- प्लाज्मा होता कहां है..
- प्लाज्मा के चमत्कारिक गुण..
- प्लाज्मा थ्योरपी की जरूरत..
- कोरोना मरीज़ों में प्लाज्मा थ्योरपी का असर..
इस्माइल शेख
दिल्ली के मैक्स साकेत अस्पताल में जिस कोरोना संक्रमित व्यक्ति को देश में पहली बार प्लाज्मा थ्योरपी दी गई थी वो अब स्वस्थ है! मैक्स अस्पताल ने रविवार को यह जानकारी देते हुए बताया, कि 49 वर्षीय कोरोना संक्रमित व्यक्ति को, 4 अप्रैल, मैक्स साकेत अस्पताल में भर्ती किया गया था! मरीज़ की हालत बिगड़ने के बाद वेंटिलेटर पर रखा गया था! अस्पताल प्रशासन ने 14 अप्रैल को उसे प्लाज्मा थ्योरपी दी, जिसके बाद अगले एक हफ्ते में मरीज की हालत में काफी सुधार देखने को मिला!
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मैक्स अस्पताल ने बयान में बताया कि देश में पहली बार किसी कोरोना संक्रमित व्यक्ति को प्लाज्मा थ्योरपी दी गई और वो कामयाब रही! मैक्स के ग्रुप मेडिकल डायरेक्टर संदीप बुद्धिराजा ने कहा ‘हमें बेहद खुशी है कि इस मामले में थ्योरपी ने अच्छा काम किया!’ उन्होंने यह भी कहा, कि ‘प्लाज्मा थ्योरपी कोई जादू की गोली नहीं है! इलाज के दौरान दूसरे स्टैण्डर्ड ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल भी अपनाए गए और हम यह कह सकते हैं कि प्लाज्मा थ्योरपी ने उसको तेज़ी देने का काम किया जिससे मरीज़ की हालत में जल्दी सुधार हुआ! हम मरीज के ठीक होने का 100% श्रेय सिर्फ़ प्लाज्मा थ्योरपी को नहीं दे सकते, क्योंकि इसमें अन्य कारक भी हैं!’
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आप को बता दें कि मैक्स अस्पताल में कोरोना संक्रमित पिता और पुत्र को भर्ती कराया गया था! हालत बिगड़ने के बाद परिवार से प्लाज्मा थ्योरपी की गुजारिश की थी! प्लाज्मा डोनर भी परिवार ने ढूंढा, प्लाज्मा देने के बावजूद भी पिता को नहीं बचाया जा सका, लेकिन बेटे के ऊपर प्लाज्मा थ्योरपी ने अच्छा काम किया और वह स्वस्थ है!
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इस बीच, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी 26 अप्रैल को प्रेस कॉन्फ्रेंस में प्लाजा थ्योरपी का जिक्र करते हुए कहा, ‘प्लाज्मा थ्योरपी से अच्छे नतीजे आ रहे हैं! एक-एक मरीज के ऊपर मैं खुद नजर रख रहा हूं! एक मरीज की हालत बहुत ज्यादा खराब हो रही थी उनको प्लाज्मा दिया गया और उनकी तबीयत में आज सुबह तक काफी सुधार हुआ है! उस मरीज को देखकर प्लाज्मा थ्योरपी में हमारा उत्साह बढ़ा है! मैं उम्मीद करता हूं वह पूरी तरह से ठीक होकर अपने घर जाएंगे! लोगों के मन मे जज़्बा है कि कैसे दूसरे की जान बचा सकते हैं!कल को हो सकता है कि मुसलमान का प्लाज्मा हिन्दू के काम आए और हिन्दू का प्लाज्मा मुसलमान के काम!’
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प्लाज्मा होता कहां है..
प्लाज्मा खून मे मौजूद पीला तरल होता है! रेड ब्लड सेल, वाइट ब्लड सेल और प्लेट्लेट्स आदि को अलग करने के बाद बचे हुए को प्लाज्मा कहते है!
प्लाज्मा के चमत्कारिक गुण..
प्लाज्मा को आप शरीर का एक ऐसा शूरवीर मान सकते हैं, जो वायरसों को मार भगाता है! यह वायरसों के खिलाफ एंटीबॉडी बनाता है और फिर वायरस का काम तमाम करता है!
प्लाज्मा थ्योरपी की जरूरत..
वायरस अटैक के बाद मरीज़ के शरीर में प्लाज्मा के जरिए एंटिबॉडी बनने की ताकत सीमित या खत्म हो जाती है! इसलिए इस थेरपी के जरिए नए प्लाज्मा को शरीर में प्रवाहित कर मरीज़ को बचाया जा सकता है!
कोरोना मरीज़ों में प्लाज्मा थ्योरपी का असर..
प्लाज्मा थ्योरपी के तहत कोविड-19 से ठीक हो चुके मरीजों के खून से एंटीबॉडीज लेकर उनका इस्तेमाल गंभीर रूप से संक्रमित मरीजों के इलाज में किया जाता है! किसी मरीज के ठीक होने के बाद भी एंटीबॉडी प्लाज्मा के साथ शरीर में रहता हैं, फिर बीमार के शरीर में यह स्वस्थ प्लाज्मा फिर से नए ‘शूरवीर’ एंटिबॉडी पैदा करने लग जाता है, जिससे शक्तिशाली वायरस को मात देने में मदद मिलती है!
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आप को और अधिक जानकारी देते हुए बता दें, कि ‘प्लाज्मा थ्योरपी का 130 साल पहले यानी 1890 में जर्मनी के फिजियोलॉजिस्ट एमिल वॉन बेह्रिंग ने खोजा की थी! इसके लिए उन्हें नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था! यह दवाओं के क्षेत्र में पहला नोबेल पुरस्कार था!
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