- SRA व मनपा के अधिकारी सहित बिल्डर मालामाल: निवासी बेचारे बेहाल।
सुरेंद्र राय
मुंबई: महानगर मुंबई में ऐसा चलन रहा है, कि जो भी उपयोगी काम जनता के लिए किए जाते हैं, उन्हें या तो कोई विभाग संभालता है या फिर ठेकेदारों को दे दिया जाता है। जनोपयोगी कार्य या निर्माण चाहे जैसे भी कराया जाता हो किंतु उसके निर्माण में निर्माण कर्ता अधिक से अधिक पैसे बचाने की कोशिश करता है, जिसका असर यह पड़ता है कि कार्य या निर्माण अत्यंत घटिया किस्म का और घटिया निर्माण सामग्री वाला होता है। यही हाल है झोपड़पट्टी पुनर्वसन प्राधिकरण (SRA) का, जो बिल्डरों को पुनर्वसन हेतु घर बनाने का ठेका दे देता है, जिसमें बिल्डर मनमानी काफी कुछ काम करते हैं।
SRA की योजना में घटिया बिल्डिंग निर्माण ..
काम भले ही घटिया हो लेकिन वह बिल्डर या सारे अधिकारियों को समय-समय पर आर्थिक भेंट और अनेक उपहारों से खुश करते रहते हैं। महानगर मुंबई में भी झोपड़पट्टी पुनर्वसन प्राधिकरण (SRA) योजना के तहत बनाई गई घटिया इमारतों के कई मामले प्रकाश में आये हैं।
जानकारी के अनुसार एसआरए ने गोरेगांव झोपड़पट्टी पुनर्वसन योजना के तहत इमारत की पार्किंग में आग जैसी घटनाओं की पुनरावृत्ति से बचने के लिए डेवलपर्स और आर्किटेक्ट्स को नए निर्देश जारी किए हैं। हालांकि, प्राधिकरण के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि ऐसी घटनाएं भविष्य में भी हो सकती हैं, जब तक कि सहकारी आवास सोसायटी द्वारा उन इमारतों के लिए आवश्यक देखभाल नहीं की जाती हैं तथा जो पूरी हो चुकी हैं, उन्हें आवासीय प्रमाण पत्र जारी किया जाता है। इसकी जिम्मेदारी डेवलपर की होती है। इसके बाद भवन महापालिका को सौंप दिया जाता है।
इसे भी पढ़ें:- Mumbai: ट्रेफ़िक पुलिस में हुई भर्ती तो चांदी ही चांदी ..
बता दें, कि झोपड़पट्टी पुनर्वसन में अब तक ढाई लाख फ्लैटों को रहने योग्य प्रमाणपत्र दिया जा चुका है। अधिकांश इमारतों की त्रिवर्षीय अवधि समाप्त हो गई है, इसलिए रखरखाव की जिम्मेदारी अब संबंधित सहकारी आवास समितियों की है। लेकिन यह पाया गया है, कि इन आवास संगठनों द्वारा उचित सावधानी नहीं बरती जा रही है। इसलिए अब प्राधिकरण द्वारा इसकी दोबारा समीक्षा की जाएगी। स्लम पुनर्वास प्राधिकरण के मुख्य कार्यकारी अधिकारी सतीश लोखंडे ने कहा, कि सभी पुनर्वास भवनों के डेवलपर्स और वास्तुकारों को दिशानिर्देश जारी किए जाएंगे और दावा किया गया है कि फायर ब्रिगेड द्वारा ‘अनापत्ति प्रमाण पत्र’ जारी करने के बाद ही रहने योग्य प्रमाण पत्र जारी किया गया था। उसके बाद तीन साल की अवधि के लिए बिल्डरों की जिम्मेदारी व देनदारी को लागू करने के आग्रह की ओर से एसआरए ने अपनी आंखें बंद कर ली हैं।
गोरेगांव की जिस इमारत में आग लगी वह सात मंजिला इमारत थी। जबकि झोपड़पट्टी पुनर्वास में 42 मंजिला टावर खड़े हैं। ऐसे टावरों को रहने योग्य प्रमाण पत्र देने के बाद डेवलपर की जिम्मेदारी केवल तीन साल तक होती है, तो असली परीक्षा इन टावरों में रहने वाले निवासियों के लिए होती है। सवाल यह है कि ऐसे टावरों के रखरखाव की देखभाल संबंधित सहकारी आवास सोसायटी द्वारा कैसे की जाएगी इसका कोई प्रारूप एसआरए ने नहीं पेश किया है। महापालिका के पी/उत्तर विभाग कार्यालय में बार-बार की शिकायतों कि गोरेगांव में दुर्घटना ग्रस्त इमारत में पार्किंग स्थल और सड़क पर बाधाएं डाली जा रही हैं। इस पर मनपा अधिकारी भी चुप बैठे हैं।
इसे भी पढ़ें:-Mumbai: गोरेगांव में 7 मंजिला इमारत में भीषण आग, 46 लोग झुलसे, 8 की मौत
Discover more from
Subscribe to get the latest posts sent to your email.
Pingback: क्राईम खुलासा: चोरी करके भाग रहा था चोर .... Spider-man thief