मुंबई के मालाड स्थित चिनचोली बंदर में चल रहे एक फर्जी कॉल सेंटर पर पुलिस ने छापा मारकर पाँच लोगों को गिरफ्तार किया। आरोपी विदेशों में बैन दवाओं की सप्लाई का झांसा देकर भारी रकम वसूल रहे थे। पुलिस ने IT Act, BNS और टेलीग्राफ एक्ट की धाराओं में मामला दर्ज किया है।
मुंबई: मालाड इलाके में बांगुर नगर पुलिस ने एक बड़े फर्जीवाड़े का पर्दाफाश करते हुए पाँच लोगों को गिरफ्तार किया है। ये आरोपी एक अवैध कॉल सेंटर चलाकर अमेरिका सहित कई देशों के ग्राहकों को बैन दवाइयां भेजने का दावा करते थे और उनसे भारी रकम वसूलते थे। पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ IT Act और नई दंड संहिता (BNS) की कई धाराओं में केस दर्ज किया है।
Malad में चल रहा था अवैध कॉल सेंटर, विदेशी ग्राहकों को बनाया जा रहा था निशाना
मुंबई के चिंचोली बंदर, मालाड स्थित एक ऑफिस में यह फर्जी कॉल सेंटर ऑपरेट किया जा रहा था। गिरफ्तार आरोपी खुद को विदेशी ऑनलाइन फार्मेसी कंपनियों का प्रतिनिधि बताकर विदेशी ग्राहकों से संपर्क करते थे।
वे ग्राहक को कहते थे कि उनके लिए ऐसी दवाइयां उपलब्ध हैं जो आमतौर पर बैन हैं या ऑनलाइन बेचना गैरकानूनी है। इसी बहाने उनसे डॉलर में भुगतान भी ले लिया जाता था।
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गिरफ्तार आरोपियों की पहचान
पुलिस के अनुसार पकड़े गए पाँच आरोपी—
- अयूब शेख (30)
- फैजान भलीम (27)
- फारुख शेख (29)
- मोइन अहमद शेख (32)
- ज़ीशान नासिर अंसारी (22)
ये सभी मिलकर लंबे समय से ये फर्जीवाड़ा चला रहे थे।
ये सभी मिलकर अमेरिका सहित कई देशों के लोगों को फंसाकर लाखों की ठगी कर रहे थे।
कैसे करते थे ठगी? पुलिस ने खोला पूरा खेल
- संदिग्ध वेबसाइट या डेटा के जरिए विदेशी ग्राहकों तक पहुँच बनाना
- खुद को इंटरनेशनल ऑनलाइन फार्मेसी का अधिकारी बताना
- मेडिकल कंसल्टेशन का झांसा देना
- “बैन मेडिसिन उपलब्ध” कहकर ऑनलाइन पेमेंट वसूलना
- पैसे लेने के बाद उत्पाद न भेजना
यह पूरा नेटवर्क फार्मा से जुड़े अवैध कारोबार + साइबर फ्रॉड का कॉम्बिनेशन था।
कौन-कौन सी धाराओं में केस दर्ज?
बांगुर नगर पुलिस ने मामला दर्ज किया है—
- BNS की धाराएँ 318(4), 319(2), 3(5)
- IT Act 2000 की धाराएँ 66(A), 66(D), 75
- Indian Telegraph Act की धारा 20
पाँचों आरोपियों को 15 दिसंबर तक पुलिस कस्टडी में भेजा गया है।
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इस तरह के कॉल सेंटर लगातार मुंबई के कई इलाकों में पकड़े जा रहे हैं। विदेशी ग्राहकों को निशाना बनाया जा रहा है क्योंकि—
- वे दवाओं की कीमत ज़्यादा चुकाते हैं
- वे शिकायत भारत में दर्ज नहीं करा पाते
- वेरिफिकेशन की प्रक्रिया मुश्किल होती है
पुलिस अब इस रैकेट से जुड़े और लोगों की तलाश कर रही है।
FAQ सेक्शन
1. क्या गिरफ्तार कॉल सेंटर वास्तव में दवाइयां सप्लाई करता था?
नहीं, आरोपी सिर्फ भुगतान लेते थे और बाद में उत्पाद नहीं भेजते थे। यह पूरा रैकेट फर्जीवाड़ा था।
2. क्या ग्राहकों को किसी तरह की मेडिकल प्रिस्क्रिप्शन की सुविधा दी जाती थी?
वे खुद को इंटरनेशनल फार्मेसी बताकर नकली कंसल्टेशन की बात करते थे, जो पूरी तरह अवैध था।
3. क्या इस रैकेट में और लोग शामिल हो सकते हैं?
पुलिस के अनुसार यह एक बड़ा नेटवर्क हो सकता है, जिसकी जाँच जारी है।
4. क्या विदेशी ग्राहक भारत में केस दर्ज कर सकते हैं?
तकनीकी रूप से हाँ, लेकिन शिकायत प्रक्रिया जटिल होने के कारण अक्सर ठगी की रिपोर्ट नहीं होती।
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