भारत बंद: किसानों ने कृषि क़ानून वापस लेने की मांग

इस्माईल शेख
मुंबई-
केंद्र सरकार के तीन कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ 26 नवंबर से दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे किसानों द्वारा आहूत, देश व्यापी मंगलवार 8 दिसंबर भारत बंद का पूरे देश में मिला-जुला असर देखने को मिला! बंद के कारण कुछ राज्यों में जनजीवन प्रभावित हुआ, वहीं कुछ राज्यों में सामान्य स्थिती बनी रही!

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केंद्र के नए कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर किसान संगठनों के आह्वान पर बुलाए गए ‘भारत बंद’ के समर्थन में मंगलवार को देश के कई हिस्सों में दुकानें और कारोबारी प्रतिष्ठान बंद रहे! साथ ही बंद के कारण परिवहन पर भी असर देखने को मिला!

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बंद को मिला समर्थन

देश व्यापी भारत बंद को आपातकालीन सेवाओं और बैंकों से दूर रखा गया! अखिल भारतीय बंद को अधिकतर विपक्षी दलों और कई ट्रेड यूनियनों का समर्थन मिला! पंजाब, हरियाणा जैसे राज्यों और किसानों के प्रदर्शन का केंद्र बनी दिल्ली में बंद का असर ज्यादा देखने को मिला!

“भारत बंद” के समर्थन में किसानों के साथ मैदान में उतरे महाराष्ट्र के कैबिनेट मंत्री असलम शेख..एवं कार्यकर्ता

किसानों ने प्रदर्शन के दौरान ‘जय किसान’, ‘हमारा भाईचारा जिंदाबाद, किसान एकता जिंदाबाद, तानाशाही नहीं चलेगी’ जैसे नारे लगाए! वही मुंबई के कांदिवली चारकोप विधानसभा से समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने केंद्र सरकार के खिलाफ “हल्ला बोल” आंदोलन का प्रदर्शन किया! जिसमें चारकोप विधानसभा अध्यक्ष अज़हर सिद्दिकी ने प्रदर्शन का नेतृत्व करते हुए केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ जोरदार नारेबाज़ी की !

“भारत बंद” आंदोलन मे शामिल महाराष्ट्र में कैबिनेट मंत्री असलम शेख की तस्वीर…

आप को बता दें कि किसानों ने भारत बंद के समर्थन में दुकानें बंद रखने का आग्रह किया था! अखिल भारतीय किसान सभा (AIKS) के महासचिव हन्नान मुल्ला ने कहा कि ‘भारत बंद’ किसानों की ताकत दिखाने का एक जरिया है और उनकी जायज मांगों को देशभर के लोगों का समर्थन मिला है! उन्होंने कहा, कि “हम तीनों कानूनों की पूरी तरह वापसी की मांग पर अडिग हैं और किसी तरह के संशोधनों पर राजी नहीं होंगे! ये ऐसा कानून हैं, जिसमें संशोधन से कोई फर्क नहीं पड़ेगा!”

महाराष्ट्र के मुंबई सहित अधिकतर हिस्सों में उपनगरीय ट्रेनों और बसों सहित सार्वजनिक परिवहन सेवाएं मंगलवार को किसानों द्वारा आहूत ‘भारत बंद’ के बावजूद लगभग सामान्य रहीं! आंदोलनकारी किसानों को आशंका है कि नए कानूनों से उनकी रोजी-रोटी पर असर पड़ने वाला है! जिसके खिलाफ केंद्र सरकार से किसानों पर लादे जारहे काले कानून को वापस लिए जाने की मांग हो है!

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