मुंबई के गोरेगांव से दहिसर तक अब बीएमसी लगाएगी वॉटर मीटर। पानी की सप्लाई में दबाव की कमी और लीकेज की पहचान होगी आसान। पश्चिमी उपनगरों में पानी की कमी पर अब सख्ती से नज़र रखी जाएगी।
मुंबई: शहर में पानी की सप्लाई से जुड़ी समस्याओं को हल करने के लिए बृहन्मुंबई महानगरपालिका (BMC) अब एक नई पहल शुरू करने जा रही है।
गोरेगांव से लेकर दहिसर तक के वेस्टर्न उपनगरों (Western Suburbs) में अब वॉटर मीटर (Water Meter) लगाए जाएंगे, जिससे न सिर्फ पानी का दबाव (Water Pressure) मॉनिटर किया जा सकेगा, बल्कि लीकेज और कंटैमिनेशन जैसी दिक्कतों का तुरंत पता चल सकेगा।
बीएमसी का मानना है कि इन वॉटर मीटरों से न्यायसंगत जल वितरण (Equitable Water Distribution) सुनिश्चित किया जा सकेगा और लंबे समय से परेशान इलाकों में राहत मिलेगी।
🚰 गोरेगांव से दहिसर तक वॉटर मीटर लगाने की योजना
बीएमसी अधिकारियों के मुताबिक, पहले चरण में गोरेगांव, कांदिवली, बोरीवली, दहिसर और मलाड (Marve क्षेत्र सहित) जैसे इलाकों में वॉटर मीटर लगाए जाएंगे।
इन इलाकों में पिछले चार महीनों से लगातार कम दबाव की पानी की सप्लाई (Low Water Pressure) की शिकायतें मिल रही हैं।
हालांकि मुंबई के सात झीलों में पर्याप्त पानी का भंडार मौजूद है, लेकिन पश्चिमी उपनगरों में पाइपलाइन दबाव और लीकेज की समस्या की वजह से कई सोसायटियों को अब भी कम सप्लाई मिल रही है।
📉 कम दबाव की समस्या बनी बड़ी चुनौती
केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल (Piyush Goyal) ने हाल ही में उत्तर मुंबई के पानी संकट की समीक्षा बैठक की थी।
उन्होंने बताया कि दहिसर, मागाठाणे और कांदिवली जैसे इलाकों में पानी का दबाव 40-45 लेवल तक ही रह जाता है, जबकि आदर्श स्तर 60-65 होना चाहिए।
गोयल ने बीएमसी को सुझाव दिया कि ऐसे इलाकों में जोनल प्रेशर मीटर (Zonal Pressure Meter) लगाकर सप्लाई को ट्रैक किया जाए ताकि तुरंत सुधार किया जा सके।
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🧾 प्रदूषित पानी और पाइपलाइन लीकेज पर सख्त निगरानी
बैठक में मंत्री ने कहा कि सबसे पहले प्रदूषित पानी और पाइपलाइन लीकेज जैसी शिकायतों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि प्रभावित इलाकों का डिजिटल मैप तैयार किया जाए और सुधारात्मक कदम तुरंत उठाए जाएं।
हालांकि कुल सप्लाई बढ़ाने में समय लगेगा, लेकिन यह मॉनिटरिंग सिस्टम तत्काल राहत देने में मदद करेगा।
🗣️ स्थानीय नेताओं की मांग – ‘बराबर पानी सप्लाई हो’
बोरीवली के विधायक संजय उपाध्याय ने कहा,
“शहर के दक्षिण हिस्से से बड़ी आबादी उपनगरों में शिफ्ट हो चुकी है, लेकिन पानी का वितरण उसी पुराने पैटर्न पर है। पश्चिमी उपनगरों को अब भी कम सप्लाई दी जा रही है, जो अनुचित है।”
स्थानीय नेताओं ने मांग की है कि बीएमसी सप्लाई की रफ्तार बढ़ाए और वॉटर मीटर के जरिए पारदर्शी सिस्टम लाए।
🏙️ बीएमसी की उम्मीद – अगले साल तक बड़ा बदलाव
बीएमसी इंजीनियरिंग विभाग का कहना है कि अगले छह से आठ महीनों में यह वॉटर मीटरिंग प्रोजेक्ट पूरा कार्यान्वित (Implemented) हो जाएगा।
इसके बाद हर ज़ोन में डिजिटल डेटा के ज़रिए पानी की खपत, दबाव और लीकेज की जानकारी रियल टाइम में मिल सकेगी।
❓ FAQ सेक्शन
Q1. बीएमसी कहां-कहां वॉटर मीटर लगाएगी?
👉 पहले चरण में गोरेगांव से दहिसर तक के वेस्टर्न उपनगरों में।
Q2. इस योजना का मुख्य उद्देश्य क्या है?
👉 पानी का दबाव मॉनिटर करना, लीकेज पकड़ना और न्यायसंगत सप्लाई सुनिश्चित करना।
Q3. कौन-कौन से इलाके सबसे ज्यादा प्रभावित हैं?
👉 मागाठाणे, दहिसर, कांदिवली (वेस्ट) और मलाड (वेस्ट) के मार्वे क्षेत्र।
Q4. क्या केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने इस पर कोई कदम उठाया है?
👉 हां, उन्होंने बीएमसी को मीटर लगाने और पाइपलाइन लीकेज पर सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।
Q5. यह प्रोजेक्ट कब तक पूरा होगा?
👉 बीएमसी का लक्ष्य है कि अगले 6–8 महीनों में इसे पूरी तरह लागू किया जाए।
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