नईम शेख
मुंबई– मुंबई क्राईम ब्रांच की युनिट 7 ने एक ऐसे गिरोह का खुलासा किया है, जो “लॉकडाउन” का फायदा उठाकर लोगों को एक शहर से दूसरे शहर जाने के लिए सरकार द्वारा जारी किया जाने वाला ई-पास नकली बना कर दिया करता था! गिरोह इतना चालाक था की लोगों से पैसे वसूलने के लिए बैंक अकाउंट का भी बे-जिझक इस्तेमाल किया करता था! कल्याण और भांडुप के रहने वाले दो आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर आगे की पूछताछ कर रही है!
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मिली जानकारी के मुताबिक, मुंबई क्राईम ब्रांच युनिट 7 के प्रभारी पुलिस निरीक्षक सतीश तावरे को जानकारी प्राप्त हुई की मोबाइल क्रमांक धारक 8838787777 “लॉकडाउन” के दरम्यान लोगों को आवश्यक या मैडिकल कारणों पर, मुंबई शहर से दूसरे जिलों में जाने के लिए ई-पास और स्वास्थ्य फिटनेस सर्टिफिकेट नकली कागज के जरीए पैसे लेकर मुहैया कराता है! शुक्रवार 3 जुलाई को विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त जानकारी, पुलिस निरीक्षक सतीश तावरे ने वरिष अधिकारियों को सूचित किया!
मामले की तहकीकात के लिए युनिट 7 के पुलिस निरीक्षक मनीष श्रीधनकर नकली ग्राहक बनकर उस नंबर पर फोन किया! श्रीधनकर ने कहा, कि ‘दो लोगों को व्यापार के सिलसिले में मुंबई से सोलापूर जाने के लिए ई-पास मिलेगा क्या? आरोपी ने इसपर दोनों के Covid-19 की जांच प्रमाणपत्र, वाहन चालक का लायसंस फोटो कॉपी, वाहन चालक की सेल्फी फोटो और मोबाइल नंबर की मांग की! पुलिस निरीक्षक श्रीधनकर ने पूछा की पैसे कितने लगेंगे? उसने जवाब दिया की ई-पास के लिए 5 हजार!
श्रीधनकर ने बात बढ़ाते हुए कहा कि सफर करने वाले दोनों पैसेंजर और ड्राइवर का Covid-19 प्रमाणपत्र नहीं है! तो उसने कहा हजार रुपए अलग से लगेंगे! पेमेंट के लिए पूछा तो आरोपी ने फेडरल बैंक का खाता क्रमांक देकर पैसे ट्रांसफ़र करने को कहा, श्रीधनकर ने सौदा पक्का करने के लिए 1 हजार रुपए अडवांस के तौर पर ऑनलाइन ट्रांसफ़र के जरिए आरोपी के खाते में जमा कर दिए और बाकी पैसे ई-पास देते समय देने का कबूल किया! सौदा पक्का हो गया और आरोपी ने बताया की रात 10 बजे के आस-पास भांडुप इलाके में एक व्यक्ति आप से मिलकर आपको ई-पास देगा!
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अब आरोपी को जाल बिछाकर पकड़ने के लिए मुंबई क्राईम ब्रांच युनिट 7 के अधिकारियों ने टीम बनाई! जिसमें पुलिस उपनिरीक्षक संजय सुर्वे, पुलिस ना. सपकाळे, पुलिस सिपाही चिले, शिंगोटे, सय्यद भांडुप के बताए स्थान पर जाल बिछाकर आरोपी का इंतजार कर रहे थे! शुक्रवार लगभर 11:30 के आसपास एक व्यक्ति मारोती कार क्रमांक एमएच 03 सीवी 0556 वहां पहुंचा और पुलिस के ड्राइवर धुमाळ के नाम से पूणे जिलाधिकारी द्वारा जारी ई-पास उसने दिया! जिसे बनवाने के लिए पुलिस निरीक्षक श्रीधनकर ने कहा था! धुमाळ ने उसे अधिकारियों द्वारा निर्देशानुसार 5 हजार रुपए दिए! पैसा लेते ही पुलिस के सभी कर्मचारियों ने उसे घेर लिया!
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पकड़े गए 25 वर्षीयआरोपी ने कबूला की व्यक्तिगत फायदे के लिए लोगों को जिलाधिकारी द्वारा जारी नकली ई-पास बनाकर देने का काम करते थे! क्राईम युनिट के अधिकारियों ने उसे स्थानीय भांडुप पुलिस थाने लेजा कर मामला दर्ज करवाया! जहां गु.र.क्र. 359/2020 में भादवी. की धारा 465, 467, 468, 471, 474, 420, 34 के तहत मामला दर्ज कर आगे की जांच के लिए मामला क्राईम ब्रांच ने अपने हाथ में लिया!
इसकी गिरफ्तारी के बाद दूसरे साथी की जानकारी में उसने बताया की, दोनों चचेरे भाई हैं! उसने बताया कि वह पुणे और अहमद नगर के बार्डर पर रहता है! उसे पकड़ने के लिए पुलिस को तीन टीमों को मुंबई, पुणे और ठाणे के लिए रवाना करना पड़ा आखिर शनिवार को भांडुप से ही उसे भी पुलिस ने गिरफ्तार किया! मुख्य 31 वर्षीय आरोपी ने बताया कि वह पुणे का रहने वाला है, उसके गांव लोग मुंबई घाटकोपर में बहोत से लोग रहते हैं! “लॉकडाउन” में फंसे होने के कारण उन्हें अपने गांव जाने के लिए ई-पास की जरुरत थी!
इसका पता चलते ही उसने नकली कागजातों के सहारे ई-पास बनाकर दिया! जिसकी जांच युनिट के अधिकारी पुणे जिलाधिकारी कार्यालय से कर रहे हैं! मामले में यह भी पता चला, कि ‘आरोपी के पास टी-परमीट मारुति कार जिससे पहला आरोपी पकड़ा गया था उसे ई-पास धारकों से भाड़ा वसूलकर ट्रवेल के लिए इस्तेमाल किया जाता था!’ माननीय न्यायालय के समक्ष पेश किए जाने पर 9 जुलाई तक के लिए पुलिस कस्टडी की सज़ा सुनाई गई है! मामले की अधिक जांच क्राईम युनिट 7 के अधिकारी कर रहे हैं!
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