मुंबई की 69 वर्षीय श्रीमती ललिता मल्होत्रा को एक प्राइवेट इंश्योरेंस एजेंट ने फर्जी पेंशन स्कीम के बहाने लगभग ₹ 7.95 लाख प्रीमियम भरवाकर धोखा दिया। एक साल बाद पेंशन न मिलने पर पुलिस में FIR दर्ज। जानिए पूरा मामला, सावधानियाँ और कानूनी प्रक्रिया।
मुंबई: मलाड (वेस्ट) क्षेत्र की इक निवासी, ६९ वर्षीय ललिता मल्होत्रा नाम की एक बुज़ुर्ग महिला, पेंशन स्कीम का झांसा देकर लगभग ₹ 8 लाख से कम नहीं की गई राशि एक एजेंट को चुकाने के लिए मजबूर हुई। आरोपी संस्था एक निजी इंश्योरेंस कंपनी का प्रतिनिधि कहलाई जा रही है।
कैसे हुआ धोखा?
घटना | विवरण |
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पहला संपर्क | 2023 में, ललिता ने एक पॉलिसी ली 5 साल के लिए, और पहली किश्त के रूप में ₹ 61,350 बैंक चेक से चुकाई गई। ([The Indian Express][1]) |
दूसरी किश्त की दबाव | जनवरी 2024 में, एजेंट अशिष तिवारी ने दूसरी किस्त भरने के लिए फोन किया। लेकिन महिला ने कहा कि अभी एक वर्ष पूरा नहीं हुआ है, तो नीति बंद़ करना चाहती हैं। |
वादा पेंशन का | तिवारी ने कहा कि पॉलिसी में बोनस आ गया है, नीति का मूल्य बढ़ गया है, और यदि बाकी राशि चुकाई जाए तो नवंबर 2024 से पेंशन मिलना शुरू होगी। |
भुगतान की प्रक्रिया | मई 2024 से फ़रवरी 2025 तक, कुल 12 किश्तों में लगभग ₹ 7,95,000 गूगल पे से तिवारी द्वारा दिए गए बैंक खाते में जमा कराई गईं। |
पेंसन शुरू न होने पर आशंका | नवंबर 2024 से पेंशन मिलने का जो वादा था, तिवारी ने वो पूरा नहीं किया। उसने कॉल और मैसेज का जवाब देना बन्द कर दिया। |
शिकायत और कानूनी कार्यवाही
- ललिता-मल्होत्रा जब पेंशन न मिलने की बात पूछने लगीं, तब एजेंट उनसे बचने लगा। उसके बाद उन्होंने अपनी बेटी को सूचित किया और मेई 2025 में बंगुर नगर पुलिस थाने में लिखित शिकायत दर्ज करवाई।
- पुलिस ने मामला जांचा और आशिष तिवारी के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (BNS) की विभिन्न धाराओं, जैसे कि धोकाधड़ी (cheating), फर्जी आश्वासन देना वगैरह के तहत प्रकरण दर्ज किया है।
⚠️ वरिष्ठ नागरिकों के लिए चेतावनियाँ
- जाने-पहचाने एजेंटों या कंपनियों से ही व्यवसाय करें — यदि प्रतिनिधि का नाम, पहचान पत्र, कंपनी का नाम स्पष्ट नहीं हो, तो तुरंत संदिग्ध समझें।
- पहले लिखित दस्तावेज़ मांगें — पॉलिसी की पूरी जानकारी, प्रीमियम की राशि, पेंशन की शुरुआत की तिथि आदि सभी चीज़ों का दस्तावेज़ बने।
- भुगतान से पहले नीति की शर्तें पढ़ें — फाइन प्रिंट (terms & conditions), बोनस क्लॉज, पॉलिसी की समाप्ति आदि।
- लाखों त्वरित उपायों पर न बहकें — “पेंशन अब शुरू होगी”, “बोनस आ गया है”, “थोड़ी बार भुगतान करो” जैसे वादे सदैव सच नहीं होते।
- बैंक ट्रांज़ैक्शन्स के दस्तावेज़ सुरक्षित रखें — हर पेमेंट का रिकॉर्ड हो, चाहें चेक हो, ऑनलाइन ट्रांसफर हो या गूगल पे आदि।
- परिचित व्यक्ति या परिवार को जानकारी दें — यदि कोई निवेश प्रस्ताव बहुत अच्छा लगे, परिवार को बताएं, किसी भरोसेमंद से राय लें।
⚖️ कानूनी प्रक्रिया और क्या हो सकता है आगे
- पुलिस ने आशिष तिवारी के ख़िलाफ़ बनार जनता न्याय संहिता की धाराएँ लगाई हैं: धोकाधड़ी (cheating), फोटोग्राफ़ी या दस्तावेज़ फर्जीवाड़ा (forgery), आदि।
- बैंक खाते की जांच की जाएगी कि पैसे कहाँ गए हैं, कौन-से खाते में जमा हुए, और क्या पैसे बरामद हों सकते हैं।
- यदि साबित हुआ कि एजेंट ने फर्जी वादे किए, तो वह जवाबदेह होगा और आरोपी के खिलाफ FIR, बाद में चार्ज शीट, न्यायालयिक सुनवाई हो सकती है।
- वरिष्ठ नागरिकों के लिए सरकारी/पुलिस हेल्पलाइन्स हैं जहाँ ऐसे प्रकरण दर्ज कराए जा सकते हैं, साइबर क्राइम सेल को सूचित किया जा सकता है।
🛡️ वरिष्ठ नागरिकों के लिए कानूनी अधिकार और बचाव गाइड
1. कानूनी अधिकार
- धोखाधड़ी (Cheating): भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 316 (पूर्व IPC 420) लागू होती है।
- फर्जी दस्तावेज़ / जाली साक्ष्य: धारा 336 (पूर्व IPC 468, 471) लागू हो सकती है।
- साइबर अपराध: IT Act की धाराएँ भी लागू हो सकती हैं, जैसे धारा 66D (cheating by personation using computer resources)।
- वरिष्ठ नागरिकों के अधिकार: Maintenance and Welfare of Parents and Senior Citizens Act, 2007 के तहत वरिष्ठ नागरिकों को सुरक्षा, देखभाल और सहायता मिलती है।
2. कहाँ शिकायत करें?
- स्थानीय पुलिस थाने (FIR दर्ज कराना ज़रूरी है)
- साइबर क्राइम पोर्टल: cybercrime.gov.in
- हेल्पलाइन नंबर: 1930 (साइबर फ्रॉड हेल्पलाइन)
- वरिष्ठ नागरिक हेल्पलाइन (मुंबई पुलिस): 1090
3. बचाव के उपाय
✔️ किसी भी पेंशन स्कीम या इंश्योरेंस पॉलिसी को ऑनलाइन वेरिफाई करें।
✔️ एजेंट का IRDAI रजिस्ट्रेशन नंबर चेक करें (इंश्योरेंस रेग्युलेटर की वेबसाइट पर उपलब्ध)।
✔️ अनजाने खातों में गूगल पे / UPI से बड़ी रकम ट्रांसफर न करें।
✔️ परिवार के किसी सदस्य या भरोसेमंद व्यक्ति को सभी निवेश योजनाओं के बारे में जानकारी दें।
✔️ हमेशा लिखित एग्रीमेंट / पॉलिसी डॉक्यूमेंट रखें।
4. अगर धोखा हो जाए तो तुरंत क्या करें?
- अपने बैंक और UPI ऐप को कॉल कर “फ्रॉड रिपोर्ट” दर्ज कराएं।
- 1930 पर कॉल करें और साइबर पुलिस को सूचना दें।
- cybercrime.gov.in पर ऑनलाइन शिकायत दर्ज करें।
- पुलिस थाने में FIR करवाएं और सारे पेमेंट स्क्रीनशॉट्स, बैंक स्टेटमेंट्स, मैसेजेस सबूत के तौर पर दें।
👉 यह गाइड न सिर्फ इस केस में बल्कि हर उस स्थिति में काम आएगी, जहाँ बुज़ुर्गों को वित्तीय धोखाधड़ी का खतरा हो।
यह मामला एक चेतावनी है कि कैसे बुज़ुर्ग लोग भरोसे के आधार पर आर्थिक नुक़सान उठा सकते हैं, खासकर जब उन्हें समय पर पेंशन या कोई वित्तीय लाभ मिलने का वादा किया जाए। सही जानकारी, दस्तावेज़, और धैर्य ही धोखाधड़ी से बचने की कुंजी है।
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