इस्माइल शेख
मुंबई- शहर के पूर्व एवं विवादित पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह करीब 7 महीने बाद मुंबई पहुंचे और क्राइम ब्रांच के सामने पेश हुए। अदालत ने 100 करोड़ की वसूली के मामले में उन्हें भगोड़ा घोषित कर दिया था। मुंबई पुलिस की क्राइम ब्रांच ने अवैध वसूली मामले में परमबीर सिंह के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया है।
इसे देखते हुए परमबीर सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल कर कोर्ट से मांग किया है, कि उनके खिलाफ दर्ज सभी मुकदमों को रद्द किया जाए या सीबीआई को ट्रांसफर कर दिया जाए। इस मांग पर कोर्ट ने नोटिस जारी किया और उनकी गिरफ्तारी पर भी रोक लगा दी। कोर्ट ने परमबीर से जांच में सहयोग करने के लिए कहा है।
दो दिन पहले ही मुंबई पुलिस की क्राइम ब्रांच ने परमबीर सिंह के जुहू स्थित घर के दरवाजों पर proclaimed offender (अपराधी घोषित) का नोटिस चिपकाया था। इस नोटिस में परमबीर सिंह को 30 दिन के भीतर जांच एजेंसी या फिर अदालत के सामने हाजिर होने को कहा गया था।
मुंबई पुलिस ने हाल ही में मुंबई की एक अदालत में परमबीर सिंह को ‘भगोड़ा’ अपराधी घोषित करने के लिए आवेदन दिया था। जिसे कोर्ट ने स्वीकार करते हुए परमबीर सिंह को ‘भगोड़ा’ घोषित कर दिया। मामले की जांच कर रही मुंबई पुलिस की अपराध शाखा का कहना था, कि उनके खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी होने के बाद भी उनका पता नहीं लगाया जा सका है।
परमबीर सिंह पर जबरन उगाही (वसूली) करने के आरोप हैं। 22 जुलाई को मुंबई के मरीन ड्राइव पुलिस स्टेशन ने परमबीर सिंह समेत पांच अन्य पुलिसकर्मियों और दो अन्य लोगों के खिलाफ एक बिल्डर से कथित तौर पर 15 करोड़ रुपये मांगने के आरोप में केस दर्ज किया था।
आरोप है कि इन लोगों ने एक-दूसरे की मिलीभगत से शिकायतकर्ता के होटल और बार के खिलाफ कार्रवाई का डर दिखाकर 11.92 लाख रुपये की उगाही भी की। वैसे परमबीर सिंह ने महाराष्ट्र के गृहमंत्री के खिलाफ करोड़ों की वसूली का टारगेट देने का आरोप लगाया था। उसके बाद से ही पूरा मामला चर्चा में हैं।
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