सुरेंद्र राजभर
मुंबई – 1947 मे देश की आज़ादी के बाद लुटेरे लुट के मौके ढूंढ ही लेते हैं! भ्रष्टाचारी मिलकर भ्रष्टाचार की गंगोत्री मे आकंठ डुबकी लगाने लगते हैं! मुंबई की सबसे बड़ी एशिया की झोपड़पट्टी धारावी के कायाकल्प की घोषणा सर्वप्रथम पूर्व पीएम राजीव गांधी ने की थी, उसके बाद मुंबई को झोपड़पट्टी से मुक्त कराने का अभियान शुरु किया गया!
झोपड़पट्टी पुनर्वसन के नाम से जिसको जानकर भ्रष्ट विकासकों की बांछे खिलानी स्वभाविक थी! चूंकि यह प्रकल्प म्हाडा से संबंधित होने के कारण एसआरए के सरकारी अधिकारियों से सांठगांठ किये बिना भ्रष्टाचार का खेल नामुमकिन होता! अत: सक्षम अधिकारियों को अपनी भ्रष्ट योजनाओं मे सम्मिलित करना जरुरी होता! अत: भ्रष्ट विकासकों ने सर्वप्रथम उन्हें अपना राजदार बनाना शुरु किया! अधिकार की आड़ में यदी दौलत की वर्षा हो तो उन्हें इससे गुरेज नही होता!
सनसनी खेज खुलासा…
बिना झोपड़े अपात्रों को पात्र बनाकर दौलत कमाने का खेल चालू आहे…
बिना झोपड़े और बिना प्रमाणिक कागजात के लोगों को एसआरए स्किम में फ्लैट बेचने की बात सामने खुलकर आई है! यह शुभकार्य रिलायंस इंटरप्राइजेज अंधेरी एसआरए प्रकल्प के विस्तारक रिलायंस इंटरप्राइजेज ने किया! जिसके कारनामों के खुलासे हुए हैं! चौकाने वाले खुलासे के अनुसार बिना झोपड़ा धारकों के पास कोई कागज नही थे, जिन्हें लाखों रुपये लेकर फ्लैट दिये गये!
SRA Expert सर्वेश सिंह…
SRA Expert सर्वेश सिंह के मुताबिक म्हाडा विभाग, झोपड़पट्टी पुनर्वसन प्राधिकरण के सहयोग से विकासक ने न सिर्फ कानून की आंखों मे धूल झोंके बल्कि झोपड़पट्टी पुनर्वसन प्राधिकरण और झोपड़ा धारको को भी दोनो हाथों लूट रहे हैं! बिना म्हाड़ा और एसआरए अधिकारीयों की मदद से विकासक द्वारा फर्जीवाड़ा करना नामुमकिन होता है! जबकि यह वाक्या आराधना गुरुनानक सहकारी गृहनिर्माण संस्था का है जो ओशिवरा मे झोपड़पट्टी पुनर्वसन प्राधिकरण के तहत निर्माण कार्य कर रहा है! उसके द्वारा किये जा रहे विकास के खिलाफ झोपड़ा धारकों की लड़ाई चल रही है! यह लड़ाई प्रकल्प के विकासक रिलायंस इंटरप्राइजेज (रोमेल ग्रूप) बनाम झोपड़ा धारकों का है!
बताते चलें कि 2018 मे कुछ झोपड़ा धारकों को अलॉटमेंट करने के बाद एसआरए के अधिकारियों ने आनन-फानन मे फ्लैट बांट दिये! झोपड़ मालिकों के अनुसार इमारत के निर्माण कार्य मे विकासक ने घटिया दर्जे का मटेरियल इस्तेमाल किया है जिसकी शिकायत उपजिल्हाधिकारी और इंजिनियरींग विभाग से की गई, यह घटिया सामग्री का उपयोग, मानक के विरुद्ध निर्माण के साथ ही, न्यायपालिका का भी उलंघन किया गया है! यह उलंघन जबरन अवैध रुप से झोपड़ा तोड़ने से संबंधित है!
आरटीआई(RTI) मे हुआ खुलासा…
रोमेल ग्रूप द्वारा केवल 243 झोपड़ों के लिए निर्माण कार्य एसआरए प्रोजेक्ट के जरिए किया जा रहा है, जिस क्षेत्र मे पड़ने वाली 26 दुकानों के मालिकों की सहमति ली ही नहीं गई! जब कि विकासक के लिए सहमति लेना अनिवार्य तत्व है! लेकिन विकासक ने उक्त 26 दुकानों को सम्मिलित किया न जाना संदेहजनक है!
रोमेल ग्रुप का और एक मामला . पढ़ेे..
पहले सर्वे में विकासक ने दुकानों को भी शामिल करते हुए निर्माण किया जाना बताया था! परिशिष्ट भी तैयार कर लिया गया लेकिन चुपके-चुपके विकासक ने उसमे बदलाव कर लिया और सभी 26 दुकानों को अनिवासी बता दिया, उसमे दुकान मालिकों की सहमति ली ही नही गई! अब विकासक के इस गलत कार्य और मंशा के चलते सभी दुकानदार असमंजस मे है, कि उन्हें दुकान मिलेगी भी कि नही, मिलेगी तो क्या इसी प्रोजेक्ट मे मिलेगी या अन्यत्र, निश्चित न होने से दुश्चिंता सता रही है!
उपजिल्हाधिकारी की सुनवाई…
उपजिल्हाधिकारी के पास विकास हेतू निर्माण कार्य में बांधा बन रही 26 झोपड़े तोड़ने के लिए धारा 33/38 के तहत सुनवाई का मामला भी प्रकाश मे आ रहा है! इसमें यह समझ नही पा रहे हैं कि उपजिल्हाधिकारी किन झोपड़ों को तोड़ने के लिए सुनवाई कर रहे हैं, जब कि विकासक द्वारा उक्त झोपड़े पहले ही जबरन तोड़े जा चुके है! अब ऐसे मे कौनसी सुनवाई उपजिल्हाधिकारी कर रहे हैं, यह समझ के परे है! हांलाकि सोसायटी को फ्लैट आवंटन मे भी गड़बड़ियां मिली है! सोसायटी के सचिव अजित कुमार शुक्ला परिशिष्ट-2 मे अनुक्रमांक 14 पर पात्र बताए गये हैं, इसी के साथ उनकी पत्नी प्रभावती शुक्ला अनुक्रमांक 13 मे पात्र दिखाई गई है, जब कि झोपड़ा एक ही रहा, झोपड़े मे झोपड़ा कैसे? सुनवाई के दौरान इन दोनों को घर भी मिल गया! ऐसा पूरे प्रोजेक्ट मे कई मामले हैं! एक ही परिवार के पति-पत्नी को एसआरए द्वारा 2 घर आवंटित कर देना समझ से बाहर है! विकासक के अनुसार ही सभी अधिकारी कार्य कर रहे है!
SRA Expert सर्वेश सिंह के अनुसार सारा प्रोजेक्ट ही फर्जी तरीके से लांच किया है! उनके अनुसार टेबल सर्वे मे एक ही घर मे घूसकर दुसरे घर का सर्वे बताया गया है! आज भी उक्त व्यक्ति का वह झोपड़ा मौजूद है जिसमे दूसरे झोपड़े को दिखाया जा रहा है, वास्तव मे उस झोपड़े के अंदर दुसरा कोई झोपड़ा है ही नही! लगता है झोपड़े मे घूंसकर लाखों का सौदा किया गया है!
पढ़े दहिसर पुलिस का मामला…
एक और चौकाने वाला मामला संज्ञान मे आया है! परिशिष्ट-2 मे ही दुसरा मामला 135 के भीतर ही 133 आया है, जिसके अनुसार 133 पर जुबेर कयामुद्दीन को पात्र बताया गया है! जिसमे सरकारी आवास प्रमाण पत्र लगाने की जगह केवल एफिडेविट दाखिल किया गया है! रोमेल ग्रूप विकासक द्वारा इस फायदे के बदले में लाखों का लेनदेन बताया जाता है! जिसकी शिकायत भी की गई, मगर कोई कार्यवाई ही नहीं की गई!
रोमेल ग्रुप के खिलाफ दहिसर पुलिस थाने मे मामला दर्ज…
रोमेल ग्रूप के विकासक के विरुद्ध दहिसर मे कमरुद्दीन शेख की 16 एकड़ खाली जमीन हड़पने के आरोप लगाकर कोर्ट का दरवाजा खटखटाने के बाद सीबीआई ने जांच कर रिपोर्ट दाखिल किया! सुनवाई के वक्त ही रोमेल ग्रूप के खिलाफ दहीसर पुलिस थाने मे 14 मार्च 2018 को भादवी की धारा 397 के तहत चोरी और डकैती के आरोप लगे हैं! ऐसे भ्रष्ट बेईमान, चोर और डकैत के विरुद्ध आशिवरा झोपड़पट्टी के मालिक एक जूट होकर न्याय के लिए आवाज उठा रहे हैं!
देखना यह है कि क्या झोपड़ा मालिकों को न्याय मिलता है या अधिकारीयों की मिलीभगत होने से अन्याय ही अन्याय होता है! महाराष्ट्र सरकार को चाहिए ऐसे धोखेबाज़ विकासक को ब्लैक लिस्ट मे ड़ाल दें और उसके विरुद्ध कठोर कार्यवाई करें!
Discover more from
Subscribe to get the latest posts sent to your email.