मुंबई के पवई में 17 बच्चों और 2 बड़ों को बंधक बनाने की घटना ने शहर को झकझोर दिया। आरोपी रोहित आर्या पुलिस कार्रवाई में मारा गया। यह घटना मुंबई में पहले हुए अंधेरी और बस हाईजैक जैसे बंधक मामलों की याद दिलाती है।
मुंबई: पवई इलाके के आर.ए. स्टूडियो में गुरुवार को 17 बच्चों और दो बड़ों को एक व्यक्ति ने बंधक बना लिया।
करीब दो घंटे तक चली दहशत भरी स्थिति के बाद मुंबई पुलिस ने सभी को सुरक्षित बाहर निकाल लिया।
आरोपी की पहचान 50 वर्षीय रोहित आर्या के रूप में हुई, जो पुलिस कार्रवाई में गोली लगने से मारा गया।
यह घटना शहर में पहले हो चुके अंधेरी (2010) और BEST बस हाईजैक (2008) जैसे मामलों की याद दिलाती है, जब अकेले हमलावरों ने पूरे मुंबई को दहशत में डाल दिया था।
🎬 ऑडिशन बना डर का मंच
घटना की शुरुआत दोपहर करीब 1:30 बजे हुई जब पवई पुलिस को सूचना मिली कि एक व्यक्ति ने बच्चों को ऑडिशन के बहाने स्टूडियो में बंद कर लिया है।
बच्चों की उम्र 10 से 12 साल के बीच थी और वे पिछले दो दिनों से एक वेब सीरीज़ के लिए ऑडिशन देने आए थे।
पुलिस ने तुरंत टीम भेजी और रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया।
एक अधिकारी ने बताया —
“यह हाल के वर्षों में शायद पहला ऐसा मामला है जिसमें इतनी बड़ी संख्या में बच्चों को बंधक बनाया गया।”
मुंबई हवाई अड्डे पर 154 विदेशी जीवों के साथ तस्कर गिरफ्तार
🚔 मुंबई पुलिस का सटीक ऑपरेशन
फायर ब्रिगेड और क्विक रेस्पॉन्स टीम ने मिलकर सभी 19 लोगों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया।
पुलिस ने रोहित आर्या से बातचीत करने की कोशिश की, लेकिन जब स्थिति काबू से बाहर होती दिखी, तब टीम ने कार्रवाई की।
ऑपरेशन के दौरान आरोपी को गोली लगी और उसकी मौत हो गई।
पुलिस अधिकारियों के अनुसार —
“होस्टेज सिचुएशन में सबसे ज़रूरी होता है जान बचाना और नुकसान कम से कम करना।”

💣 अंधेरी और 2008 की घटनाओं की गूंज
यह पहली बार नहीं है जब मुंबई किसी एक अकेले गनमैन के सामने झुकी हो।
- मार्च 2010: सेवानिवृत्त कस्टम अधिकारी हर्ष मारोलिया ने अपनी 14 वर्षीय पड़ोसी हिमानी को बंधक बनाकर मार डाला।
- नवंबर 2008: बिहार के रहने वाले राहुल राज ने अंधेरी से एक BEST डबल डेकर बस हाईजैक कर ली थी।
 उसने यात्रियों को बंधक बनाकर कहा था कि वह राज ठाकरे को मारने आया है।
 बाद में पुलिस ने उसे मार गिराया।
इन दोनों मामलों ने यह साबित किया कि मुंबई जैसे बड़े शहर भी कभी-कभी अकेले हमलावरों की सनक से हिल जाते हैं।
👮♀️ शैलनी शर्मा – वो पुलिस अधिकारी जो होस्टेज नेगोशिएशन में माहिर हैं
मुंबई पुलिस की असिस्टेंट कमिश्नर शैलनी शर्मा, जिन्होंने लंदन में होस्टेज क्राइसिस ट्रेनिंग ली थी, उन्होंनें बताया कि
“हर ऐसी स्थिति में बातचीत सबसे अहम होती है।
जब बातचीत से समाधान नहीं निकलता, तब एक्शन टीम को तय करना पड़ता है कि कब और कैसे हस्तक्षेप किया जाए।”
उन्होंने 2010 के अंधेरी मामले में भी हस्तक्षेप की कोशिश की थी, लेकिन पुलिस ने उनके पहुंचने से पहले फ्लैट पर धावा बोल दिया था।
बाद के वर्षों में उन्होंने दो आत्महत्या के मामलों (2013 और 2017) में महिलाओं को समझाकर जान बचाई।
🏙️ मुंबई की सच्चाई — सुरक्षित लेकिन संवेदनशील
पवई की यह घटना फिर दिखाती है कि मुंबई पुलिस कितनी सतर्क और तेज़ है, लेकिन साथ ही यह भी कि
मानसिक दबाव या निजी गुस्से से उपजी हिंसा कितनी खतरनाक हो सकती है।
शहर की भीड़ और भागदौड़ के बीच यह याद दिलाता है कि एक गलत कदम कई जिंदगियों को खतरे में डाल सकता है।
❓ FAQ सेक्शन:
Q1: मुंबई पवई स्टूडियो में क्या हुआ था?
👉 एक व्यक्ति ने 17 बच्चों और दो बड़ों को स्टूडियो में बंधक बना लिया था।
Q2: क्या सभी बच्चे सुरक्षित हैं?
👉 हाँ, मुंबई पुलिस ने सभी को सुरक्षित बाहर निकाल लिया।
Q3: आरोपी का क्या हुआ?
👉 आरोपी रोहित आर्या पुलिस कार्रवाई के दौरान गोली लगने से मारा गया।
Q4: क्या मुंबई में पहले भी ऐसे मामले हुए हैं?
👉 हाँ, 2008 में BEST बस हाईजैक और 2010 में अंधेरी में बंधक मामला सामने आया था।
Q5: इस ऑपरेशन में कौन से अधिकारी शामिल थे?
👉 मुंबई पुलिस, फायर ब्रिगेड और एक्सपर्ट नेगोशिएटर की टीम, जिनमें एसीपी शैलनी शर्मा का भी ज़िक्र आया।
Discover more from
Subscribe to get the latest posts sent to your email.


