नकली वैक्सीनेशन सैंटर, पुलिस ने किया गिरफ्तार

मुंबई के नकली वैक्सीनेशन मामले में दिन-ब-दिन नई गिरफ्तारी हो रही है। ताज़ा जानकारी के मुताबिक बारामती पुलिस ने मामले के आरोपी राजेश पांडे को गिरफ्तार कर मुंबई पुलिस को सूचित किया है! मुंबई पुलिस आरोपी को हिरासत में लेने के लिए बारामती रवाना हो चुकी है।

इस्माइल शेख
मुंबई-
नकली वैक्सीनेशन मामले में, 25 मई से 6 जून के बीच करीब 2,685 लोगों को वैक्सीनेशन के नाम पर ठगा गया है। जबकि अधिकांश को वैक्सीनेशन का प्रमाण पत्र नहीं मिला है। अब इसी मामले में ताज़ा गिरफ्तारी राजेश पांडे की हुई है जिसे बारामती पुलिस ने गिरफ्तार कर मुंबई पुलिस को सूचित किए जाने के बाद आरोपी को हिरासत में लेने के लिए मुंबई पुलिस रवाना हो चुकी है।

कॉरपोरेट घरानों और रहवासी सोसाइटियों को वैक्सीनेशन कैंप लगाने की पेशकश करना, उन्हें कोविड वैक्सीन की डोज उपलब्ध कराने का आश्वासन देना, ‘कोविशील्ड’ लिखी शीशियां यानी नकली वैक्सीन मुहैया कराना, ‘सरकारी नियमों’ का हवाला देकर शिविरों में फोटोग्राफी करने से रोकना, नकद भुगतान लेना और खुराक लेने वाले लोगों को वैक्सीनेशन का सर्टिफिकेट कुछ दिनों के भीतर उनके मोबाइल नंबरों पर भेजे जाने की बात कहकर वहां से गायब हो जाना। ऐसी घटनाओं और शिकायतों के बाद मुंबई पुलिस इन आरोपियों की धर-पकड शुरु कर दी है।

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मुंबई पुलिस से मिली जानकारी के मुताबिक, कुछ लोगों के एक नेटवर्क ने 25 मई से 6 जून के बीच आठ नकली वैक्सीनेशन कैंप लगाकर मुंबई और ठाणे में कम से कम 2,685  लोगों को कथित तौर पर ठगा है। पुलिस ने कहा कि इन वैक्सीनेशन कैंपों में वैक्सीन लगवाने वाले कुछ लोगों को तो बाद में वैक्सीनेशन का सर्टिफिकेट भी मिला, लेकिन विभिन्न अस्पतालों के नाम और गलत तारीखों के साथ मिला है।

नकली वैक्सीनेशन

यहां मामले में मुख्य आरोपी के रूप में ‘मालाड़ मैडिकल एसोशिएट’ महेंद्र सिंह के बाद कांदिवली चारकोप शिवम अस्पताल के डॉ. त्रिपाठी के आत्मसमर्पण के दूसरे ही दिन पुणे की बारामती पुलिस ने राजेश पांडे नामक आरोपी को गिरफ्तार करने की जानकारी प्राप्त हो रही है। मिली जानकारी के मुताबिक बारामती पुलिस ने पुणे, बारामती के भिगवण रोड़ स्थित अमृता लॉज से मुंबई के नकली वैक्सीनेशन मामले में आरोपी राजेश पांडे को गिरफ्तार कर मुंबई पुलिस को सूचित किया है। इसी के साथ ही मुंबई की कांदिवली पुलिस आरोपी राजेश पांडे को हिरासत में लेने के लिए बारामती रवाना हुई और जल्द ही आरोपी को मुंबई लाया गया।

वैक्सीन की मांग

देश में जैसे-जैसे कोविड के वायरस से लड़ने के लिए वैक्सीन की मांग बढ़ी है, वैसे-वैसे कथित फर्जी वैक्सीनेशन कैंप लगाकर लोगों को धोखा देने की खबरें भी आई हैं। पिछले हफ्ते कोलकाता में फर्जी वैक्सीनेशन कैंप की जानकारी मिलने के बाद अब मुंबई और ठाणे में भी ऐसी ही जालसाजी की शिकायतें सामने आ रही हैं। हालांकि, कोलकाता में वैक्सीनेशन कैंप आयोजित करने वाले फर्जी आईएएस अधिकारी ने टीका लगाने के लिए पैसे नहीं लिए, लेकिन मुंबई और ठाणे में आयोजित वैक्सीनेशन कैंप मुफ्त नहीं थे। यहां वैक्सीन लगवाने वालों से प्रति खुराक 1 हजार से 12 सौ रुपये लिए गए है।

वैक्सीनेशन प्रमाणपत्र

यहां वैक्सीनेशन कराने वालों में से कई को अभी अपने प्रमाणपत्र नहीं मिले हैं, जिन्हें मिले भी हैं उनके प्रमाणपत्रों पर अस्पताल के नाम और वैक्सीनेशन की तारीख गलत लिखी गई है। इसके साथ ही पुलिस की जांच में पता चला कि कोविशील्ड की खाली शिशीयों में मिनरल वाटर भर कर लोगों सूई लगा दी गई थी। हालांकि, पुलिस ने बताया कि टीका लगवाने वालों में से किसी ने अब तक किसी भी स्वास्थ्य समस्या या किसी दुष्प्रभाव की शिकायत नहीं की है।

फर्जी वैक्सीनेशन कैंप घोटाले

मुंबई पुलिस से मिली जानकारी के मुताबिक, अब तक फर्जी वैक्सीनेशन कैंप घोटाले को लेकर 7 अलग-अलग पुलिस एफआईआर दर्ज हो चुके हैं! जिनमें बड़े पैमाने पर लोगों का एक ही समूह शामिल है। इस संबंध में अब तक 12 गिरफ्तारियां हो चुकी हैं! ठाणे पुलिस ने ऐसा ही एक और मामला दर्ज किया है।

स्वास्थ्य समस्या

मुंबई पुलिस परिमंडल 11 के पुलिस उपायुक्त विशाल सिंह ठाकुर ने बताया, कि ‘हम इस तरह के और शिविरों के बारे में सुराग ढूंढ़ रहे हैं। इसकी जांच भी की जा रही है कि इन वैक्सीनेशन कैंप में वैक्सीन लेने वालों को कोई स्वास्थ्य समस्या तो नहीं हो रही है! आप को बता दें, कि मामले में महाराष्ट्र राज्य सरकार की ओर से एसआईटी (SIT) टीम का गठन किया गया है जिसकी अगुवाई पुलिस उपायुक्त विशाल सिंह ठाकुर कर रहे हैं।

नकद भुगतान, कोई सर्टिफिकेट नहीं

मई में एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म रिन्यूबाय में एचआर प्रमुख को सीमा आहूजा नामक एक महिला का फोन आया, जिसने कथित तौर पर दावा किया कि वह और उनके सहयोगी रिन्यूबाय के कर्मचारियों, चैनल भागीदारों और उनके परिवारों के लिए कोविड वैक्सीनेशन कैंप आयोजित कर सकते हैं। ठाणे पुलिस में दर्ज एफआईआर के मुताबिक, सीमा आहूजा ने कथित तौर पर इसके लिए प्रति खुराक 1,000 रुपये लेने की बात कही।

वैक्सीन की खुराक

मिली जानकारी के मुताबिक, 25 जून की एफआईआर में बताया गया है, कि आहूजा ने कहा था कि ‘मलाड मेडिकल एसोसिएशन’ के एक पदाधिकारी महेंद्र सिंह वैक्सीन की खुराक की व्यवस्था करेंगे और रिन्यूबाय कर्मचारी को यह आश्वासन भी दिया था कि महेंद्र सिंह मुंबई और ठाणे में ऐसे वैक्सीनेशन कैंप आयोजित करते रहे हैं। कंपनी ने प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया और 26 मई को सुबह 10 बजे से दोपहर 1 बजे के बीच उनके ठाणे स्थित कार्यालय में एक वैक्सीनेशन कैंप लगाया गया! इस कैंप में लगभग 116 लोगों को वैक्सीन लगाया गया और वैक्सीन लगवाने वालों को अपने आधार कार्ड दिखाने के लिए कहा गया।

कोविशील्ड

रिन्यूबाय में क्लस्टर सेल्स मैनेजर उर्णव हीरालाल दत्ता ने ठाणे के दर्ज एफआईआर में बताया है, कि वैक्सीनेशन कैंप लगने वाले दिन सीमा आहूजा तीन लोगों के साथ आई और उन्हें ‘श्रीकांत माने, करीम (कथित रूप से एक कंपाउंडर) और संजय गुप्ता’ के तौर पर उन तीनों से परिचित कराया।” शिकायत में दत्ता ने यह भी बताया, कि “श्रीकांत माने ने मुझे एक दवा की बोतल दिखाई, जिस पर ‘कोविशील्ड’ लिखा था। उसके बाद सुबह 10 बजे से दोपहर 1 बजे के बीच 116 लोगों को खुराक मिली, जब कुछ कर्मचारियों ने टीका लगवाते हुए फोटो क्लिक करना शुरू किया, तो सीमा आहूजा और श्रीकांत माने ने उन्हें यह कहते हुए रोका कि फोटोग्राफी की अनुमति नहीं है। लेकिन फिर कुछ कर्मचारियों ने फोटो खींच लिए।”

दत्ता ने कहा, वैक्सीनेशन के बाद जब उन्होंने आहूजा को 116 वैक्सीन के लिए 1.16 लाख रुपये का चेक दिया तो उसने नकद भुगतान यानी कैश रकम पर जोर दिया और हाथ से लिखी हस्ताक्षर वाली रसीद दे दी। एफआईआर में कहा गया है कि उसने यह भी कहा कि आठ दिन के अंदर लाभार्थियों के मोबाइल फोन या ईमेल आईडी पर वैक्सीन प्रमाणपत्र प्राप्त हो जाएगा।

भोईवाड़ा पुलिस स्टेशन में दर्ज एक अन्य एफआईआर

अगले ही दिन माने को परेल स्थित पोदार सेंटर में एक और वैक्सीनेशन कैंप लगाने का अनुरोध मिला। भोईवाड़ा पुलिस स्टेशन में दर्ज एक अन्य एफआईआर मुताबिक, रिन्यूबाय और पोदार दोनों से संबद्ध रहे एक निर्माण ठेकेदार ने बताया है, कि उसे रिन्यूबाय के वैक्सीनेशन कैंप में कोविड की वैक्सीन लगाई गई थी और उसी ने माने को पोदार सेंटर में असिस्टेंट पर्चेज मैनेजर शंकर केसरी के पास भेजा था।

23 जून को दर्ज एफआईआर में केसरी ने कहा कि उन्होंने तुरंत माने से संपर्क किया, जिसने कथित तौर पर उन्हें बताया कि उनके हेड महेंद्र सिंह, कांदिवली के चारकोप स्थित शिवम अस्पताल के माध्यम से केसरी के कार्यालय के लिए वैक्सीनेशन कैंप की व्यवस्था कर सकते हैं। एफआईआर के मुताबिक, उन्होंने वैक्सीन की प्रति खुराक के लिए 1,200 रुपये मांगे थे।

तरीका था एक जैसा..

28 और 29 मई को वैक्सीनेशन के दिन आहूजा और माने के साथ तीन व्यक्ति डॉक्टर के भेष में आए थे। एफआईआर में कहा गया है कि महेंद्र सिंह भी वहां मौजूद था और उसने ही केसरी को दवा की एक बोतल दिखाई, जिस पर ‘कोविशील्ड’ लिखा था। अभियान के बाद पोदार सेंटर ने 2,44,800 रुपये का नकद भुगतान कर हस्तलिखित रसीद प्राप्त की। यहां भी वैक्सीन लगवाने वाले सभी 207 लोगों को भरोसा दिया गया कि उनके वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट आठ दिनों के भीतर आ जाएंगे।

नानावटी अस्पताल और लाइफलाइन मेडिकेयर

सर्टिफिकेट आखिरकार 12 जून के बाद पहुंचे और इसमें वैक्सीनेशन की अलग-अलग तारीखों का जिक्र था। वैक्सीनेशन स्पोट की जगह पर नानावटी अस्पताल और लाइफलाइन मेडिकेयर का नाम लिखा गया था। केसरी ने अपनी एफआईआर में कहा, कि “श्रीकांत माने ने मुझे बताया था कि जिस दिन डाटा कोविड पर अपलोड हो जाता है, वह तारीख वैक्सीनेशन की तिथि के तौर पर दिखाई देती है, और चूंकि उनका पांच अलग-अलग अस्पतालों के साथ करार है, इसलिए इन्हीं में से किसी एक का नाम सर्टिफिकेट पर दिख सकता है।”

वहीं, रिन्यूबाय को कैंप में वैक्सीन लगवाने वाले 112 लोगों में से सिर्फ चार को वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट मिले, जिसमें वैक्सीनेशन की तारीख 6 जून और 11 जून और वैक्सीनेशन कैंप की जगह नानावटी अस्पताल और लाइफलाइन मेडिकेयर अस्पताल के रूप में दर्ज है। बाकी 108 का सर्टिफिकेट आना अब भी बाकी है।

मोहरे बनाकर इस्तेमाल

महेंद्र सिंह, माने, करीम, गुप्ता और आहूजा उन 11 लोगों में शामिल हैं जिन्हें इस मामले में पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है। मामले की जांच करने वाले ठाणे के एक पुलिस अधिकारी ने कहा, कि “महेंद्र सिंह घोटाले के पीछे मुख्य व्यक्ति लगता है, जबकि अन्य को सिर्फ मोहरे बनाकर इस्तेमाल किया गया हो सकता है। लेकिन, चूंकि आरोपी की कस्टडी मुंबई पुलिस के पास है, इसलिए हम इस समय मामले में इससे ज्यादा कुछ नहीं कह सकते।”

‘फर्जी’ वैक्सीनेशन पर मिली और जामकारी..

पुलिस को ऐसे और भी ‘फर्जी’ वैक्सीनेशन घोटाले की शिकायतें मिली हैं। 17 जून को कांदिवली स्थित हिरानंदानी हेरिटेज हाऊसिंग सोसायटी की तरफ से दर्ज शिकायत में 30 मई को उनके कॉम्प्लेक्स में एक कथित फर्जी वैक्सीनेशन कैंप आयोजित होने की जानकारी दी गई है। इसमें 390 लोगों को वैक्सीन लगाया गया था और उनसे प्रति खुराक 1,260 रुपये लिए गए थे।

हाउसिंग कॉम्प्लेक्स में रहने वालों ने बताया कि उन्हें वैक्सीन का कोई साइड इफेक्ट नहीं हुआ था और कई दिनों तक उनके सर्टिफिकेट नहीं मिले थे। अंत में जो कुछ सर्टिफिकेट आए, उनमें वैक्सीनेशन सेंटर के तौर पर नानावटी, लाइफलाइन मेडिकेयर और नेस्को कोविड केयर सेंटर जैसे अस्पतालों के नाम दर्ज थे।

हिरानंदानी हेरिटेज हाउसिंग सोसाइटी

हालांकि, हीरानंदानी में फर्जी वैक्सीनेशन कैंप का आयोजन रिन्यूबाय और पोदार सेंटर की तुलना, बाद की तारीख में लगा था लेकिन सबसे पहले शिकायत हिरानंदानी हेरिटेज हाउसिंग सोसाइटी की तरफ से ही हुई थी। इस मामले में दर्ज आठ एफआईआर में इसकी एफआईआर पहली है, और मुंबई पुलिस ने महेंद्र सिंह और तीन अन्य को 18 जून तक गिरफ्तार कर लिया था।

जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ी, सबूतों के आधार पर पुलिस ने और ज्यादा एफआईआर दर्ज की जो एक ही समूह की तरफ से ऐसे और फर्जिवाडे किए जाने के संबंध में हैं।

कोविड़ की वैक्सीन

वर्सोवा में एक कैंप लगाकर आरोपियों ने म्यूजिक कंपनी टिप्स इंडस्ट्रीज और प्रोडक्शन फर्म माचिस पिक्चर्स से जुड़े 151 लोगों को कोविड़ की वैक्सीन दी। टिप्स के लिए खार में आयोजित एक अन्य कैंप में 206 अन्य लोगों का वैक्सीनेशन किया गया। आरोपियों ने बोरीवली में आदित्य कॉलेज के 225 कर्मचारियों और उनके परिवारों, निजी फर्म मानसी शेयर्स एंड स्टॉक के 514 स्टाफ मेंबर को वैक्सीन लगाने के अलावा बैंक ऑफ बड़ौदा के 40 कर्मचारियों के लिए मलाड में एक फर्जी कैंप भी लगाया था।

मुख्य सूत्रधार कौन?

मुंबई पुलिस ने महेंद्र सिंह और मंगलवार को पुलिस के सामने आत्मसमर्पण करने वाले एक अन्य डॉ. मनीष त्रिपाठी को मामले में मुख्य आरोपी के रूप में नामित किया है। पुलिस त्रिपाठी की तलाश कर रही थी क्योंकि जांच में उसके इस पूरे मामले में शामिल होने का पता चला था! उसने अपनी अग्रिम जमानत याचिका खारिज होने के बाद आत्मसमर्पण कर दिया है। पिछले हफ्ते पुलिस की ओर से जारी एक बयान के मुताबिक, उसके दोनों बैंक खातों को फ्रीज कर दिया गया था।

तौर-तरीकों पर संदेह

मलाड मेडिकल एसोसिएशन के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने बताय, कि “महेंद्र सिंह 17 साल से इस एसोसिएशन की प्रशासनिक विंग में काम कर रहा था, लेकिन लगभग दो महीने पहले ही उसने इसे छोड़ दिया। महेंद्र सिंह उत्तर प्रदेश के एक छोटे से शहर का रहने वाला है और बहुत मेहनती है। हम उसे जो काम सौंपते थे वह उसे पूरा करा देता था। हालांकि, कई बार उसके तौर-तरीकों पर संदेह होता था।”

चेतावनी भी दी

उन्होंने यह भी कहा, कि “महेंद्र सिंह काम करवाने के लिए अपने नेटवर्क का बखूबी इस्तेमाल करना जानता है। हालांकि, उसकी गतिविधियां सिर्फ इस एसोसिएशन के कामकाज तक ही सीमित नहीं थीं।” एसोसिएशन कर्मचारी ने कहा, ‘हमने उसे इस बारे में चेतावनी भी दी थी, क्योंकि वह किसी जगह पर मलाड मेडिकल एसोसिएशन के प्रतिनिधि के तौर पर पहुंचा था, जो काम एसोसिएशन से जुड़ा नहीं था। फिर कुछ महीने बाद ऐसी ही एक घटना हुई और फिर उसने एसोसिएशन छोड़ दिया। मैंने सुना था कि वह वैक्सीनेशन अभियान के आयोजन में शामिल था, लेकिन मुझे यह संदेह नहीं था कि कोई घोटाला होगा।”

शिवम अस्पताल का भूतल परिसर

दूसरा मुख्य आरोपी त्रिपाठी एक नर्सिंग इंस्टीट्यूट केसीईपी प्राइवेट लिमिटेड चलाता है, जिसकी स्थापना उसने सितंबर 2020 में की थी, और बताया जाता है कि उसने वैक्सीन के ट्रांसपोर्ट और उन्हें लगाने के काम में अपने कुछ छात्रों का इस्तेमाल किया था। मुंबई पुलिस के एक अधिकारी के अनुसार, त्रिपाठी पहले से ही महेंद्र सिंह को जानता था और उसने ही शिवम अस्पताल का भूतल परिसर (अंडर ग्रांउड एरिया) किराये पर लिया था, जहां से संभवत: टीके की शीशियां आई थीं।

बृहन्मुंबई महानगर पालिका ने शिवम अस्पताल को 28 अप्रैल तक कोविड वैक्सीनेशन के लिए एक प्राइवेट सेंटर के रूप में अधिकृत किया था। मुंबई पुलिस ने पिछले हफ्ते शिवराज और नीता पटारिया, जो दोनों डॉक्टर और शिवम अस्पताल के मालिक हैं, को घोटाले में संभावित संलिप्तता और फर्जी वैक्सीन खुराक की आपूर्ति मुहैया कराने के आरोप में गिरफ्तार किया था। इसके साथ ही गोरेगांव पूर्व के नेस्को कोविड केयर सैंटर से एक महिला कर्मचारी गुड़िया यादव को गिरफ्तार किया गया है, जिसेने नकली सर्टिफिकेट जारी करने में मदद की थी।


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