भारत में पेट्रोल और रसोई गैस के बढ़ते दामों पर जनता सवाल उठा रही है। वहीं दलितों पर हो रहे अत्याचारों पर बसपा सुप्रीमो मायावती की चुप्पी भी चर्चा में है। सरकार की नीतियों और विपक्ष की चुप्पी पर उठे दो बड़े सवाल।
मुंबई: भारत में लगातार बढ़ते पेट्रोल और रसोई गैस के दामों ने आम जनता की कमर तोड़ दी है। लोग सवाल उठा रहे हैं कि जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम घटे हैं, तो घरेलू बाजार में राहत क्यों नहीं मिल रही? वहीं दूसरी ओर, दलितों पर हो रहे अत्याचार और दलित अधिकारियों की आत्महत्याओं जैसे गंभीर मामलों पर बसपा सुप्रीमो मायावती की चुप्पी भी राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बनी हुई है। ऐसे में जनता के बीच दो बड़े सवाल गूंज रहे हैं — एक न्याय और लूट के नाम पर सरकार की नीतियों पर, और दूसरा अवसरवाद की राजनीति पर।
💸 पहली बात – पेट्रोल-डीजल के नाम पर लूट, जनता परेशान
देश में पेट्रोल-डीजल के दाम आसमान छू रहे हैं जबकि सरकार दावा करती है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल के दाम घटे हैं। लेकिन सच्चाई यह है कि भूटान में पेट्रोल ₹65 लीटर है और भारत में ₹105।
केंद्र सरकार भारत से पेट्रोल और डीजल भूटान जैसे देशों को सस्ता भेजती है, जबकि अपने ही नागरिकों पर टैक्स का बोझ बढ़ाती है।
असल में, विशेषज्ञों का कहना है कि पेट्रोल भारत में मात्र ₹35 प्रति लीटर पड़ता है, बाकी रकम टैक्स और सेस के रूप में जनता से वसूली जाती है।
🏦 कांग्रेस के जमाने में तेल महंगा, लेकिन जनता पर बोझ कम
कांग्रेस सरकार के वक्त जब कच्चा तेल $110 प्रति बैरल था, तब पेट्रोल ₹65 और रसोई गैस ₹550 में मिलती थी।
आज कच्चा तेल सिर्फ $70 प्रति बैरल है, फिर भी पेट्रोल ₹105 और गैस ₹1200 से ऊपर क्यों है?
सरकार ने हाल ही में ₹200 कम करके राहत का ढोंग किया, लेकिन असल में यह जनता को बेवकूफ़ बनाने की कोशिश लगती है।
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⚙️ एथेनॉल की मिलावट – जनता के साथ धोखाधड़ी?
सरकार बिना जनता को बताए पेट्रोल में 20% एथेनॉल मिला रही है, और उसे उसी रेट पर बेच रही है।
यह फैसला जनता के लिए नुकसानदायक साबित हो रहा है क्योंकि एथेनॉल के कारण वाहनों की माइलेज घट रही है, और इंजन पार्ट्स जल्दी खराब हो रहे हैं।
रिपोर्ट्स के मुताबिक अगस्त में वाहन रखरखाव खर्च 28% था, जो अक्टूबर में बढ़कर 52% हो गया है।
पुरानी गाड़ियां एथेनॉल के लिए बनी ही नहीं हैं, लेकिन सरकार ने शुद्ध पेट्रोल (Pure Petrol) का विकल्प ही खत्म कर दिया है।
🚘 नेताओं के शाही काफिले और जनता की जेब पर वार
जनता हर दिन महंगे पेट्रोल से परेशान है, लेकिन नेता और मंत्री सरकारी वाहनों में शाही अंदाज़ में घूम रहे हैं।
कई नेता 20-25 गाड़ियों के काफिले में जनता के टैक्स का पेट्रोल उड़ाते हैं और खुद को जनता का सेवक कहते हैं।
क्या यही है लोकतंत्र? जनता को त्याग करने की सलाह देने वाले नेता खुद ऐश कर रहे हैं।
🧾 सरकार को जवाब देना होगा – एथेनॉल मिलावट से किसे फायदा?
जनता का आरोप है कि एथेनॉल से जो मुनाफा हो रहा है, उसका फायदा मंत्रियों के बेटों और निजी कंपनियों को मिल रहा है।
क्या जनता का गला घोंटकर बेटों को अरबपति बनाना जनसेवा है? सरकार ने बिना पूर्व सूचना पेट्रोल में एथेनॉल मिलाकर पारदर्शिता की हत्या की है।
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✊ दूसरी बात – मायावती की चुप्पी और दलितों पर अत्याचार
जहां एक ओर देश में दलितों पर अत्याचार बढ़ रहे हैं, वहीं बसपा सुप्रीमो मायावती पर चुप्पी साधने के आरोप लग रहे हैं।
दलित IAS अफसर आत्महत्या कर रहे हैं, गरीब दलितों की पीट-पीट कर हत्याएं हो रही हैं, लेकिन मायावती का कोई बयान सामने नहीं आता।
⚖️ राजनीति या अवसरवाद? बीजेपी की तारीफ में व्यस्त मायावती
बीजेपी सरकार, खासकर उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ की मायावती बार-बार प्रशंसा करती हैं।
कभी भाजपा को कोसने वाली मायावती आज भाजपा की मौन सहयोगी बन चुकी हैं।
वहीं, इंडिया एलायंस संविधान और लोकतंत्र बचाने की लड़ाई लड़ रहा है, लेकिन मायावती हर सीट पर चुनाव लड़कर विपक्ष को कमजोर कर रही हैं।
💬 दलितों के मुद्दों पर मायावती की खामोशी क्यों?
डॉ. आंबेडकर और कांशीराम की विचारधारा पर राजनीति करने वाली मायावती आज उन्हीं के नाम पर राजनैतिक सौदेबाजी कर रही हैं।
राहुल गांधी जहां हर दलित पीड़ित परिवार से मिल रहे हैं, वहीं मायावती मौन साधे हैं।
राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि मायावती की चुप्पी उनकी अवैध संपत्ति बचाने की रणनीति है।
उन्हें डर है कि अगर उन्होंने सरकार के खिलाफ बोला तो सीबीआई और ईडी उनके पीछे लग जाएगी।
🗣️ जनता पूछ रही है – क्या यही लोकतंत्र है?
जब आम जनता महंगाई से कराह रही है, और दलित समाज अन्याय झेल रहा है, तब बड़े नेता और सरकार दोनों मौन हैं।
जनता पूछ रही है —
“क्या अब लोकतंत्र सिर्फ सत्ता और धन बचाने का माध्यम बन गया है?”
❓ FAQ सेक्शन
Q1. भूटान में पेट्रोल सस्ता और भारत में महंगा क्यों है?
👉 भारत में टैक्स और सेस बहुत ज्यादा है, जिससे कीमतें 100 रुपए पार हैं।
Q2. क्या एथेनॉल मिलावट से वाहनों को नुकसान होता है?
👉 हां, खासकर पुरानी गाड़ियों में माइलेज घटती है और पार्ट्स जंग लगते हैं।
Q3. मायावती दलित मुद्दों पर चुप क्यों हैं?
👉 राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक, वे सरकार से टकराव से बचना चाहती हैं।
Q4. क्या सरकार जनता को सस्ते तेल का फायदा देती है?
👉 नहीं, सरकार कम कीमत पर कच्चा तेल खरीदकर भी टैक्स बढ़ाकर जनता को राहत नहीं देती।
Q5. क्या एथेनॉल मुनाफा राजनीतिक परिवारों को जा रहा है?
👉 आरोप यही हैं कि एथेनॉल कंपनियों से राजनीतिक संबंध जुड़े हैं।
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