कितनी सुधरी रेल व्यवस्था?

रेल मंत्री बड़े-बड़े दावे करते हैं। ट्रेनें अपने निर्धारित समय पर चलने लगी हैं। यात्रियों की सुविधा के लिए क्रमशः पैसेंजर, एक्सप्रेस, सुपर एक्सप्रेस, मेल, राजधानी एक्सप्रेस, सुपर फास्ट एक्सप्रेस, दुरंतो, गरीब रथ और बुलेट ट्रेनें चलाई जा रही। साधारण एक्सप्रेस की ही तरह सुपरफास्ट ट्रेनें चल रहीं हैं। सुविधाओं का अभाव है। न कहीं भोजन की व्यवस्था नहीं चाय पानी की और तो और इटारसी जैसे व्यस्त जंक्शन के स्टालों पर नीर गायब है। आम चाय दस रुपए की है बिलकुल पानी जैसी चाय। कैंटीनों में दो सौ एम एल चाय की जगह सौ एम एल चाय मिल रही है। तमाम स्टेशनों पर चाय नदारद है। टॉयलेट्स में पानी नहीं, पानी है भी तो गंदगी का साम्राज्य है। हाथ धोने के लिए जो टब बनाए गए हैं, वे गंदे पानी से भरे हुए हैं। साफ-सफाई चाहे बोगी हो या टॉयलेट्स व्यवस्था का सर्वथा अभाव ही अभाव है।

ट्रेन संख्या 01468 जो बनारस से कुर्ला टी टी के लिए जाती है वह स्पेशल सुपरफास्ट के नाम से है। 05/03/2023 को बनारस जिसे bsbs भी कहते हैं। वहां से शाम 18.10 पर उक्त ट्रेन को प्रस्थान करना था मगर 17.00 पर पूछताछ कार्यालय से बताया गया कि ट्रेन तीन घंटे लेट है। वास्तव में ट्रेन संख्या 01467 जो कुर्ला टी टी से चलकर प्रयागराज सुबह 11 बजे पहुंचनी थी जो रात 8 बजे तक प्रयागराज नहीं पहुंची थी। bsbs से अनाउंस किया गया रात सात बजे कि ट्रेन ढाई घंटे लेट है और प्लेटफार्म बदलते हुए एक से दो पर यात्रियों को जाने का निर्देश मिला। एक बार भी ट्रेन लेट होने से यात्रियों को कष्ट के लिए खेद तक प्रकट नहीं किया गया। खरामा खरामा ट्रेन दस बजे आई। यात्री ट्रेन में बैठे। कुछ देर बाद ट्रेन चली ज़रूर लेकिन बैलगाड़ी से स्पर्धा करते हुए। परिणाम हुआ कि दो घंटे की जगह आठ घंटे में उक्त ट्रेन प्रयागराज रेलवे जंक्शन पर पहुंची। वहां संध्या समय से ही प्रतीक्षा करते यात्री ट्रेन में सवार हो गए। ट्रेन चली भी तो स्पीड में बैलगाड़ी की गति से मात खाती हुई। ज्ञात हो कि स्पेशल सुपर फास्ट ट्रेन 01468 के कुर्ला टी टी पहुंचने का सेडयुल टाइम है 8.40 बजे लेकिन?

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उक्त ट्रेन 06/03/2023 को बजाय 07/03/2023 को 11 बजे दिन में पहुंची। हमेशा जापान की तरह हमारे देश में ट्रेनें चलाने के दावे किए जाते हैं लेकिन क्या रेल मंत्रालय को पता है कि जापान में ट्रेन चंद मिनट लेट होने पर जापान की रेल माफी मांगती है और यात्रियों को टिकट लौटकर तुरंत दूसरी ट्रेन से भेजने की व्यव्स्था करती है? रेल मंत्री साहब जापान तो क्या आप किसी दूसरे देश से तुलना नहीं कर सकेंगे। जिस देश में कोई नेता, कोई सरकारी कर्मचारी अपनी जवाबदेही नहीं समझता। वर्क इज वर्शिप नहीं मानता। मनमानी करता है उस देश की तुलना किसी अन्य देश से करना भयानक भूल होगी। दुर्भाग्यवश लालू प्रसाद यादव ने जिस तरह दो सौ से अधिक एक्सप्रेस ट्रेनों के नाम सुपर फास्ट रखकर अधिक किराया वसूला था जिससे रेलवे को फायदा पहुंचाने का दावा किया था। ठीक वही आज भाजपा शासन में किया जा रहा। bsbs स्पेशल सुपर फास्ट ट्रेन का यह हाल कहता है कि भारतीय रेलें आज भी बैलगाड़ी युग की तरह ट्रेन चलाई जा सकती है। तमाम यात्रियों को शारीरिक, मानसिक त्रास मिला है। क्या मंत्रालय यात्रियों को जापान की तरह व्यवहार कर समुचित मुआवजा देगा?

इस यात्रा के कारण किसी को गैरहाजिर तो किसी को नौकरी से हाथ धोना पड़ा तो? संभव है कोई गंभीर रूप से बीमार हो और उसे मुंबई के बड़े डॉक्टर का अपॉइंटमेंट मिला हो या फिर छः तारीख की रात में या सात की सुबह विदेश जाने के लिए हवाईयात्रा का टिकट बुक हो। ऐसी दशा में लोग क्या करेंगे? क्या रेल मंत्रालय ट्रेनों को सही समय चलाने और विलंब होने पर मुवावाजा देने की व्यवस्था करेगी?

अंदाजा लगाया गया था, कि स्पेशल ट्रेन दस बजे तक कुर्ला टीटी पहुंचेगी लेकिन ट्रेन 11.30 पर ठाणे स्टेशन पहुंची और वहीं बिना पूर्व सूचना के प्राइवेट बसों की तरह रेल पुलिस के जरिए यात्रा समाप्ति की घोषणा कर यात्रियों को जानवरों की तरह नीचे उतार दिया गया। कारण भी नहीं बताया गया। यह तो रेलवे की गुंडागर्दी और सेवा में कमी का सीधा मामला बनता है। क्यों न रेल यात्रियों का एक संगठन बनाया जाय जो रेलवे की सेवा में कमी के लिए जुर्माना लगा सके। अभी सेवा में कमी के लिए दिल्ली में शिकायत दर्ज करानी पड़ती है। कितने रेल यात्रियों को प्रक्रिया ज्ञात है। बता दें कि यात्रियों को 1100 रुपये टैक्सी का किराया देकर अपने निवास तक जाने को मजबूर होना पड़ा। क्या रेल मंत्री संज्ञान लेंगे? क्या कुर्ला टीटी तक टिकट लिए यात्रियों में प्रत्येक को दस दस हजार रुपए देंगे? इल्यास मर्चेंट की कलम से….🖋

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