Indian Railway: अनाड़ी बना खिलाड़ी

Indian Railway के मुंबई मंडल में अनाड़ी अनिल जैन मध्यरेल का खिलाड़ी वरिष्ठ जनसंपर्क अधिकारी बना हुआ है। इन्हें पीआर ऑफिसर के कामकाज का कुछ भी ज्ञान नहीं है। या करना नहीं चाहता कुछ पता नहीं।

वी बी माणिक
मुंबई-
मध्यरेल के वरिष्ठ जनसंपर्क अधिकारी अनिल जैन जब से मुंबई में जनसंपर्क विभाग में आये है। तब से आज तक एक भी प्रेस नोट नही बना सके और न ही इनको ज्ञान है। ये पूरी तरह अनाड़ी और अज्ञानी व्यक्ति है। जो अपने अधीन कार्यरत कर्मचारियों को धमकाकर उनसे प्रेसनोट और कोई लेख लिखवा लेता है। जो पत्रकार इनकी चाटूकारिता करते हैं उसको ये अपने चेंबर में बुलाकर दुसरो की बुराई करते है और अपने मनमानी तरीके से खबर छपवाते है। (Indian Railway में अनाड़ी बना खिलाड़ी)

अनाड़ी और अज्ञानी ..

जैन किसी भी योग्य नही है केवल मुफ्त की पगार लेकर, दूसरों की बुराई करके अपना उल्लू सीधा कर रहे है। पता नही रेलवे के वरिष्ठ अधिकारी इनको किस आधार पर बिठाकर रखा है। आपको जानकारी देते हुए बता दें, कि ये तो भुसावल, सोलापुर और पूना स्टेधन के योग्य नही है। इनको मुंबई जैसे स्टेशन पर जीएम कार्यालय में नियुक्ति करके रखा है। एक सीपीआरओ तो इनके आतंक से रोकर अपना ट्रांसफर करवाकर चले गए। जो अपना कार्यकाल भी पूरा नही कर पाए थे। (Indian Railway में अनाड़ी बना खिलाड़ी)

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Indian Railway, अनाड़ी बना खिलाड़ी,
मुंबई सीएसटी रेलवे स्टेशन की फाइल तस्वीर

इसके पूर्व भोपाल में भी इनका कार्य अच्छा नही था। अब देखना होगा कि जनरल मैनेजर नरेश लालवानी इन पर कार्रवाई करते है या इनको रिवार्ड देते है। अगर इस खबर के बाद लालवानी इनके ऊपर कार्रवाई नही करते, तो रेलवे का सबसे बड़ा दुर्भाग्य होगा। जैन से आंतरिक रूप से सारे कर्मचारी नाराज है। सभी चाहते है कि जैन जल्दी से जल्दी यहाँ से चले जाएं। ये दुसरो की बुराई करने में डिग्री हासिल कर चुके है। नए मुख्य जनसंपर्क अधिकारी डॉ शिवाजी मानसपुरे को भी कई लोगो के विरुद्ध उल्टा सीधा बताकर रखा है। (Indian Railway में अनाड़ी बना खिलाड़ी)

Indian Railway में अनाड़ी बना खिलाड़ी

जैन का रिटायरमेंट केवल तेरह महीने और बचा है। फिर भी अपने आदत से मजबूर है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कालबादेवी के कुछ कपड़ा व्यापारियों का पत्रकार कोटे के अधीन टिकट का कोटा करवाना जो पत्रकार नही है और अन्य रेलवे के बारे में खबर भी छपवाते है। इसके साथ ही जैन समाज की नेतागिरी भी करते है। (Indian Railway में अनाड़ी बना खिलाड़ी)

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इनको कोई यह भी जानकारी नही है पत्रकारों को खबर संकलन करने के लिए आरटीआई की जरूरत नहीं पड़ती आरटीआई अधिनियम तो 2005 से लागू हुआ है क्या इसके पहले मीडिया काम ही नहीं करती थी। किसी भी खबर की जानकारी मांगने पर पत्रकारों को आरटीआई डालकर खबर निकालने के लिए जैन कहते है। ऐसे व्यक्ति को केंद्रीय विभाग में जनसंपर्क अधिकारी के पद पर कैसे बिठाया गया है यह भी एक जांच का विषय है बना हुआ है। (Indian Railway में अनाड़ी बना खिलाड़ी)


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