मुंबई हवाई अड्डे पर 154 विदेशी जीवों के साथ तस्कर गिरफ्तार

Chhatrapati Shivaji Maharaj International Airport-मुम्बई में थाईलैंड से आए यात्री के सामान में छिपाकर लाई गई 154 एक्सोटिक सरीसृप व जीवों के साथ एक महिला तस्कर को कस्टम्स ने गिरफ्तार किया। जानिए पूरा मामला, कानूनी कार्रवाई और जैव-विविधता पर असर।

मुंबई: छत्रपति शिवाजी महाराज अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर कस्टम विभाग ने थाईलैंड से आने वाली एक महिला यात्री को 154 विदेशी और दुर्लभ जीवों के साथ गिरफ्तार किया है। इन जीवों में सर्प, छिपकलियाँ, कछुए व अन्य शामिल थे। तस्करी के इस कथित प्रयास के तहत महिला को कस्टम्स एक्ट व वन्य जीव संरक्षण अधिनियम के तहत दर्ज किया गया है।

मामला क्या है?

  • कस्टम विभाग के ज़ोन III टीम को मिली एक विशेष सूचना के आधार पर अड़ान से उतरते ही आरोपी यात्री की तलाशी ली गई।
  • उसकी सामान में मिले 154 विदेशी जीव थे — जिनमें कोर्न स्नेक्स, हॉगनोज़ स्नेक्स, बेअर्ड ड्रैगन, येलो एनाकॉन्डा आदि शामिल बताये गये।
  • बताया गया है कि ये जीव थाईलैंड से मुंबई लाए गए थे, तस्करी के उद्देश्य से।
  • इस कार्रवाई में कस्टम्स ने आरोपित महिला के खिलाफ Customs Act, 1962 तथा Wildlife (Protection) Act, 1972 के अंतर्गत मामला दर्ज किया है।

तस्करी के तरीके एवं जीवों की संवेदनशीलता

  • रिपोर्ट्स बताती हैं कि इन जीवों को प्लास्टिक कंटेनरों में छिपाकर लगेज में रखा गया था, जो जानवरों के लिए अत्यंत खतरनाक पाया गया।
  • विशेषज्ञों के अनुसार, इन विदेशी प्रजातियों की भारत में मांग बढ़ रही है — विशेष कर पालतू जानवर के रूप में — जिससे तस्करी को बढ़ावा मिलता है।
  • उल्लेखनीय है कि कुछ जीव (जैसे एनाकॉन्डा) भारत की मूल जैव विविधता से बिलकुल अलग हैं, और उनके अवैध आयात से न सिर्फ जानवरों को पीड़ा होती है बल्कि घरेलू इकोसिस्टम पर भी असर पड़ सकता है।

कानूनी और संरक्षण-प्रभाव

  • ये प्राणी अंतरराष्ट्रीय संधि Convention on International Trade in Endangered Species of Wild Fauna and Flora (CITES) के अंतर्गत आते हैं तथा बिना अनुमति आयात करना निषिद्ध है।
  • इन घटनाओं से पता चलता है कि भारत में वन्यजीव तस्करी बड़ी समस्या है — और ऐसे मामलों में सक्रिय निरोध व प्रवर्तन की आवश्यकता है।
  • पकड़े गए जीवों को अग्रिम तौर पर संरक्षण व स्वास्थ्य परीक्षण के लिए संबंधित एजेंसियों को सौंपा गया है — बाद में संभवतः उन्हें मूल देश वापस भेजा जाएगा।
अब सिर्फ 6 घंटे में मुंबई से गोवा! सफर बनेगा स्मूद और टूरिज्म को मिलेगा बूस्ट

क्यों यह मामला महत्वपूर्ण है?

  • यह तस्करी का गंभीर संकेत है — 154 जीवों की संख्या इस तरह के मामलों में बहुत बड़ी है।
  • यह जैव-विविधता संरक्षण की चुनौतियों को दर्शाता है — विदेशी प्रजातियों का अवैध आयात स्थानीय इकोसिस्टम को अस्थिर कर सकता है।
  • यह दर्शाता है कि हवाई अड्डों पर सक्रिय निगरानी एवं गहरी जांच कितनी महत्वपूर्ण है।
  • साथ ही यह आम नागरिकों को सचेत करता है कि पालतू जानवर के लिए विदेशी जीवों की खपत सिर्फ नियम-विपरीत नहीं बल्कि जानवरों के हित में भी नहीं है।

आगे क्या हो सकता है?

  • प्रवर्तन एजेंसियाँ तस्करी के स्रोत, नेटवर्क व मार्ग का पता लगायेंगी।
  • आरोपी के खिलाफ अभियोजन चल रहा है, कानूनी प्रक्रिया आगे बढ़ेगी।
  • पकड़े गए जीवों की देखभाल व संभवतः देश वापसी की प्रक्रिया होगी।
  • इस तरह की घटनाओं के पुनरावृत्ति रोकने के लिए हवाई अड्डों पर और कड़ी जाँच-निगरानी की संभावना बढ़ेगी।

Frequently Asked Questions (FAQ)

Q1: क्या इतने विदेशी जीव लाना कानूनन पूरी तरह से निषिद्ध है?
हाँ। इन जीवों में से बहुत सी प्रजातियाँ CITES की सूची में हैं और बिना अनुमति भारत में लाना कानूनी अपराध है।

Advertisements

Q2: पकड़े गए जीवों के साथ क्या होगा?
उनका स्वास्थ्य परीक्षण व देखभाल की जाएगी। फिर प्राधिकरणों के निर्देशानुसार संभवतः उन्हें मूल देश वापस भेजा जा सकता है।

Q3: यदि कोई व्यक्ति इन जानवरों को पालतू के रूप में रखना चाहता है तो क्या कर सकता है?
पालतू के रूप में जीव-प्रजातियों को रखने के लिए विशेष अनुमति चाहिए होती है। विदेशी प्रजातियों के लिए अधिक कड़े नियम होते हैं। बिना अनुमति रखना अपराध माना जा सकता है।

Q4: इस तरह की तस्करी क्यों होती है?
क्योंकि विदेशी और दुर्लभ जीवों की मांग पालतू बाजार में अधिक है, जिससे तस्करों को लाभ मिलता है। साथ ही जानवरों के लिए कम-सुरक्षित मार्ग व कम-कड़ी जाँच का फायदा मिलता है।


Discover more from  

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisements
Scroll to Top

Discover more from  

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading