इस्माइल शेख
मुंबई- महिलाओं के खिलाफ बढ़ती वारदातों पर मुंबई के कोर्ट ने चिंता जाहिर करते हुए, एक ससुर को तीन साल की कठोर कारावास की सजा सूनाई है। आरोप 65 वर्षीय शख्स पर है, जिसने किचन पर काम कर रही बहू के साथ छेड़खानी की। उसने बहुत के पेट पर हाथ फेरा और अश्लील टिप्पणी की। अदालत ने कहा, कि “आरोपी ने गलत और भ्रष्ट इरादों से यह कृत्य किया है। यदि कोई व्यक्ति किसी महिला का शील भंग करने के लिए उस पर आपराधिक बल का प्रयोग करता है या इसलिए कि उसका शील भंग हो जाएगा, तो उसे दंडित किया जाना चाहिए। वर्तमान मामले में, यह नहीं भुलाया जा सकता, कि आरोपी ससुर है। जिसने अपनी बहू के साथ ऐसा जघन्य कृत्य किया है। यदि आरोपी के प्रति अनावश्यक रूप से उदारता दिखाई जाती है, तो यह समाज के लिए बहुत बुरा संदेश होगा।”
न्यायाधीश एमवी चव्हाण ने “प्रोबेशन ऑफ ऑफेंडर्स एक्ट” के तहत आरोपी को अच्छे व्यवहार के तहत ढील देने से इनकार कर दिया। अदालत ने कहा, “आरोपी अधिनियम के तहत लाभ पाने का हकदार नहीं है, क्योंकि अपराध महिला, उसके शील और चरित्र के खिलाफ है। ससुर होने के नाते आरोपी को महिला के प्रति सुरक्षात्मक होना चाहिए।” महिला ने अदालत को बताया कि नवंबर 2020 में आरोपी के बेटे से उसकी शादी हुई थी। शादी के बाद वह बीमार पड़ गई तो उसे, उसके माता पिता के घर भेज दिया गया। उसे कहा गया कि पूरी तरह से ठीक होने के बाद लौटक आए। ठीक होने के बाद वह अपनी ससुराल रहने आ गई।
ससुराल में महिला को किया गया प्रताड़ित
महिला ने बताया, कि घटना 16 मई, 2021 की है। उसकी ससुराल में कुछ परेशानियां थीं। ससुर ने उसे उन दिक्कतों को लेकर दोषी ठहराया। ससुर ने उससे कहा, कि घर में जो भी गलत हो रहा है पंडित के अनुसार वह एक अनुष्ठान करेगी तो घर में चल रही दिक्कतें दूर हो जाएंगी। वह किचन में काम कर रही थी, तभी ससुर ने उसे पीछे से आकर पकड़ा और उसके पेट पर हाथ फेरते हुए उसके साथ अश्लील बातें कीं। महिला वहां से भागी और उसने तुरंत अपने पति को इस बारे में बताया, जिसने कहा कि वह अपने पिता से बात करेगा। महिला ने कहा, कि उसकी सास और भाभी ने इस घटना के बाद, उसे घर से निकाल दिया। बाद में उसने पुलिस में इसकी शिकायत की। आरोपी ने अपने बचाव में शिकायतकर्ता पर झूठा फंसाने का आरोप लगाया। क्योंकि प्राथमिकी दर्ज करने में 12 दिन की देरी हुई थी। अदालत ने आरोपी के बचाव को खारिज कर दिया।
कोर्ट ने क्या कहा?
अदालत ने कहा, कि “इससे शिकायत पक्ष के मामले पर कोई असर नहीं पड़ा क्योंकि मामला अपने ससुराल में महिला के शील से जुड़ा है।” कोर्ट ने कहा, “ऐसे मामले में, दोनों परिवार, यानी उसके माता-पिता परिवार और उसके ससुराल वाले परिवार की प्रतिष्ठा का सवाल है। इसके अलावा एक महिला की छवि और जीवन का मामला है।” और अधिक जानकारी के मुताबिक, महिला को ससुराल में घूंघट करवाया जाता था। जाहिर तौर पर महिला पुलिस थाने में शिकायत को लेकर खुद फैसला नहीं ले पाई। उसने अपने रिश्तेदारों से सलाह लेने के बाद केस दर्ज कराने का फैसला लिया।
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