मुंबई स्लम रीडेवलपमेंट: सुप्रीम कोर्ट ने जमीन मालिक के अधिकार को माना, सरकारी अधिग्रहण नोटिस रद्द

सुप्रीम कोर्ट ने मुंबई के कुर्ला इलाके की जमीन पर बड़ा फैसला सुनाते हुए कहा कि स्लम रीडेवलपमेंट में जमीन मालिक का पहला अधिकार है। कोर्ट ने 2018 के बॉम्बे हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा और महाराष्ट्र सरकार का भूमि अधिग्रहण रद्द कर दिया। Mumbai slum redevelopment: Supreme Court upholds land owner’s rights, quashes government acquisition notice

डिजिटल डेस्क
मुंबई:
सुप्रीम कोर्ट ने मुंबई के कुर्ला इलाके में स्लम रीडेवलपमेंट से जुड़ा अहम फैसला सुनाया है। कोर्ट ने साफ कहा कि किसी भी स्लम रीडेवलपमेंट प्रोजेक्ट में जमीन मालिक का पहला अधिकार होता है, न कि सिर्फ झोपड़पट्टीवासियों या स्लम अथॉरिटी (SRA) का।
22 अगस्त को दिए गए इस फैसले में कोर्ट ने 2018 में बॉम्बे हाई कोर्ट के उस निर्णय को बरकरार रखा, जिसमें महाराष्ट्र सरकार के अधिग्रहण आदेश को रद्द किया गया था। Mumbai slum redevelopment: Supreme Court upholds land owner’s rights, quashes government acquisition notice

पृष्ठभूमि – 1979 से शुरू हुआ विवाद

विवादित जमीन पर साल 1979 में झोपड़पट्टीवासियों ने कब्जा कर लिया था। इसके बाद लगभग 3,045 वर्ग मीटर जमीन को स्लम एरिया घोषित किया गया। समय के साथ बस्ती बढ़ती गई और 2002 में वहां के निवासियों ने तराबाई नगर को-ऑपरेटिव हाउसिंग सोसाइटी (Tarabai Society) का गठन किया।
2006 से 2008 के बीच सोसाइटी ने बार-बार स्लम सर्वे और अधिग्रहण की मांग की। अंततः 2011 में पूरी जमीन को SRA एरिया घोषित कर दिया गया। Mumbai slum redevelopment: Supreme Court upholds land owner’s rights, quashes government acquisition notice

Advertisements

जमीन मालिक का हक बनाम झोपड़पट्टीवासियों का अधिकार

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जमीन मालिक को महाराष्ट्र स्लम एरिया (इम्प्रूवमेंट, क्लियरेंस और रीडेवलपमेंट) एक्ट, 1971 के तहत अधिकार तो हैं ही, लेकिन उससे भी बढ़कर संवैधानिक और संपत्ति से जुड़े मौलिक अधिकार हैं।
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन के सिंह की बेंच ने कहा –
“Ordinarily, a landowner is entitled to all the incidental benefits derived from the ownership of such immovable property. Ownership rights are also constitutionally protected and can only be interfered with as a result of the operation of law.”

“Unholy Nexus” की चेतावनी

कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर SRA और प्राइवेट डेवलपर्स को मनमानी छूट मिल गई तो यह “Unholy Nexus” (गठजोड़) को जन्म देगा, जिससे सबसे ज्यादा नुकसान स्लमवासियों को होगा।
सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि –

  • जमीन मालिक को पहले मौका देना जरूरी है।
  • अगर जमीन मालिक रीडेवलपमेंट का प्रस्ताव समय पर नहीं लाता, तो स्लमवासी डेवलपर के साथ खुद प्रस्ताव ला सकते हैं।
  • बिना जमीन मालिक को सूचना दिए उसे अधिग्रहण का जिम्मेदार ठहराना अनुचित है।
मुंबई के दहिसर में मिलावटखोरी के खिलाफ फूड एंड ड्रग्स की कार्रवाई

सरकार का नोटिफिकेशन रद्द

2016 में महाराष्ट्र सरकार ने जमीन अधिग्रहण का नोटिफिकेशन जारी किया था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह पूरी प्रक्रिया कानूनी रूप से गलत थी।
कोर्ट ने दो टूक कहा कि –
“सिर्फ एरिया को SR एरिया घोषित करने से यह नहीं माना जा सकता कि मालिक को स्वचालित रूप से रीडेवलपमेंट स्कीम लाना ही होगा।” Mumbai slum redevelopment: Supreme Court upholds land owner’s rights, quashes government acquisition notice

नतीजा

यह फैसला न सिर्फ जमीन मालिकों के लिए बल्कि मुंबई के स्लम रीडेवलपमेंट मॉडल के लिए भी ऐतिहासिक है। सुप्रीम कोर्ट ने जमीन मालिकों को प्राथमिक अधिकार देकर यह स्पष्ट कर दिया है कि स्लमवासियों का पुनर्विकास न्यायसंगत और पारदर्शी प्रक्रिया से ही होना चाहिए। Mumbai slum redevelopment: Supreme Court upholds land owner’s rights, quashes government acquisition notice


Discover more from  

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisements
Scroll to Top

Discover more from  

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading