया था, कि जीन लोगों ने बैकों से लोन लिया हुआ है, उन्हें अगले तीन महीनों के लिए राहत दी जाएगी, उसके बाद रिजर्व बैंक के गवरनर शक्तिकांत दास ने देश की जनता के लिए राहत भरा निर्णय ज़ाहिर कियाा था!
रिजर्व बैंक ने सभी नीजी एवं सरकारी बैकों को लोन की किश्तों पर अगले तीन महिनों की समय सीमा बढ़ाने की सलाह दी थी! हाला कि इस सलाह के बाद महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने रिजर्व बैंक को सलाह के बदले निर्देश देने की अपील की थी! उन्होंने कहा भी था, कि कर्ज वसूली पर तीन महिनों के लिए स्थगन पर सलाह देने से देश भर की बैंकें तथा वित्तीय संस्थानें मानने वाली नही है, उन्हें रिजर्व बैंक द्वारा निर्देशित किए जाने की जरुरत है!

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इन बयान बाज़ी के बाद, अब ऐसा ही हो रहा है! गोरेगांव पश्चिम का रहने वाला कंचन सिद्धार्थ अपने मोबाइल लोन की किश्त से परेशान हो गया है! उसने बताया, कि 3 महीनों की EMI नहीं भरने का सरकार की ओर से झूठा आश्वासन दिया गया है! मेरे लोन के लिए BAJAJ FINSERV और CAPITAL FIRST IDFC की तरफ से EMI की निर्धारित 2 अप्रैल 2020 को वसूला जा रहा है! इस सिलसिले में RBI और अमित शाह को ट्वीटर के जरिए मैने इसकी जानकारी भी दी पर वहां से मुझे ना कोई उत्तर मिला और ना ही बैंक से कोई सहुलियत!

जमीनी हकिकत का अंश..
देश की अर्थ व्यवस्था और जमीनी हालात पर अगर नजर डाले तो साफ नजर आ रहा है, कि कईं मैतों के बाद खतरा तो टल ही जायेगा, फिर पेट्रोल डीज़ल की किमतों के साथ शुरू होगा यहां महंगाई का तांडव, क्यों कि कोरोना से लड़ते- लड़ते देश की अर्थव्यवस्था अभी से डगमगा चुकी है!

महाराष्ट्र के कई मंत्रीयों ने भी जारी किये विडियो…

लोन की किश्त पर अभी से लोगों पर दबाव पड़ने की शिकायतें प्रकाश में आ रही है! लोगों को लगता है तीन महिनों के लिए सहुलियत मिली हुई है, जब कि रिजर्व बैंक ने अभी तक कोई ठोस निर्देश जारी नही किए हैं! बिजली विभाग भी, वसूली तो जरुर करेगी, स्कूल कॉलेज की फीस और फ्लैट के भाड़े का क्या होगा! सरकार का घाटा तो है पर जनता की भूखमरी का क्या, सिर्फ महीने के हिसाब से तीन महीने एक व्यक्ति के लिए 5 किलो चावल वो भी प्रमाणित वर्ग के लिए! यानी गरीब घटक के राशन कार्ड धारकों के ही लिए, कईं ऐसे भी हैं जो राशन कार्ड बना नही पाए हैं, उनका क्या, उसपर भी केंद और राज्य सरकारें अपने बैंक खातों का नंबर जारी करते हुए देश की जनता से दान की उम्मीद कर रही है! जब कि देश के कुछ रिलाईन्स, अड़ानी, अंबानी, जैसों ने अभी तक ‘कोरोना’ की लड़ाई में अपना कोई योगदान ज़ाहिर नही किया है! बजाज ने कुछ राशि ज़ाहिर तो की पर लॉकडाउन के बीच लोगों से किश्तों की मांग पर अड़ी हुई है! ऐसा क्यों कारण केन्द्र का ध्यान कहीं और है! राज्यों में लोगों के जीवन पर लड़ रहे कर्मचारियों के वेतन देने के लिये पर्याप्त पैसे नहीं है! और प्रधानमंत्री बत्ती बुझाने को कह रहे हैं! पूरे देश में ‘लॉकडाऊन’ की स्थिति इसी बीच राज्य में ब्लड बैंक खाली हो चुके हैं, खून देगा कौन, ऐसे कई सवाल है, जिसके जवाब भारत का कोई नही जानता! क्यों की कुछ करना पड़ता है! फिलहाल मेहमान बन कर आए हमारे बीच संकट पर हमारे सिपाही जान की बाजी लगाए हुए हैं! उनके लिए प्रेस परिवार की ओर से नमन!


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