कांदीवली पश्चिम: मनपा अभियंता पंकज पाचर्ने पर चार मंजिला अवैध गाला निर्माण और भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप

कांदीवली के शांति नगर में चार मंजिला अवैध गाला निर्माण की कहानी; आरोप है कि मनपा के भ्रष्ट कनिष्ठ अभियंता पंकज पाचर्ने निर्माण कराने वालों से वसूली करते हैं, शिकायत करने वालों को धमकाया जाता है। क्या वॉर्ड ऑफिसर आरती गोळेकर और डीएमसी संजय कुर्हाड़े इस पर कानूनी कार्रवाई करेंगे?

मुंबई: शांति नगर, गली नंबर-2, कांदीवली (पश्चिम) मुंबई – 400067 में ग्राउंड प्लस तीन (चार मंजिला) बड़ा कॉमर्शियल गाला लगभग तैयार हो चुका है, जो स्थानीय लोगों और प्रशासनिक मानकों की चिंता का विषय बन गया है। आरोप है कि यह सभी निर्माण कार्य मनपा के इमारत व कारखाना विभाग के भ्रष्ट कनिष्ठ अभियंता पंकज पाचर्ने की विशेष कृपा से किया गया है। विभागीय कार्रवाई न होने के कारण शिकायतकर्ता और निवासियों में भारी नाराज़गी है।

अवैध गाला निर्माण के आरोप

स्थानीय लोगों का कहना है कि इस गाले का निर्माण शुरुआत से ही नियमों का उल्लंघन करते हुए हुआ है। भूमि स्वामित्व, नक्शे की मंजूरी, निर्माण परमिट — इन सभी की आधिकारिक ऑनलाइन-रिकॉर्ड या कागज़ी अनुमति नहीं मिली है या यदि मिली है, तो विकल्पों एवं प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया है।

Advertisements
Municipal-Engineer-Pankaj-Pacharne-faces-serious-charges-of-corruption-and-illegal-construction-of-a-four-storey-building
अवैध निर्माण की तस्वीर
  • निर्माण अनुमति और परमिट: स्थानीय निवासियों द्वारा आरोप लग रहे हैं कि इमारत का नक्शा और निर्माण परमिट मानसून, भू-परिमाण, इमारत सुरक्षा आदि नियमों के अनुरूप नहीं हैं।
  • एनओसी एवं विभागीय निगरानी: इमारत व कारखाना विभाग या अन्य संबंधित विभागों द्वारा कोई सार्वजनिक सूचना नहीं आई कि कार्रवाई होगी। शिकायतों पर मौखिक प्रतिक्रियाएँ तो मिलीं, लेकिन लिखित शिकायत का क्या हुआ, इसकी जानकारी नहीं है।
कटनी में निकलेगा 7 लाख टन सोना, मुंबई की कंपनी को 50 साल की लीज – जिले को मिलेगा 100 करोड़ का फायदा

भ्रष्टाचार के आरोप और वसूली की कथाएँ

स्थानीयों और शिकायतकर्ताओं ने जो कहानी बयान की है, उसके मुताबिक:

  • विशेष कृपा — लोगों का आरोप है कि अभियंता पंकज पाचर्ने इन अवैध गाला ठेकेदारों को संरक्षण देते हैं, और इसके बदले में मनमानी रकम लेते हैं।
  • वसूली का तरीका: यदि कोई स्थानीय मौखिक रूप से शिकायत करता है, तो अभियंता लिखित शिकायत की सलाह देते हैं और फिर शिकायत दर्ज कराते समय शिकायतकर्ता का नाम-पता ठेकेदारों को दे दिया जाता है।
  • धमकियाँ और डर: शिकायतकर्ता कहते हैं कि नाम पता निकल जाने से उन्हें जान-माल का खतरा रहता है, जिससे लोग शिकायत करने से डरते हैं।
  • कार्रवाई नहीं: शिकायत की लिखित प्रति ठेकेदार को दिखा कर वसूली की जाती है, लेकिन विभागीय कार्रवाई नहीं होती, न तो मुआवज़ा होता है, न विधिक प्रक्रिया पूरी होती है।

प्रभावित लोग और सामाजिक प्रतिक्रिया

यहां के स्थानीय निवासी, दुकानदार और मिडिल-क्लास परिवार जिन्होंने इन इलाकों में invest किया है या किराये पर रहते हैं, वे प्रभावित हैं:

  • रिहायशी जीवन पर असर: भू-संवर्धन, सड़क रोक, धूल-गंदगी, संसाधनों की कमी जैसे समस्याएँ बढ़ी हैं।
  • भय और असुरक्षा: नाम-पता फँस जाने की आशंका लोगों को बाधित करती है कि वे खुलकर आवाज़ नहीं उठा सकें।
  • आलोचना सार्वजनिक स्तर पर: सामाजिक मीडिया, स्थानीय सभाएँ, मोहल्ले की मीटिंग्स हो रही हैं, जहाँ लोग विभाग और मनपा सहित जिम्मेदार अधिकारियों से जवाब चाहते हैं।

जिम्मेदार अधिकारी कौन हैं?

  • पंकज पाचर्ने, इमारत व कारखाना विभाग, कनिष्ठ अभियंता, आर/दक्षिण वॉर्ड, कांदीवली (पश्चिम) — मुख्य आरोपों में आ रहा है कि उन्होंने यह अवैध गाला निर्माण अनुमति के बिना कराया है, संरक्षण दिया है और रकम वसूली की है।
  • वॉर्ड ऑफिसर आरती गोळेकर — क्या इन शिकायतों की जानकारी उन्हें है, और उन्होंने किन जांच निर्देश दिए हैं?
  • डीएमसी संजय कुर्हाड़े — मनपा के उच्च पदस्थ अधिकारी, जिनसे जवाबदेही की उम्मीद की जाती है कि वे इस मामले में आधिकारिक कार्रवाई initiate करें।
Bank of Baroda SO Recruitment 2025: बैंक ऑफ बड़ौदा में 58 स्पेशलिस्ट ऑफिसर पदों पर भर्ती, जानिए सैलरी और आवेदन की डिटेल्स

कानूनी और प्रशासनिक स्थिति

  • विधि-विचार: अगर शिकायतकर्ता लिखित शिकायत कर दें, तो इसके आधार पर विभागीय जांच हो सकती है। लेकिन आरोप है कि शिकायत करते ही नाम पता सार्वजनिक हो जाता है।
  • आरोपों की जांच: निवासियों का कहना है कि कोई एफआईआर दर्ज नहीं हुई; मनपा ने कोई आधिकारिक नोटिस जारी नहीं किया; विभाग ने सार्वजनिक सूचना नहीं दी।
  • न्यायालय और अन्य संस्थाएँ: अगर मनपा या विभाग कार्रवाई नहीं करते हैं, तो निवासियों को कानूनी रास्ते अपनाने पड़ सकते हैं — RTI, प्रशासनिक याचिकाएँ, सार्वजनिक मामले (public interest litigation) आदि।

क्या किया जाना चाहिए? सुझाव और अपेक्षित कार्रवाई

  • तत्काल विभागीय जांच: मनपा प्रशासन को चाहिए कि वे इस मामले की निष्पक्ष जांच करें, कनिष्ठ अभियंता पंकज पाचर्ने सहित सभी दोषियों का पता लगाएं।
  • नाम-पता की सुरक्षा: शिकायतकर्ताओं की पहचान गोपनीय रखी जानी चाहिए; धमकियों की शिकायत पर सुरक्षा सुनिश्चित हो।
  • परमिट एवं नक्शों का सार्वजनिक खुलापन: इमारतों के नक्शे, अनुमति दस्तावेज़ सार्वजनिक हों ताकि नागरिक देख सकें कि क्या नियमों का उल्लंघन हुआ है।
  • दंडात्मक कार्रवाई: यदि जांच में दोष सिद्ध होता है, तो अभियंता के खिलाफ विभागीय, पुलिस या एंटी-करप्शन ब्यूरो के तहत कार्रवाई हो; संभव हो तो अभियोजन हो।
  • स्थानीय निगरानी समिति: मोहल्ले के नागरिकों को शामिल कर एक निगरानी या शिकायत मंच बने जो समय-समय पर कार्रवाई रिपोर्ट मांगे।

निष्कर्ष

भ्रष्टाचार न सिर्फ व्यक्तिगत दोष है, बल्कि सामाजिक और विकासात्मक बाधा है। यदि मनपा विभाग ऐसे मामलों के खिलाफ सख्त कदम उठाए, तो लोग यह विश्वास कर पाएँगे कि अधिकार व्यवस्था उनकी सुरक्षा और न्याय सुनिश्चित करती है। कांदीवली के इस मामले में जवाबदेही की लकीर स्पष्ट होनी चाहिए — वरना स्थानीय लोगों के विश्वास की नींव हिल जाएगी।


FAQ सेक्शन

  1. प्रश्न: क्या यह गाला कानूनी अनुमति के बिना बनाया गया है?
    उत्तर: शिकायतकर्ताओं का दावा है कि अनुमति और परमिट नियमों के अनुरूप नहीं है, किश्तों में वसूली हुई है, और विभागीय प्रक्रिया पूरी नहीं हुई।
  2. प्रश्न: अभियंता पंकज पाचर्ने पर क्या ठोस साक्ष्य हैं?
    उत्तर: अब तक स्थानीय लोगों की शिकायतें, लिखित/मौखिक विवरण हैं; विभागीय रिकॉर्ड की जांच और दस्तावेज़ों की पुष्टि ज़रूरी है।
  3. प्रश्न: शिकायत करने वालों को डर क्यों लगता है?
    उत्तर: शिकायतकर्ता कहते हैं कि उनका नाम-पता ठेकेदारों को दे दिया जाता है, जिससे जान-माल का संकट हो सकता है, इसलिए लोग लिखित शिकायत नहीं करते हैं।
  4. प्रश्न: विभागीय कार्रवाई कब होगी?
    उत्तर: अभी तक कोई सार्वजनिक सूचना नहीं आई कि कार्रवाई चल रही है। यदि मनपा प्रशासन सचमुच जवाबदेह है, तो जल्द जांच शुरू होगी।
  5. प्रश्न: नागरिक क्या कर सकते हैं?
    उत्तर: लिखित शिकायत करें, RTI आवेदन करें; स्थानीय प्रशासन और मीडिया को जानकारी दें; यदि ज़रूरत हो तो न्यायालय में याचिका दाखिल करें।

Discover more from  

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisements
Scroll to Top

Discover more from  

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading