Mumbai High Court | ‘जोड़ीयां स्वर्ग में नहीं नर्क में बनती हैं!’, पति की अग्रिम जमानत पर बॉम्बे हाईकोर्ट की टिप्पणी

जोड़ीयां स्वर्ग में नहीं नर्क में बनती है!’ पति और पत्नी के बीच दायर याचिका पर गिरफ्तारी से पहले अग्रिम जमानत की सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति सारंग कोतवाल ने की इस तरह की टिप्पणी.. (Mumbai High Court)

इस्माइल शेख
मुंबई
– ‘जोड़ीयां स्वर्ग में नहीं नर्क में बनती है!‘ एक पारिवारिक मामले (Domestic Violence Case) की सुनवाई के दौरान बॉम्बे हाईकोर्ट (Mumnai High Court) ने कर दी ऐसी टिप्पणी। बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay High Court) के न्यायाधीश सारंग कोतवाल (Justice Sarang Kotwal) की खंड़पीठ ने एक पति द्वारा दायर याचिका की सुनवाई के दौरान ऐसी टिप्पणी की। इसमें उसकी पत्नी ने उस व्यक्ति के खिलाफ ‘दहेज उत्पीडन’ (Cruelty And Dowry) के तहत मामला दर्ज किया था और आप को यह भी बता, दें की सुनवाई की प्रतीक्षा कर रहा, विवाहित जोड़ा (Married Couple) साथ रहने के लिए तैयार नहीं था।

न्यायालय (Court) ने देखा, कि दोनों ही एक दूसरे के खिलाफ अपराधिक मामला दर्ज किए हुए हैं। न्यायमूर्ति सारंग कोतवाल ने कहा, कि “प्राथमिकि (FIR) दर्जों से पता चलता है, कि “दोनों ही पति-पत्नी (Husband-wife) एक दूसरे के साथ रह नहीं सकते। उनके बीच हमेशा झगड़े होते रहे हैं।” सुनवाई के दौरान गुस्साए न्यायाधीश ने यह भी कहा, कि ‘जोड़ीयां स्वर्ग में नहीं नर्क में बनती हैं!’

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क्या है पूरा मामला

जानकारी के मुताबिक, एक महिला ने दिसंबर 2021 में अपने पति के खिलाफ प्राथमिकि (FIR) दर्ज की थी। जिसमें महिला ने आरोप लगाया था, कि 2017 में विवाह (Marriage) के दरम्यान पति के परिवार वालों ने अपने प्रत्येक पारिवारिक सदस्य के लिए सोनी की अंगूठी की मांग की थी। महिला के परिवार वाले उनकी मांगों को पूरा नहीं कर पाए, जिसको लेकर ससुराल वालों ने महिला को काफी प्रताड़ित किया।

पत्नी ने दावा किया कि उसने फ्लैट खरीदने के लिए 13 लाख 50 हजार रुपये दिये, जिसमें यह पारिवारिक दाम्पत्य अपने 3 वर्षीय बेटे के साथ रह रहा था। उसने यह भी दावा किया, कि पति ने खुद को जख्मी किया, जिससे यह बताया जा सके कि उसकी पत्नी ने उसके साथ मारामारी की थी।

दूसरी तरफ पति का आरोप था, कि उसने फ्लैट के लिए 90 हजार रुपए का कर्ज लिया और विवाह के बाद पत्नी को मॉरिशस ले गया इसके साथ ही वहां उसने पत्नी के लिए महंगा मोबाइल फोन खरीद कर दिया था।

उसने वॉहट्सअप मेसेज (Whatsapp chat) के जरिए न्यायालय (Court) को कहा, कि किस प्रकार उसे अपनी पत्नी द्वारा लगातार प्रताड़ित किया गया था। पति ने आरोप लगाते हुए बताया, कि उसने पत्नी के खिलाफ शिकायत दर्ज की थी, बदले में पत्नी ने भी पति के खिलाफ मामला दर्ज किया।

सुनवाई के दौरान कोर्ट का फैसला

न्यायमूर्ति सारंग कोतवाल ने कहा, कि ‘दोनों ही पक्षों की दलिलों को सुनने के बाद अदालत सुनवाई के नतीजे पर पहुंची है, पति की गिरफ्तारी से यह मामला खत्म नहीं होगा और जांच के उद्देश्य से कोठरी में रखकर पति से पूछताछ की इस मामले में जरुरत नहीं है। पति को जांच अधिकारियों को सहकार्य करने को कहा जा सकता है।’

आगे उन्होंने कहा, कि ‘आरोप और प्रत्यारोप का मामला है, इसपर सिर्फ सुनवाई के दौरान निर्णय लिया जा सकता है।’ उन्होंने पुलिस को निर्देश देते हुए कहा, कि ‘गिरफ्तारी की स्थिति में पति को एक अथवा एक से ज्यादा लोगों के जवाबदेही (Guaranty) के साथ 30 हज़ार रुपयों के मुचकले पर जमानत देकर छोड़ दिया जाए।’ (Mumbai High Court)


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