नाबालिग से लैंगिक अत्याचार के खिलाफ मुंबई मे सेशन कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला। पोस्को कानून के तहत दिंडोशी सेशन कोर्ट ने आरोपी के खिलाफ 20 साल श्रम कारावास की कड़ी सजा सुनाते हुए 50 हजार रुपये का जुर्माने लगाकर ऐतिहासिक फैसला सूनाया है। (Court’s historic decision on sexual atrocities)
इस्माईल शेख
मुंबई- राज्य भर में महिलाओं और बच्चियों के साथ यौन उत्पीड़न को लेकर हो रहे जन आक्रोश के बीच मुंबई की एक अदालत ने यौन उत्पीड़न के खिलाफ गिरफ्तार एक आरोपी को ऐसी कड़ी सज़ा की सुनवाई, कि न्यायिक प्रक्रिया में इसे एक ऐतिहासिक फैसले के रूप में देखा जा रहा है। (Court’s historic decision on sexual atrocities)
बोरीवली (पश्चिम), एम.एच.बी.कॉलनी पुलिस थाने के वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक सुधीर कुडाळकर ने इसकी जानकारी देते हुए बताया, कि साल 2017 में नाबालिग बच्ची के साथ यौन उत्पीड़न के खिलाफ दर्ज मामले में शुक्रवार को दिंडोशी सेशन कोर्ट नंबर 15 की पीठ ने ऐतिहासिक फैसला सूना कर पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने का काम किया है। इसको लेकर पीड़ित परिवार भी संतोष व्यक्त किया। (Court’s historic decision on sexual atrocities)
क्या था मुकदमा?
एम.एच.बी.कॉलनी पुलिस थाने में दर्ज गु.र.क्र. 486/2017 में भारतीय दंड संहिता की धारा 378 (ड), 506(2) के साथ पोस्को कानून 4,6,8,12 के तहत गिरफ्तारी आरोपी शाहरुख अलीमुल्ला शेख को गोरेगांव पश्चिम के दिंडोशी सेशन कोर्ट नंबर 15 में सुनवाई के लिए पेश किया गया। जहां सरकारी पक्ष महाजन की वकालत में तत्कालीन जांच अधिकारी पुलिस निरीक्षक धनजय लिगाडे ने दोषारोप पत्र दायर किया। (Court’s historic decision on sexual atrocities)
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इस केस की सुनवाई के दौरान 376(ड) के अतिरिक्त धारा लगाकर माननीय न्यायाधीश ने 20 सालों की श्रम कारावास की कड़ी सजा सुनाते हुए 50 हजार जुर्माने का भी साथ में ठोक दिया है। और जुर्माने की राशि नहीं भरने की स्थिति में अतिरिक्त 3 महिनों की कड़ी सजा की सुनवाई करते हुए एतिहासिक फैसले को सूना दिया है। माना जा रहा है कि इससे राज्य और समाज में अपराध को रोकने में मदद मिलेगी। साथ ही पीड़ित पक्ष को भी न्याय पर विश्वास बना रहेगा। (Court’s historic decision on sexual atrocities)
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