रेल अधिकारियों का टिकट आरक्षण देने का अजब फार्मूला

मुंबई मध्यरेल के रेल अधिकारियों का टिकट आरक्षण को लेकर ऐसा फार्मूला बना हुआ है। जो सभी चाहने वालों के लिए समान नियम बनाया गया है। यहां चाहने वालों के लिए कहा जा रहा है। आम जनता के लिए नहीं। जब, कि ये नियम बरसो से निरंतर चला आ रहा है। आईये आज हम इसका खुलासा करते हुए सिस्टम की पोल-खोल करते हैं…

वी.बी.माणिक
मुंबई-
मध्यरेल के कुछ बड़े अधिकारियों द्वारा अप्रैल और मई महीने में उत्तर प्रदेश और बिहार की ओर जाने वाली मेल एक्सप्रेस गाड़ियों में अपने गाँव की ओर जाने के लिए गरीबो को उनसे पूरे साल तक के लिए मुफ्त की सब्जी, मुफ्त का जूता पॉलिस, मुफ्त का वड़ा-पाव लेते है। फिर इसके बदले में सीजन के समय उनको प्रतीक्षा सूची में टिकट पर कोटा करवाते है।

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प्रतिकारात्मक फाईल तस्वीर

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार ये प्रतिक्रिया कई वर्षों से चल रहा है। जिसमे मुंबई मध्यरेल के ए.सी.एम.,डी.सी.एम. और इसके ऊपर के अधिकारी भी शामिल है। यही नही कुछ तो, जो इनके बंगले पर नौकरी करने वाले महिला और पुरुष हैं, उनके परिवार के लिए भी कोटा उपलब्ध करवाते है। अब रेल अधिकारी इतने निचले स्तर पर गिर जाएंगे ये किसी ने कल्पना भी नही किया होगा। यही कारण है, कि जो छोटे कर्मचारी है।

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रेल अधिकारियों का टिकट आरक्षण..

जैसे टी.सी., स्टेशन प्रबंधक, बुकिंग क्लर्क, पार्सल क्लर्क, इंजीनियर एवं अन्य विभागों में विराजमान काम करने वाले भी अपनी खुली मनमानी करते है और अधिकारियों से डरते भी नही है। इसी कारण यात्रियों से लूट-पाट आम बात हो गयी है। और अधिकारी अपने मे मस्त रहते है। क्योंकि इनका कोई कुछ करने वाला नही है। जिसके पास इनके खिलाफ कार्रवाई का अधिकार है, वो खुद भ्रष्टाचार के नाले में गोते लगा रहे है। वाह, रे “मुंबई मध्यरेल के अधिकारियों का सिस्टम।”

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