दिंडोशी सत्र न्यायालय ने पॉक्सो आरोपी फरहान खान को 20 साल सश्रम कारावास की सज़ा सुनाई

एमएचबी कॉलोनी पुलिस थाने के पॉक्सो केस में आरोपी फरहान साकिब खान (27) को दिंडोशी सत्र न्यायालय ने 20 साल सश्रम कारावास और जुर्माने की सज़ा सुनाई। केस की जांच एमएचबी पुलिस टीम ने की थी।

मुंबई: दिंडोशी सत्र न्यायालय ने शुक्रवार को एक महत्वपूर्ण फैसले में एम.एच.बी. कॉलोनी पुलिस स्टेशन में दर्ज पॉक्सो अपराध के आरोपी फरहान साकिब खान (27 वर्ष) को 20 वर्ष सश्रम कारावास की सज़ा सुनाई। आरोपी को अलग-अलग धाराओं के तहत कुल मिलाकर कई सजाएँ दी गईं, जिनमें धारा 363, 376(2)(n), 506(2) भारतीय दंड संहिता (IPC) और पॉक्सो अधिनियम की धारा 5(1)(m) व 6 शामिल हैं।

⚖️ अदालत का फैसला

माननीय सत्र न्यायाधीश श्रीमती एस.एन. सचदेव (कोर्ट नंबर 13) ने आदेश में कहा कि आरोपी ने नाबालिग पीड़िता के साथ गंभीर अपराध किया है,
इसलिए उसे 20 वर्ष सश्रम कारावास और ₹1000 का आर्थिक दंड दिया जाता है।
यदि दंड राशि अदा नहीं की गई, तो आरोपी को एक माह का अतिरिक्त साधारण कारावास भुगतना होगा।

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इसके अलावा, अन्य धाराओं के तहत —

  • धारा 363 (अपहरण) के तहत 3 वर्ष सश्रम कारावास और ₹1000 जुर्माना,
  • धारा 376(2)(n) (बलात्कार) के तहत 10 वर्ष सश्रम कारावास,
  • धारा 506(2) (धमकी देना) के तहत 1 वर्ष सश्रम कारावास की सजा सुनाई गई।

सभी सजाएँ साथ-साथ चलेंगी (Concurrent Sentences)।

👮‍♂️ पुलिस की प्रभावी कार्रवाई

इस मामले में तत्कालीन जांच अधिकारी पुलिस निरीक्षक प्रकाश जाधव ने आरोपपत्र (Chargesheet) न्यायालय में प्रस्तुत किया था।
मुकदमे के दौरान सरकारी अभियोक्ता देवतरसे साहब, चव्हाण मैडम और जाधव मैडम ने केस की पैरवी की।

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पूरी जांच और कार्रवाई वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक हरीश गवळी, पो. नि. अतुल आव्हाड (गुन्हे विभाग), और मा. पो. आ. घनवटे सर के मार्गदर्शन में की गई।
न्यायालयीन कार्यवाही की निगरानी म. पो. ह. सातपुते ने की।

🧾 मामले का पृष्ठभूमि (Case Background)

यह मामला एम.एच.बी. कॉलोनी पुलिस थाने में गुन्हा क्रमांक 288/2019 के तहत दर्ज किया गया था।
आरोपी फरहान खान पर नाबालिग बालिका के अपहरण और यौन शोषण का आरोप था।
पुलिस ने जांच पूरी कर 2019 में ही न्यायालय में चार्जशीट दाखिल की थी।
लगातार सुनवाई के बाद आज न्यायालय ने आरोपी को दोषी ठहराया और सख्त सजा सुनाई।

🧠 जनहित के नज़रिए से

पॉक्सो (POCSO) अधिनियम का उद्देश्य नाबालिगों को यौन शोषण से सुरक्षा देना है।
यह फैसला समाज को संदेश देता है कि बच्चों के खिलाफ अपराध करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा।
पुलिस अधिकारियों ने कहा कि यह सज़ा कानून के प्रति विश्वास को मजबूत करेगी और भविष्य में ऐसे अपराधों पर रोक लगाएगी।


FAQ सेक्शन:

प्रश्न 1: आरोपी को कितनी सजा मिली है?
👉 आरोपी को कुल 20 वर्ष सश्रम कारावास और ₹1000 का जुर्माना लगाया गया है।
प्रश्न 2: केस किस पुलिस थाने में दर्ज था?
👉 यह केस एम.एच.बी. कॉलोनी पुलिस थाने में दर्ज था।
प्रश्न 3: जांच अधिकारी कौन थे?
👉 तत्कालीन जांच अधिकारी पुलिस निरीक्षक प्रकाश जाधव थे।
प्रश्न 4: फैसला किस न्यायाधीश ने सुनाया?
👉 यह फैसला माननीय सत्र न्यायाधीश श्रीमती एस.एन. सचदेव (कोर्ट नं. 13) ने सुनाया।
प्रश्न 5: पुलिस टीम में कौन-कौन अधिकारी शामिल थे?
👉 वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक हरीश गवळी, पो.नि. अतुल आव्हाड, मा.पो.आ. घनवटे सर और म.पो.ह. सातपुते इस केस में शामिल थे।


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