इस्माइल शेख
मुंबई– केंद्रीय गृहमंत्रालय ने अलग-अलग राज्यों में फंसे प्रवासी मजदूर, तीर्थयात्री, पर्यटक और विद्यार्थियों को उनके राज्य, गांव-घर भेजने की अनुमति दे दी है, लेकिन इन्हें भेजने के जरिए पर मुश्किलें आने की संभावनाऐं जताई जा रही है! लंबी दूरी तय करने को लेकर प्रवासियों को होने वाली परेशानियों और राज्य सरकार को आने वाले खर्च को लेकर कई तरह के सुझाव में रेल का सफर ही सबसे आसान और सही दिखाई पड़ रहा है! मुंबई और गुजरात के उत्तर भारतीय नेताओं का मानना है कि इतनी लंबी यात्रा प्रवासियों को बसों से नहीं करवाई जा सकती! इसके लिए विशेष ट्रेनों का इंतजाम ही सबसे सरल माध्यम हो सकता है!
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मुंबई स्थित उत्तर भारतीय नेताओं का मानना है कि इस काम के लिए बसों का उपयोग अत्यंत कठिन और असुविधाजनक साबित हो सकता है! पूर्व कैबिनेट मंत्री आरिफ नसीम खान ने बताया, कि ‘मुंबई, ठाणे, पालघर, नवी मुंबई और रायगढ़ परिसर में 25 लाख से अधिक लोग गांव जाने को लेकर बेताब बैठे हुऐ हैं! इतने लोगों को बसों से उनके राज्य तक भेजना काफी मुश्किल भरा काम हो सकता है!’
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शिवसेना के नेतृत्ववाली महाविकास आघाड़ी सरकार में राकांपा के मंत्री नवाब मलिक ने बताया, कि ‘मुंबई से वाराणसी- गोरखपुर जैसे सफर पर ट्रेन से 36 घंटे लग जाते हैं! बस से कम से कम तीन-चार दिन लग सकते हैं! इसके लिए कम से कम एक लाख बसों की जरूरत पड़ेगी! बहुत थका देनेवाली इस यात्रा पर, रास्ते में यात्रियों के भोजन, शौच एवं स्वास्थ्य की समस्या भी हो सकती है! जबकि विशेष ट्रेनों से बहुत कम खर्च में यह दूरी 24 से 30 घंटे में पूरी की जा सकती है!’
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पूर्व मंत्री एवं उत्तर भारतीय नेता कृपाशंकर सिंह ने रेलमंत्री पीयुष गोयल तथा प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर विशेष ट्रेनें चलाने की मांग की है! केंद्र सरकार की घोषणा के तुरंत बाद महाराष्ट्र के परिवहन मंत्री अनिल परब ने जानकारी दी कि उद्धव सरकार ने राज्य परिवहन की एक हजार बसें प्रवासियों के लिए तैयार रखी हैं! सरकार की तरफ से निर्देश मिलते ही बसों को प्रवास के लिए रवाना कर दिया जाएगा!
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मुंबई भाजपा के महासचिव अमरजीत मिश्र ने राच्य सरकार से ऐसे लोगों के आवेदन मंगवाने का अनुरोध किया है, जो अपने घर जाना चाहते हैं! उत्तर प्रदेश के प्रवासियों की संस्था उत्तर प्रदेश डेवलपमेंट फोरम के महासचिव पंकज जायसवाल ने यूपी और महाराष्ट्र के बीच समन्वय की जिम्मेदारी संभाल रहे नोडल अधिकारियों को पत्र लिखकर सुझाव दिया है, कि ‘निर्धन प्रवासियों को घर भेजने के लिए महाराष्ट्र सरकार के अलावा मध्यप्रदेश सरकार से भी सहयोग लिया जाय! ताकि उनकी बसों से प्रवासियों को महाराष्ट्र की सीमा से उत्तर प्रदेश की सीमा तक पहुंचाया जा सके!’
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यूपी डेवलपमेंट फोरम भी रेल मार्ग को ही प्रवासियों के लिए सबसे आसान मान रहा है! वहां से भी रेलमंत्री पीयुष गोयल को पत्र भेजकर सुझाव दिया गया है, कि ‘दूरंतो शैली में मुंबई से उत्तर प्रदेश के प्रयागराज, वाराणसी, गोरखपुर, लखनऊ जैसे प्रमुख स्टेशनों के लिए सिर्फ स्लीपर श्रेणी कोच वाली विशेष ट्रेनें चलाई जाएं, जिनमें बीच की बर्थ का आरक्षण न देते हुए दो गज की दूरी का पालन करते हुए यात्रियों को उत्तर प्रदेश पहुंचाया जा सकता है!’
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