मुंबई ट्रेन ब्लास्ट केस में बरी वाहिद शेख ने मांगा 9 करोड़ मुआवजा

2006 मुंबई ट्रेन ब्लास्ट केस में बरी हुए वाहिद दीन मोहम्मद शेख ने 9 साल की जेल और परिवार को झेली पीड़ा के लिए 9 करोड़ रुपये मुआवजे की मांग की है।

मुंबई: 2006 के मुंबई सीरियल ट्रेन ब्लास्ट मामले में झूठे आरोपों में फंसे और बाद में बरी हुए डॉ. वाहिद दीन मोहम्मद शेख ने अब राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से 9 करोड़ रुपये मुआवजे की मांग की है। शेख का कहना है कि यह सिर्फ पैसों की लड़ाई नहीं बल्कि इंसाफ़ और स्वीकार्यता की लड़ाई है।

9 साल जेल, जिंदगी बर्बाद

शेख ने बताया कि उन्हें एटीएस ने साल 2006 में हुए ट्रेन ब्लास्ट मामले में मकोका के तहत गिरफ्तार किया। इसके बाद उन्हें नौ साल तक जेल में रहना पड़ा। 11 सितंबर 2015 को विशेष अदालत ने सबूतों के अभाव में बरी कर दिया।
उन्होंने कहा – “मैं जेल से तो बाहर आ गया, लेकिन मेरी जवानी के सबसे अहम 9 साल, परिवार की खुशियां और समाज में इज्ज़त सब कुछ छिन गया।”

Advertisements

9 करोड़ रुपये मुआवजे की मांग

वाहिद शेख ने कहा कि उन्होंने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, महाराष्ट्र राज्य मानवाधिकार आयोग और राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग से मुआवजे की मांग की है।
उनका दावा है कि जेल में रहने और झूठे आरोपों से हुए सामाजिक, भावनात्मक और आर्थिक नुकसान की कीमत कोई चुका नहीं सकता। लेकिन, 9 करोड़ रुपये कम-से-कम उनके साथ हुए अन्याय की आंशिक भरपाई करेगा।

नालासोपारा में इंस्टाग्राम मैसेज पर युवक की बेरहमी से हत्या, वीडियो वायरल | मुंबई क्राइम न्यूज

“इसलिए अब तक चुप था”

शेख ने याचिका में लिखा कि वह नैतिक कारणों से पिछले 10 साल तक चुप रहे और मुआवजे की मांग नहीं की। लेकिन, अब उन्हें लगता है कि यह मुद्दा सिर्फ उनके लिए नहीं बल्कि उन सब लोगों के लिए है जो बेगुनाही के बावजूद सालों जेल में कैद रहे हैं।

परिवार पर गहरा असर

शेख पेशे से स्कूल टीचर हैं और परिवार के इकलौते कमाने वाले हैं। जेल में रहने के दौरान उनके परिवार को सामाजिक और आर्थिक तौर पर बड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ा।
उन्होंने बताया कि इलाज और परिवार का खर्च चलाने के लिए लगभग 30 लाख रुपये का कर्ज़ लेना पड़ा।

सामाजिक और भावनात्मक नुकसान

वाहिद शेख का कहना है कि उन्हें हिरासत के दौरान प्रताड़ित भी किया गया। इन हालातों ने उनके मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा असर डाला। उन्होंने कहा – “मैं बाहर तो आ गया हूं, लेकिन जो दाग मेरे नाम पर लगे, उनका असर अब भी मेरे परिवार और बच्चों को झेलना पड़ रहा है।”

पूरा मामला क्या था?

11 जुलाई 2006 को मुंबई लोकल ट्रेनों में हुए सीरियल ब्लास्ट ने पूरे देश को हिला दिया था। इन धमाकों में 187 लोगों की मौत और 600 से ज्यादा लोग घायल हुए थे।
ATS ने इस मामले में 13 लोगों को गिरफ्तार किया था। लंबी सुनवाई के बाद अदालत ने 2015 में वाहिद शेख को बरी कर दिया, जबकि बाकी 12 आरोपियों को फांसी या उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी।

जुलाई 2025 में बॉम्बे हाई कोर्ट ने भी सभी 12 आरोपियों को बरी कर दिया।

वाहिद शेख का संदेश

शेख ने कहा कि उनका संघर्ष केवल व्यक्तिगत नहीं बल्कि समाज के लिए है। उन्होंने मांग की कि सरकार और एजेंसियां झूठे मामलों में फंसे लोगों को इंसाफ दिलाने के लिए ठोस कदम उठाए।


Discover more from  

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisements
Scroll to Top

Discover more from  

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading