इस्माइल शेख
मुंबई- देश भर में ‘कोरोना’ वायरस के तहत जारी ‘लॉकडाउन’ में फंसे प्रवासी मजदूरों को घर वापसी पर सरकार ने अनुमति तो दे दी! लेकिन भूख से बिलखलाते मजदूरों से किराए का पैसा वसूलना ये केंद सरकार और रेल मंत्रालय का जरुरत मंद और बेबस मजदूरों के उपर ज्यादती है! इस रवैय्ये को देखते हुए लगातार कांग्रेस द्वारा केंद्र सरकार और रेल मंत्रालय को मजदूरों से पैसे नहीं वसूलने की मांग की गई! जिसपर अब तक किसी भी तरह की सुनवाई किए बगैर मनमानी तौर से मजदूरों के साथ किराए का पैसा वसूला जा रहा है! आखिरकार कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी ने सोमवार को अपनी पार्टी की तरफ से इन प्रवासी मजदूरों का रेल किराया वहन करने की घोषणा की है! इसके लिए मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष एकनाथ गायकवाड़ ने भी रेल विभाग को एक पत्र जारी कर इसकी जानकारी देते हुए रेल किराए का ब्योरा मांगा है!
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‘कोरोना’ वायरस की देश भर में फैली महामारी से लड़ने के लिए लोगों की सुरक्षा को देखते हुए ‘लॉकडाउन’ जारी किया गया है! अचानक लॉकडाउन की घोषणा से रोज कमाकर घर चलाने वाले प्रवासी मजदूरों की इससे मुश्किलें बढ़ गई है! महाराष्ट्र में लगभग पिछले दो महीनों से अलग-अलग जगहों में फंसे हुए 10 लाख जरुरतमंदों को भोजन पानी स्वास्थ्य और रहने की व्यवस्था की जा रही है! लगातार इन मजदूरों की मांग पर इन्हें अपने घर वापस जाने के लिए केंद्र सरकार ने अनुमति तो दे दी! लेकिन जिनके पास खाने-पीने तक की व्यवस्था नही है ऐसे लोग रेल किराया कैसे वहन कर सकते हैं, ऐसे सवालों पर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने फैसला लिया है कि प्रदेश कांग्रेस कमेटी की हर इकाई श्रमिक-कामगार के घर लौटने की रेल यात्रा के टिकट का खर्च और जरूरी कदम उठाएगी! सोमवार को जारी किए गए एक बयान में कहा गया है कि सिर्फ चार घंटे के नोटिस पर लॉकडाउन लागू होने की वजह से देश के मजदूर अपने घर वापस जाने से वंचित रह गए! 1947 के बाद देश ने पहली बार इस तरह का मंजर देखा जब लाखों मजदूर पैदल ही हजारों किमी. चलकर घर जा रहे हैं!
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सोनिया गांधी ने बयान में कहा कि जब हम लोग विदेश में फंसे भारतीयों को बिना किसी खर्च के वापस ला सकते हैं! गुजरात में एक कार्यक्रम में सरकारी खजाने से 100 करोड़ रुपये खर्च कर सकते हैं! अगर रेल मंत्रालय प्रधानमंत्री राहत कोष में 151 करोड़ रुपये दे सकता है तो फिर मुश्किल वक्त में मजदूरों के किराये का खर्च क्यों नहीं ?
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आप को बता दें, कि ’24 मार्च को जब ‘लॉकडाउन’ लागू हुआ, तो लाखों की संख्या में मजदूर जहां पर थे वहीं फंस गए! उसके बाद अब लगभग 40 दिनों बाद उन्हें घर जाने की इजाज़त मिली है, राज्य सरकारों के निवेदन पर केंद्र सरकार ने इसके लिए स्पेशल ट्रेन की मंजूरी दी है!
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लेकिन इस दौरान रेल का किराया मजदूरों से ही लिया जा रहा है! रेल मंत्रालय के इस फैसले की काफी आलोचना की गई है, ना सिर्फ राजनीतिक दल और राज्य सरकारों ने इसका विरोध किया है बल्कि सोशल मीडिया पर भी इसकी आलोचना हुई है!
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