बच्चों की नींद पूरी नहीं होने का बताया कारण

महाराष्ट्र के राज्यपाल रमेश बैस ने स्कूलों के अपने समय में बदलाव करने की अपील की है, ताकि बच्चें पूरी नींद ले सकें। राज्यपाल ने कहा है कि बच्चों को सुबह जल्दी उठना पड़ता है। ऐसे में उनकी नींद पूरी नहीं हाेती है। ऐसे में उनकी नींद पूरी नहीं होती है।

इस्माईल शेख
मुंबई
– स्टूडेंट्स को पूरी नींद मिले इसके लिए महाराष्ट्र के राज्यपाल रमेश बैस ने एज्युकेशन अधिकारियों से स्कूलों का समय बदलने पर विचार करने को कहा है। महाराष्ट्र के राज्यपाल रमेश बैस ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा, कि कोविड के बाद से हर किसी की नींद का तरीका बदल गया है। खासकर बच्चे जो आधी रात के बाद ही सोते हैं, लेकिन उन्हें स्कूल जाने के लिए जल्दी उठना पड़ता है, जिससे उनकी नींद का न्यूनतम कोटा खत्म हो जाता है। इसका खयाल करते हुए, उन्होंने स्कूलों और शिक्षा अधिकारियों से इस पहलू पर ध्यान देने के अलावा ‘पुस्तक-रहित’ स्कूलों, ‘ई-कक्षाओं’ को बढ़ावा देने और छात्र समुदाय पर शिक्षा के बोझ को कम करने के लिए उनकी गुणवत्ता के अनुसार स्कूलों की रैंकिंग करने का आह्वान किया है।

महाराष्ट्र के राज्यपाल ने क्या कहा ..

राज्यपाल रमेश बैस ने यह बातें राजभवन में स्कूल शिक्षा विभाग की विभिन्न पहलुओं के शुभारंभ के मौके पर कहीं। बैस ने जब ये बातें कहीं तो कार्यक्रम में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, मंत्री दीपक केसरकर, मंगल प्रभात लोढ़ा और गिरीश महाजन के अलावा प्रमुख सचिव शिक्षा रणजीत सिंह देयोल भी मौजूद थे। बृहन्मुंबई महानगर पालिका द्वारा संचालित नए स्कूल भवनों का उद्घाटन करते हुए राज्यपाल और सीएम ने संयुक्त रूप से माई स्कूल, ब्यूटीफुल स्कूल, स्टोरी-टेलिंग सैटरडे, एंजॉयेबल रीडिंग, एडॉप्ट स्कूल एक्टिविटी, माई बैकयार्ड और क्लीननेस मॉनिटर जैसी पहल की शुरुआत की।

Advertisements
राज्यपाल,

इसे भी पढ़े:- रेल कर्मचारियों की यात्रियों के साथ आरपीएफ ने की पिटाई

लाइब्रेरी को गोद लेने की जरूरत
राज्यपाल ने इस बात पर भी खेद व्यक्त किया कि राज्य में सैकड़ों सार्वजनिक पुस्तकालय हैं, लेकिन अधिकांश पुराने हैं, इसलिए उन सभी को पुनर्जीवित करने और परिसर में कंप्यूटर और इंटरनेट प्रदान करके ‘लाइब्रेरी एडॉप्शन’ शुरू करने की आवश्यकता जताई है। बैस ने आग्रह करते हुए कहा, कि यह आवश्यक था क्योंकि छात्र न केवल किताबों के माध्यम से बल्कि इंटरनेट, सोशल मीडिया और अन्य स्रोतों के माध्यम से भी अपना ज्ञान प्राप्त करते हैं जो उनके आईक्यू स्तर को बेहतर बनाने में मदद करते हैं। इसलिए शिक्षकों को भी शैक्षणिक मामलों में नए चीजों को सीखते रहना चाहिए। उन्होंने छात्रों के सर्वांगीण विकास के लिए कम शैक्षणिक होमवर्क और “खेल और रचनात्मक गतिविधियों पर जोर के साथ शिक्षा को और अधिक मनोरंजक बनाने का आह्वान किया।

Live video on indian fasttrack news channel

Discover more from  

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisements
Scroll to Top

Discover more from  

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading