मुंबई BMC चुनाव से पहले कांग्रेस और वंचित बहुजन आघाड़ी (VBA) के बीच गठबंधन फाइनल। 227 वार्डों में सीट शेयरिंग, MVA की अंदरूनी राजनीति, MNS फैक्टर और महायुति की चुनौती—पूरी डिटेल मुंबई की आम बोलचाल की हिंदी में।
मुंबई: बृहन्मुंबई महानगरपालिका (BMC) चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस और प्रकाश आंबेडकर की वंचित बहुजन आघाड़ी (VBA) ने आख़िरकार गठबंधन का ऐलान कर दिया है। लंबे समय से चल रही बातचीत के बाद दोनों दलों ने सीट शेयरिंग का फ़ॉर्मूला तय किया, जिसके तहत कांग्रेस 165 और VBA 62 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। 15 जनवरी को वोटिंग और 16 जनवरी को नतीजे आएंगे। यह गठबंधन कांग्रेस और VBA—दोनों के लिए मुंबई में सियासी वजूद बचाने और मज़बूत करने की एक अहम कोशिश माना जा रहा है।
BMC चुनाव से पहले आख़िरी वक़्त का गठबंधन
मुंबई की राजनीति में ऐन चुनाव से पहले गठबंधन होना कोई नई बात नहीं है, लेकिन इस बार कांग्रेस-VBA की जुगलबंदी इसलिए अहम है क्योंकि दोनों ही दल दबाव में दिख रहे थे। कांग्रेस को मुंबई में लगातार कमजोर होती पकड़ की चिंता है, वहीं VBA अब तक महानगर में बड़ा राजनीतिक स्पेस नहीं बना पाई है।
ऐसे में यह गठबंधन दोनों के लिए “करो या मरो” जैसी स्थिति लेकर आया है।
सीट शेयरिंग का गणित क्या कहता है?
BMC की कुल 227 सीटों में से:
- कांग्रेस: 165 सीटें
- VBA: 62 सीटें
VBA के लिए यह सीटें सिर्फ संख्या नहीं हैं, बल्कि मुंबई जैसे बड़े शहर में अपनी पहचान बनाने का मौका भी हैं। दूसरी तरफ़ कांग्रेस ने ज़्यादा सीटें लेकर यह साफ़ कर दिया है कि वह अभी भी खुद को इस गठबंधन की बड़ी ताक़त मानती है।
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MVA के अंदर बढ़ी खींचतान
कांग्रेस पहले से ही महा विकास आघाड़ी (MVA) का हिस्सा है, जिसमें:
- शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट)
- शरद पवार की NCP
लेकिन मामला तब उलझ गया जब शिवसेना-UBT ने राज ठाकरे की MNS के साथ हाथ मिला लिया। कांग्रेस ने इस पर खुलकर आपत्ति जताई और कहा कि MNS के साथ जाना पार्टी की विचारधारा के खिलाफ़ है।
इसी तनाव के बीच कांग्रेस का VBA से हाथ मिलाना यह दिखाता है कि मुंबई में पार्टी अब “सैद्धांतिक बहस” से ज़्यादा “चुनावी मजबूरी” पर चल रही है।
वोट बैंक की राजनीति और असली मक़सद
कांग्रेस-VBA गठबंधन का सीधा फोकस है:
- दलित वोट
- OBC वोट
- अल्पसंख्यक वोट
ये वो वर्ग हैं, जिन्हें अलग-अलग लड़कर दोनों पार्टियां पूरी तरह साध नहीं पा रही थीं। साथ आकर उम्मीद है कि वोटों का बंटवारा रुके और मुकाबले में मज़बूती आए।
महायुति की मज़बूती बनी सबसे बड़ी चुनौती
मुंबई के बाहर, ग्रामीण महाराष्ट्र में महायुति (BJP + शिंदे शिवसेना + अजित पवार NCP) ने हाल ही में जबरदस्त प्रदर्शन किया है:
- BJP: 117 नगराध्यक्ष
- शिंदे गुट: 53
- अजित पवार गुट: 37
- कांग्रेस: सिर्फ़ 28
ये आंकड़े कांग्रेस के लिए खतरे की घंटी हैं। अगर मुंबई जैसे किले में भी पार्टी कमजोर पड़ी, तो आगे की राजनीति और मुश्किल हो सकती है।
एशिया की सबसे अमीर नगरपालिका की जंग
BMC सिर्फ़ एक चुनाव नहीं है। यह:
- बजट
- कॉन्ट्रैक्ट
- शहरी विकास
- राजनीतिक कंट्रोल
सबका केंद्र है। इसी वजह से हर पार्टी यहां पूरी ताक़त झोंक रही है। कांग्रेस-VBA का गठबंधन इसी लड़ाई में खुद को ज़िंदा रखने की कोशिश है।
15 जनवरी की वोटिंग, 16 को फैसला
अब सबकी नज़रें:
- 15 जनवरी: मतदान
- 16 जनवरी: नतीजे
इन 24 घंटों में तय होगा कि यह गठबंधन भविष्य की राजनीति का मॉडल बनेगा या फिर सिर्फ़ एक चुनावी प्रयोग बनकर रह जाएगा।
FAQ (अक्सर पूछे जाने वाले सवाल)
Q1. कांग्रेस-VBA गठबंधन क्यों हुआ?
मुंबई में कमजोर होती पकड़ और वोटों के बंटवारे को रोकने के लिए दोनों दल साथ आए हैं।
Q2. सीट शेयरिंग का फ़ॉर्मूला क्या है?
कांग्रेस 165 और VBA 62 सीटों पर चुनाव लड़ेगी।
Q3. क्या यह गठबंधन MVA को प्रभावित करेगा?
हां, खासकर MNS के साथ शिवसेना-UBT की नज़दीकी को लेकर कांग्रेस में नाराज़गी है।
Q4. मतदान और नतीजे कब हैं?
15 जनवरी को वोटिंग और 16 जनवरी को नतीजे आएंगे।
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