- SRA योजना के अंतर्गत बनी बिल्डिंगो में बाहरी लोगो को फ्लैट बेचने से नाराज़ जनता
- नगरसेवक कमलेश यादव पर लगे पक्षपात करने के आरोप
- बिल्डर का दलाल और चोर जैसे अलंकारों से विभूषित: वीडियो हुआ वायरल
सुरेंद्र राजभर
मुंबई- बेशक! जनता अपने बहुमूल्य वोट देकर जिन्हें मनपा,विधानसभा और लोकसभा में अपना प्रतिनिधि बनाकर भेजते रहे हैं। वे एक बार चुने जाने के बाद जनता की सुधि लेने नहीं आते हैं। क्षेत्र समस्याओं से जूझता रहता है।जनता परेशान होती रहती है लेकिन ये कभी क्षेत्र के लोगों के पुरसा हाल जानना भी गंवारा नहीं करते। ऐसे लोग भला हमारे जनप्रतिनिधि कैसे हो सकते हैं?इन्हें हमारे क्षेत्र में आने और वोट मांगने की जरूरत नहीं है। SRA योजना
SRA योजना में बाहरी लोगो को फ्लैट बेचने से नाराज़ जनता
हम बात कर रहे हैं, एकता नगर कांदिवली (पश्चिम) मुंबई की। इस महानगर के त्रिस्तरीय प्रतिनिधि हैं। तीनों यदि सामंजस्य बनाकर जनता की परेशानियों का समाधान करते तो किसी भी क्षेत्र में कोई भी समस्या हो नहीं सकती लेकिन इन्हें अपना घर भरने, सात पीढ़ियों के लिए सामान जोड़ने से फुरसत कहां जो हमारी सोच भी सकें।
जब सांसद गोपाल शेट्टी और कमलेश यादव दोनों कांदिवली (पश्चिम) स्थित एकता नगर में पहुंचे तो वहां की स्थानिय जनता सड़क पर उतर आई और उनसे पांच सालो का हिसाब मांगने लगी जो उन्होंने एकता नगर की घनी आबादी वाली झोपड़पट्टी के लिए किया। जनता ने सवाल किया कि जब कोविड महामारी का आतंक पसरा था। जनता बेरोजगार हो गई थी। खाने के लिए घर में अन्न के दाने नही थे,तब कहां थे हमारे प्रतिनिधि? जनता का आक्रोश फूट पड़ा पुलिस सुरक्षा व्यवस्था भारी संख्या में थी। पुलिस ने उन्हें रोकने की कोशिश की तो जनता ने पुलिस वाले को अपनी तकलीफें बयां की। पुलिस भी हतप्रद थी।
सांसद का सहायक मानो गुस्से से भड़क उठा। इसके बाद जब प्रतिनिधि जाने लगे तो उन्हे बिल्डर का दलाल और चोर जैसे अलंकारों से विभूषित करने लगे। जोर जोर से चोर और बिल्डर का दलाल होने के नारे लगे। सांसद गोपाल शेट्टी और कमलेश यादव के मुंह से बोल भी नहीं फूट सके क्योंकि पीड़ित जनता से कहने के लिए कुछ था ही नही।
दरअसल झोपड़पट्टी पुनर्वासन योजना के अंतर्गत बनी बिल्डिंगो में बाहरी लोगो को फ्लैट बेचने से नाराज़ झोपड़ा धारकों की संख्या ज्यादा है। कमलेश यादव पर पक्षपात करने के भी आरोप लगाए गए। अब हमारे प्रतिनिधियों को सचेत हो जाना चाहिए कि जनता जाग उठी है। उसे आश्वासन नहीं न्याय चाहिए। अब नाम और पार्टी पर वोट मांगने के दिन लद गए।अब जनता के बीच रहने,उनकी तकलीफें देखने, सुनने और समाधान करने वाले प्रतिनिधि चाहिए।
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