महाराष्ट्र सरकार ने मुंबई को पुराने ‘पगड़ी सिस्टम’ से मुक्त करने के लिए नया रेग्युलेटरी फ्रेमवर्क बनाने का बड़ा फैसला किया। इससे 19,000 से ज्यादा पुरानी इमारतों के पुनर्विकास का रास्ता साफ होगा।
मुंबई: महाराष्ट्र सरकार ने मुंबई को दशकों पुराने ‘पगड़ी सिस्टम’ से बाहर निकालने की बड़ी पहल की है। डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे ने विधानसभा में घोषणा की कि शहर के पुराने पगड़ी मॉडल पर चलने वाले मकानों के लिए एक अलग रेग्युलेटरी फ्रेमवर्क तैयार किया जाएगा, जिससे किरायेदारों और मकान मालिकों — दोनों के हक सुरक्षित रहेंगे और 19,000 से ज्यादा जर्जर इमारतों का पुनर्विकास तेज होगा। यह निर्णय मुंबई की रियल एस्टेट मार्केट को मजबूत करने और सालों से लंबित हजारों विवादों को खत्म करने की दिशा में अहम कदम माना जा रहा है।
क्या है पगड़ी सिस्टम और क्यों जरूरी पड़ा बदलाव?
मुंबई में दशकों से चल रहा पगड़ी सिस्टम एक ऐसा मॉडल है जिसमें किरायेदार मकान में रहने के लिए एकमुश्त रकम देकर आंशिक मालिकाना हक जैसा अधिकार पा लेता है।
- किराया बेहद कम
- सबलेट करने की अनुमति
- मकान मालिक को वास्तविक मूल्य का लाभ नहीं
इस सिस्टम के कारण मकान मालिकों और किरायेदारों के बीच अक्सर विवाद खड़े होते रहे हैं। कई केस तो दशकों से अदालत में लंबित हैं।
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मुंबई में 19,000 से ज्यादा इमारतें पगड़ी सिस्टम में
डिप्टी सीएम शिंदे ने बताया कि मुंबई में करीब 19,000 पुरानी, प्री-1960 सीज्ड इमारतें पगड़ी सिस्टम पर चल रही हैं।
इनमें से—
- कई इमारतें पहले ही जर्जर हो चुकी हैं
- कुछ ढह चुकी हैं
- और 13,000 से ज्यादा अभी भी पुनर्विकास का इंतज़ार कर रही हैं
यह सारी इमारतें महाराष्ट्र रेंट कंट्रोल एक्ट के दायरे में आती हैं, जिससे किरायेदार सुरक्षित रहते हैं, लेकिन मकान मालिक अपने अधिकारों की उचित भरपाई न मिलने की शिकायत करते हैं।

क्यों आया रेग्युलेटरी फ्रेमवर्क का विचार?
शिंदे ने विधानसभा में बताया—
- 28,000 से ज्यादा किरायेदार–मकान मालिक विवाद अदालतों में अटके हैं
- पुराने कानून जमीन पर असरदार साबित नहीं हो रहे
- पुनर्विकास बाधित होने से इमारतें खतरे में हैं
सरकार अब हाईकोर्ट की मंजूरी से फास्ट-ट्रैक कोर्ट बनाएगी, ताकि सभी मामले तीन साल के भीतर निपट जाएं।
कमजोर वर्ग के लिए मुफ्त पुनर्निर्माण की सुविधा
FSI (Floor Space Index) बढ़ाना काफी नहीं है—यह बात भी शिंदे ने साफ कही।
EWS और LIG वर्ग के पगड़ी धारकों के लिए—
- मुफ्त पुनर्निर्माण
- टेनेंट हिस्से के बराबर FSI
- लैंड ओनर को मूल FSI
- इंसेंटिव FSI
अगर जमीन की ऊंचाई सीमा या अन्य रुकावटों के कारण FSI का पूरा उपयोग नहीं हो पाया, तो बचा हुआ FSI TDR (Transfer of Development Rights) के रूप में दिया जाएगा।
पुरानी इमारतों के लिए खुला रास्ता
सरकार का कहना है कि यह नया फ्रेमवर्क—
- जर्जर इमारतों के गिरने के खतरे को रोकेगा
- जीवन और संपत्ति दोनों की सुरक्षा करेगा
- लंबे समय से अटकी पुनर्विकास परियोजनाओं में नई जान डालेगा
साथ ही मौजूदा पुनर्विकास विकल्प 33(7) और 33(9) भी उपलब्ध रहेंगे।
मकान मालिक और किरायेदार—दोनों के लिए फायदे
सरकार के अनुसार—
- किरायेदारों का पुनर्विकास और घर की सुरक्षा
- मकान मालिकों को उचित हिस्सा और कानूनी राहत
- लंबे विवादों का निपटारा
- शहर में रियल एस्टेट मार्केट को बल
यह सिस्टम दोनों पक्षों के लिए न्यायसंगत समाधान प्रदान करेगा।
FAQ सेक्शन
1. पगड़ी सिस्टम क्या होता है?
एक पुराना किरायेदारी मॉडल जिसमें किरायेदार एकमुश्त रकम देकर कम किराए पर आंशिक मालिकाना अधिकार जैसा लाभ पाता है।
2. मुंबई में कितनी पगड़ी इमारतें हैं?
करीब 19,000 से ज्यादा इमारतें पगड़ी सिस्टम में आती हैं।
3. नया फ्रेमवर्क कब लागू होगा?
सरकार ने प्रक्रिया शुरू कर दी है, विस्तृत नियम जल्द सामने आएंगे।
4. क्या किरायेदारों के अधिकार सुरक्षित रहेंगे?
हाँ, सरकार ने साफ कहा है कि किरायेदार और मकान मालिक दोनों के हित सुरक्षित रखे जाएंगे।
5. क्या सभी केस जल्द निपटेंगे?
फास्ट-ट्रैक कोर्ट के जरिए सभी 28,000 केस अगले तीन साल में निपटाने की योजना है।
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