- कॉरपोरेट सत्तारुढ दल को हजारों करोड़ों का चंदा देते ही क्यों है?
- चंदे का गंदा धंधा ही ऊपरी स्तर पर भृस्टाचार का मूल है।
- Electoral Bond ADR Report
सुरेंद्र राय
मुंबई: अपने देश में चंदा लेना और देना धंधा है पर बहुत ही गंदा है। कॉरपोरेट का काम है अपना बिजनेस ढंग से चलाना। उसे आगे बढ़ाना। फिर प्रश्न उठता है, कि आखिर कॉरपोरेट राजनीतिक दल विशेष रूप से सत्तारूढ़ दल को हजारों करोड़ों का चंदा देते ही क्यों हैं? क्या सरकार उनपर दबाव डालती है? जैसे तीस कंपनियों के पीछे सी बी आई के छापे डलवाकर दबाव बनाया और साढ़े तीन हजार करोड़ रुपए की प्रोटेक्शन मनी ली गई। जिसकी न्यायिक जांच कर कानूनी कार्रवाई करने की जरूरत है और साथ ही सत्ता प्रतिष्ठान को भी सबक सिखाना अपरिहार्य है। (Electoral Bond ADR Report)
चंदा देश में गंदा काम ..
चंदा दो। गलत तरीके से काम करते रहो। टैक्स चोरी करते रहों। बस ध्यान रखना चंदा देते रहो। दूसरा पक्ष है सरकार को चंदा दो और सरकार चंदे से कई गुना लाभ कमाने का अवसर देगी। कॉरपोरेट सेक्टर की लगभग पच्चीस लाख करोड़ की बैंक ऋण माफी इसी चंदे के गंदे धंधे का ही परिणाम थी। सुप्रीमकोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड को गैर संवैधानिक बताकर गंदे खेल की दुखती रग पर हाथ रख दिया है। (Electoral Bond ADR Report)
एस बी आई जो सरकारी बैंक ने चंदे के गंदे धंधे को छुपाने की कोशिश की लेकिन सुप्रीमकोर्ट ने गर्दन ही मड़ोड दी। कॉर्पोरेट और धनी कर्णवीर जैसा दानी तो होते नहीं। चैरिटी के नाम पर लाल पाई न देने वाले धनवान राजनीतिक दलों को चंदा देते हैं तो वह बिज़नेस में उतनी ही पूंजी लगाते हैं जिसका कई गुना सरकार उन्हें फ़ायदा करती है। यह चंदे का गंदा धंधा ही ऊपरी स्तर पर भ्रष्टाचार का मूल है। (Electoral Bond ADR Report)
किसने कितना दिया चंदा ?
चंदा देने की बात करें तो फार्मा से 78.7% , खनन से 18.5% , स्टील से 10.0% , टेलिकॉम से 9% , और सिमेंट उद्योग से 6.1% , प्लास्टिक उद्योग से 0.12% , ऑटो सेक्टर से 0.11% , पेट्रोकेमिकल से 0.02% , पेपर से 0.02% , और ई एम जी सी से 0.01% डोनेशन दिए गए। अकेले फ़रवरी 2024 की बात करें तो बीजेपी को 90%, क्षेत्रीय दलों को 58.2% और कांग्रेस को मात्र 24.2% चंदा मिला। अकेले कोलकाता के संस्थानों में हल्दिया एनर्जी ने 337 करोड़, इसेल माइनिंग एंड इंड्रस्ट्रीज ने 224.5 करोड़ , केवेंटर फुडपार्क इन्फ्रा ने 195 करोड़ , मदनलाल ने 185 करोड़ , और एम के जे इंटरप्राइज में 128 करोड़ रुपए चंदा दिया है। (Electoral Bond ADR Report)
Electoral Bond ADR Report
चंदा देने के तरीके भी मजेदार हैं। जैसा कि बॉन्ड खरीदने वालों ने अपने यहां इंट्री की है। वेदांता लिमिटेड ने डोनेशन दिखाकर फ़रवरी 23 में 123 करोड़ और फ़रवरी 24 में 155 करोड़ दिए। भारतीय एयरटेल ने दूसरे व्यय दिखाकर फ़रवरी 23 में 102.5 करोड़ और फ़रवरी 24 में मात्र 30 करोड़ दिए। जिंदल स्टील एंड पावर लिमिटेड ने डोनेशन दिखाकर फ़रवरी 23 में 13 करोड़ और फ़रवरी 24 में 25 करोड़ दिए। सिप्ला लिमिटेड ने मिसलेनियस खर्च दिखाकर फ़रवरी 23 में कुछ नहीं तो फ़रवरी 24 में 24.2 करोड़ चंदा दिया। (Electoral Bond ADR Report)
टोरेंट पावर लिमिटेड ने डोनेशन दिखाकर फ़रवरी 23 में 27.5 और फ़रवरी 24 में 23 करोड़ दिए। अरबिंदो फार्मा लिमिटेड ने डोनेशन दिखाकर फ़रवरी 23 में 5.5 करोड़ जबकि फ़रवरी 24 में 21.5 करोड़ के बॉन्ड खरीदे। द रामको सिमेंट ने सीधे सीधे डोनेशन दिखाकर फ़रवरी 24 में 20 करोड़ के बॉन्ड खरीदे। हीरो मोटोकॉर्प लिमिटेड ने बॉन्ड नहीं लेकर लिगल तरीके से अंडर सेक्सन 182 ऑफ कंपनीज एक्ट 2023 के अनुसार फ़रवरी 24 में 20 करोड़ सीधे सीधे डोनेशन दिया। कॉमेंट सेल्टर से 233 करोड़ के बॉन्ड लिए गए जिसमें वेदान्त और आदित्य बिरला ग्रुप टॉप पर रहा। (Electoral Bond ADR Report)
सोचने की बात यह है कि सत्ता दल को करोड़ों रूपए बॉन्ड के द्वारा देने पर फ़रवरी 23 और फ़रवरी 24 में उनकी बैलेंस सीट में कितनी वृद्धि और फ़ायदा मिला। जिसकी न्यायिक जांच कर कानूनी कार्रवाई करने की जरूरत के अलावा सत्ता प्रतिष्ठान को भी सबक सिखाना अपरिहार्य है। (Electoral Bond ADR Report)
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