मुंबई में राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य अभियान (NUHM) के 1200 कर्मचारियों ने बीएमसी में सीधी नियुक्ति की मांग उठाई। ठेकेदार पर वेतन, सुविधाओं और भत्तों में लापरवाही के आरोप।
मुंबई: बृहन्मुंबई महानगरपालिका (BMC) के अधीन राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य अभियान (NUHM) में 2016 से काम कर रहे करीब 1200 कर्मचारियों ने ठेकेदार डी.एस. इंटरप्रायज़ेस को हटाकर उन्हें सीधे बीएमसी के पब्लिक हेल्थ डिपार्टमेंट में शामिल करने की मांग की है। कर्मचारियों का आरोप है कि वर्षों की सेवा के बावजूद उन्हें न वेतनवृद्धि, न पीएफ, न मेडिकल सुविधा और न ही कोरोना काल में मिला भत्ता नही दिया गया है।

🔹 क्या है पूरा मामला?
महाराष्ट्र सरकार के स्वास्थ्य विभाग की ओर से पूरे राज्य में एनयूएचएम चलाया जाता है। मुंबई में यह सभी कर्मचारी बीएमसी के अधीन स्वास्थ्य सेवाओं में तैनात हैं।
लेकिन दूसरी महानगरपालिकाओं की तरह सीधे नियुक्ति करने की बजाय बीएमसी ने डी.एस. इंटरप्रायज़ेस नामक ठेकेदार को जिम्मेदारी दी, जिसने निविदा के अनुसार कर्मचारी रखे।
कर्मचारियों का कहना है कि—
- 2016 से लगातार स्वास्थ्य सेवाओं में योगदान
- कोरोना महामारी में राउंड द क्लॉक काम
- कम वेतन में मुंबई जैसे महंगे शहर में गुज़ारा बेहद मुश्किल
- ठेकेदार की ओर से किसी भी प्रकार की सहयोग सुविधा नहीं
- मासिक खर्च, बच्चों की पढ़ाई और चिकित्सा खर्च पूरा करना कठिन
मालाड में विकास कार्य बना सिरदर्द, लोगों की बढ़ी मुश्किलें
🔹 सुविधाओं को लेकर गंभीर आरोप
कर्मचारियों ने बताया कि डी.एस. इंटरप्रायज़ेस ने श्रम कानून और कॉन्ट्रैक्ट शर्तों का पालन नहीं किया।
कर्मचारियों को नहीं मिल रही ये सुविधाएँ—
- वेतनवृद्धि
- प्रसूति अवकाश
- पीएफ (Provident Fund)
- स्वास्थ्य बीमा योजना
- कोरोना भत्ता (विशेषकर डेटा ऑपरेटरों के लिए)
कर्मचारियों ने कहा कि कोरोना के दौरान कई साथी बीमार हुए, फिर भी प्रशासन और ठेकेदार की ओर से न कोई आर्थिक सहायता और न ही विशेष सुविधा दी गई।
🔹 ‘मुंबई में इतने कम वेतन में जीना मुश्किल’
कर्मचारियों का कहना है कि मुंबई जैसे महंगे शहर में इतनी कम तनख्वाह पर परिवार चलाना लगभग नामुमकिन हो रहा है। हर महीने—
- घर किराया
- बच्चों की फीस
- मेडिकल खर्च
- रोजमर्रा का खर्च
इन सबके बीच गुज़ारा मुश्किल होता जा रहा है।
🔹 यूनियन की मांग— बीएमसी में सीधी नियुक्ति
म्युनिसिपल कर्मचारी कामगार सेना द्वारा उठाई गई मुख्य मांग—
➡ ठेकेदार हटाकर 1200 कर्मचारियों को बीएमसी के सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग में सीधे शामिल किया जाए।
यूनियन का कहना है कि कर्मचारियों ने हमेशा ईमानदारी से काम किया है, इसलिए उन्हें स्थाई या कम से कम सीधे नगरपालिका ढांचे में शामिल किया जाना चाहिए।
❓ FAQ SECTION
Q1. एनयूएचएम कर्मचारी बीएमसी से क्या मांग कर रहे हैं?
वे चाहते हैं कि ठेकेदार को हटाकर उन्हें सीधे बीएमसी के पब्लिक हेल्थ डिपार्टमेंट में शामिल किया जाए।
Q2. कर्मचारियों की मुख्य शिकायतें क्या हैं?
पीएफ, मेडिकल सुविधा, वेतनवृद्धि, प्रसूति अवकाश और कोरोना भत्ता जैसी मूलभूत सुविधाएँ न मिलना।
Q3. कितने कर्मचारी इस अभियान के तहत काम करते हैं?
करीब 1200 कर्मचारी 2016 से लगातार सेवा दे रहे हैं।
Q4. कोरोना काल में उन्हें क्या दिक्कतें आईं?
उन्होंने बिना रुके काम किया लेकिन कोरोना भत्ता नहीं मिला, और बीमारी के समय सहायता भी नहीं मिली।
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