उपमुख्यमंत्री ने मांगी प्रधानमंत्री से आर्थिक मदद, साथ ही मांगा हर महीने 10 हजार करोड़ का अनुदान

  • पत्र में और क्या है खास बातें..
  • GST का बकाया निधी की मांग..
  • अजित पवार ने दिया खर्च का ब्योरा..
  • आर्थिक घाटे की सीमा बढ़ाने की मांग..

विशेष संवाददाता- (नितिन तोरस्कर)
मुंबई-
शुक्रवार 17 अप्रैल महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एवं वित्तमंत्री अजित पवार ने देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखकर आर्थिक मदद के लिए आवेदन किया है! पत्र के माध्यम से उन्होंने कहा, कि ‘महाराष्ट्र ‘कोरोना’ के खिलाफ सभी मोर्चे पर पूरी क्षमता के साथ लड़कर जीत भी हासिल करेगा, लेकिन इसके लिए केंद्र सरकार की तरफ से आर्थिक सहायता की जरुरत है ‘कोरोना’ के खिलाफ मोर्चे पर महाराष्ट्र को सहायता करें!’

जीएसटी का बकाया निधी की मांग..
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एवं वित्तीय मंत्री अजित पवार ने पत्र में लिखा, कि ‘केंद्र सरकार की ओर से राज्य को आने वाली जीएसटी का बकाया दिया जाए, साथ ही जीएसटी की अगली रकम हर महीने समय पर दिया जाए, राज्य के आय का अपेक्षित घाटा ध्यान में रखते हुए अगले पांच महीनों के लिए महाराष्ट्र को हर महीने दस हजार करोड़ अनुदान दिया जाए, आर्थिक चुनौतियों का सामना करने के लिए वित्तीय घाटे की मर्यादा 5 प्रतिशत तक बढ़ाई जाए’ आदी मांगे प्रधानमंत्री से पत्र द्वारा की गई है!

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पत्र में और क्या है खास बातें..
उपमुख्यमंत्री अजित पवार द्वार प्रधानमंत्री को लिखित पत्र में राज्य के औद्योगिक, व्यापार, आर्थिक क्षमता के बारे में विश्वास दिलाते हुए, अजित पवार ने स्पष्ट किया की ‘कोरोना’ वायरस के संकट को मात देने के लिए महाराष्ट्र के पास पर्याप्त शक्ति मौजूद है! साथ ही उन्होंने यह भी बताया, कि ‘केंद्र सरकार द्वारा 24 मार्च से 3 मई तक ‘लॉकडाउन’ की घोषणा पर राज्य की अर्थव्यवस्था बंद पड़ी है! मार्च महीने में महाराष्ट्र का जीएसटी की आय में 27 हजार करोड़ का घाटा हुआ है! अब भी लॉकडाउम जारी है, जिसकारण अगले कुछ महीनों के लिए राज्य की अर्थव्यवस्था नीचे जाने का डर है! इन तथ्यों को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार द्वारा महाराष्ट्र के लिए नियुक्त सूत्रों के तहत दिया जानेवाला अनुदान बीना विलंब किए तत्काल दिया जाए!’

अजित पवार ने दिया खर्च का ब्योरा..
पत्र में प्रधानमंत्री को उन्होंने बताया, कि ‘राज्य सरकार को कर्मचारियों के वेतन पर दर माह दस हजार करोड़, पेंशन पर तीन हजार करोड़, ऋण के ब्याज पर सात हजार करोड़, प्राथमिकता वाले सामाजिक योजनाओं के लिए तीन हजार करोड़ रुपयों का खर्च करना पड़ता है! ‘कोरोना’ के खिलाफ लड़ाई में समाधान के लिए राज्य को ज्यादा खर्च करना पड़ रहा है! इसके साथ ही विकास की योजनाएं भी चालू रखना जरुरी है! केंद्र की ओर से महाराष्ट्र को बकाया निधी नही मिलने के कारण इन प्रमुख जवाबदारियों को पूरा करने में राज्य सरकार की मुश्किलें बढ़ गई है! इन वास्तविकता पर केंद्र सरकार विचार करते हुए सहयोग करें!’ ऐसा प्रधानमंत्री को दिये पत्र में उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने उल्लेखित किया है!

आर्थिक घाटे की सीमा बढ़ाने की मांग..
अजित पवार ने पत्र में आगे लिखते हुए मांग की है, कि ‘महाराष्ट्र ने हमेशा से आर्थिक नियम, कानून तथा वित्तीय अनुशासन का पालन किया है और आगे भी करने वाले हैं! राज्य की आर्थिक क्षमता, राज्य के आय की वर्तमान स्थिति तथा राज्य के समक्ष चुनौतियों को ध्यान में रखकर एफआरबीएम कानून के तहत राज्य पर आर्थिक घाटे की सीमा 5 प्रतिशत बढ़ाई जाए!’


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