बीजेपी सरकार का भविष्य नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू जैसे सहयोगियों पर टिका है। बिहार चुनाव नतीजों और गठबंधन की राजनीति से केंद्र की मोदी सरकार गिर सकती है। क्या एनडीए की गाड़ी अब पटरी से उतरने वाली है? पढ़िए पूरा विश्लेषण।
दिल्ली की सत्ता पर काबिज बीजेपी की केंद्र सरकार दिखने में भले मजबूत लगे, लेकिन सच यह है कि इसका ताना-बाना कुछ सहयोगी दलों पर टिका है। खासकर नीतीश कुमार (जेडीयू) और चंद्रबाबू नायडू (तेदेपा) की राजनीति पल भर में करवट बदल सकती है। अगर ये दोनों नेता अपना समर्थन वापस ले लें तो केंद्र की मोदी सरकार बहुमत खो सकती है।
🤝 नीतीश और नायडू – भरोसेमंद या पलटू?
राजनीति के गलियारों में नीतीश कुमार और नायडू को अक्सर “पलटू” नेता कहा जाता है। नीतीश ने पहले एनडीए छोड़ा, फिर वापस लौटे, वहीं नायडू भी कभी केंद्र में बीजेपी के साथ तो कभी खिलाफ खड़े रहे हैं। अभी एनडीए में बने रहना दोनों के लिए फायदेमंद है क्योंकि उन्हें मंत्री पद और सत्ता की हिस्सेदारी मिली है। लेकिन अगर हालात बदले और विपक्ष से ज्यादा बड़ा ऑफर मिला तो दोनों समर्थन वापस लेने में देर नहीं करेंगे।
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🗳️ बिहार चुनाव बना गेमचेंजर
बिहार विधानसभा चुनाव इस पूरे समीकरण की चाबी है। राज्य में किसानों, छात्रों, रिटायर्ड सैनिकों और सुरक्षाबलों की नाराजगी साफ झलक रही है। जगह-जगह प्रदर्शन हो रहे हैं और सरकार विरोधी माहौल गर्म हो चुका है।
- बीजेपी महिलाओं को ₹10,000 देकर वोट खींचने की कोशिश में है।
- प्रशांत किशोर (PK) अपनी नई पार्टी के साथ मैदान में हैं और नीतीश-मोदी दोनों को आड़े हाथ ले रहे हैं।
- चिराग पासवान सीटों की डिमांड कर चुके हैं और अपनी भूमिका बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं।
अगर बिहार में एनडीए को हार मिलती है तो इसका सीधा असर केंद्र की राजनीति पर पड़ेगा।
📉 कांग्रेस की रणनीति – सौदेबाजी का खेल
कांग्रेस इस मौके का पूरा फायदा उठाना चाहती है। अंदरखाने चर्चा है कि कांग्रेस नीतीश कुमार को प्रधानमंत्री पद का प्रलोभन दे सकती है। वहीं नायडू को आंध्र प्रदेश में मुख्यमंत्री की गारंटी जैसे बड़े ऑफर देकर अपने पाले में लाने की कोशिश होगी।
- अगर नीतीश और नायडू समर्थन वापस लेते हैं तो एनडीए के नंबर सीधे गिर जाएंगे।
- चिराग पासवान को भी केंद्र में मंत्री पद दिलाने का वादा देकर विपक्ष उनका भी समर्थन हासिल कर सकता है।
⚡ क्या टूट सकते हैं सांसद?
बीजेपी भी खाली नहीं बैठेगी। अगर हालात बिगड़े तो बीजेपी जेडीयू या टीडीपी के सांसदों को तोड़ने की कोशिश करेगी। लेकिन विपक्षी माहौल और बिहार में संभावित हार से यह मुश्किल काम हो सकता है।
🌍 देशभर में बदलता माहौल
सिर्फ बिहार ही नहीं, पूरे देश में बीजेपी के खिलाफ हवा बनने लगी है। महंगाई, बेरोजगारी और भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों पर जनता नाराज है। कांग्रेस का “वोट चोर, गद्दी छोड़” नारा आम जनता की जुबान पर चढ़ने लगा है।
🕵️♂️ चुनाव आयोग पर उठते सवाल
कर्नाटक CID और SIT की चिट्ठियों के बाद चुनाव आयोग की भूमिका भी संदेह के घेरे में है। विपक्ष का आरोप है कि चुनाव आयोग “बीजेपी का बचाव” करता दिख रहा है। यह भरोसा टूटना भी सत्ता परिवर्तन की जमीन तैयार कर सकता है।
🔑 निष्कर्ष – कब क्या हो जाए कहना मुश्किल
राजनीति में सब हितों पर टिका है। नीतीश और नायडू अगर पलटी मारते हैं, चिराग पासवान साथ छोड़ते हैं तो केंद्र की मोदी सरकार अल्पमत में आ जाएगी। बिहार चुनाव इसका ट्रिगर बन सकते हैं। यानी आने वाले महीनों में दिल्ली की गद्दी पर बड़ा “खेला” होना तय है।
❓FAQ (अक्सर पूछे जाने वाले सवाल)
Q1. क्या मोदी सरकार सच में गिर सकती है?
👉 हाँ, अगर नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू अपना समर्थन वापस ले लेते हैं तो बीजेपी सरकार अल्पमत में आ सकती है।
Q2. बिहार चुनाव का इससे क्या संबंध है?
👉 बिहार में एनडीए की हार से नीतीश की भूमिका बदल सकती है और विपक्ष उन्हें बड़ा ऑफर देकर अपने पाले में ला सकता है।
Q3. क्या कांग्रेस नीतीश को प्रधानमंत्री बनाने का वादा कर सकती है?
👉 अंदरखाने यही चर्चा है कि कांग्रेस सौदेबाजी करके नीतीश और नायडू दोनों को लुभा सकती है।
Q4. बीजेपी इससे कैसे निपटेगी?
👉 बीजेपी सांसदों को तोड़ने और समर्थन बनाए रखने की हर कोशिश करेगी।
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