मुंबई ट्रैफिक जाम में इंसानियत की मिसाल: वसई की मुस्लिम सोसायटी ने बांटा खाना, पानी और चाय – जीता सबका दिल ❤️

मुंबई-अहमदाबाद हाइवे पर दो दिन चले भयंकर ट्रैफिक जाम के दौरान वसई की ज़ार एम्पायर सोसायटी के मुस्लिम परिवारों ने फंसे यात्रियों को खाना, पानी और चाय बांटकर इंसानियत की मिसाल पेश की।

मुंबई–अहमदाबाद हाईवे पर इस हफ्ते जो नज़ारा देखने को मिला, वो किसी परेशानी से बढ़कर इंसानियत और एकता की तस्वीर बन गई।
वसई फाटा के पास ज़ार एम्पायर सोसायटी के मुस्लिम परिवारों ने दो दिन चले ट्रैफिक जाम के बीच फंसे यात्रियों, छात्रों और मरीजों को खाना, पानी और चाय बांटकर सबका दिल जीत लिया।

🤝 300 मुस्लिम परिवारों की पहल – “हमने ये काम सिर्फ इंसानियत के लिए किया”

सोसायटी के करीब 300 परिवारों ने अपने घरों से फंड इकट्ठा किया और सैकड़ों लोगों को बोतलबंद पानी, बिस्किट, पोहा, शरबत और चाय वितरित की।
सामाजिक कार्यकर्ता रिज़वान खान ने बताया,

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“हम तीन दिन से लगातार ट्रैफिक में फंसे लोगों को सर्व कर रहे हैं। सबने मिलकर योगदान दिया — किसी ने पानी दिया, किसी ने नाश्ता बनाया। ये सब हमने सिर्फ इंसानियत के नाते किया।”

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मुंबई अहमदाबाद एक्सप्रेस हाईवे ट्रेफिक की तस्वीर

👩‍🍳 महिलाओं की अहम भूमिका – घर से बनाई चाय और नाश्ता

इस सेवा में सोसायटी की महिलाएं भी पीछे नहीं रहीं। उन्होंने घर पर ही चाय, पोहा और बिस्किट तैयार किए और बड़े कंटेनरों में हाईवे तक भिजवाए।
ज़ार एम्पायर के सदस्य मोहसिन प्लसरा ने बताया,

“तीन दिन तक हमने मुंबई और गुजरात की ओर आने-जाने वाले यात्रियों को सर्व किया। हमने 500 से ज़्यादा पानी की बोतलें और करीब 400 लीटर शरबत बांटा।”

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🚙 मुस्लिम समाज की एकजुटता बनी मिसाल

इस सेवा में सिर्फ ज़ार एम्पायर के लोग ही नहीं, बल्कि वसई वेस्ट की मुसाजी गली के सामाजिक कार्यकर्ता आरिफ़ जमी़ल अहमद शेख और उनकी टीम ने भी साथ दिया।
उन्होंने ‘RoRo’ फेरी सर्विस के लिए वसई किले के पास फंसे लोगों को वड़ा पाव, बिस्किट और पानी बांटा।
शेख ने कहा,

“लोग धूप में घंटों खड़े थे। लगा कि कुछ करना ज़रूरी है। जो थोड़ा-बहुत हुआ, लोगों के चेहरे पर राहत दिखी।”

🏫 स्कूलों ने टाले पिकनिक, लेकिन बच्चों ने सीखी इंसानियत की सीख

लंबे जाम के कारण 20 से ज़्यादा स्कूलों ने अपनी पिकनिक टाल दीं।
शिक्षक हिफ़ज़ुर रहमान अंसारी, जो ज़ार एम्पायर के ही निवासी हैं, ने कहा —

“हमारा मकसद सिर्फ मदद करना था, किसी धर्म या पहचान के बिना। 300 परिवारों ने एक साथ मिलकर ये काम किया, और बच्चों ने भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।”

💬 लोगों की प्रतिक्रिया – “किसी ने नहीं पूछा कौन हैं, बस मदद की”

ट्रैफिक में फंसे एक यात्री ने कहा,

“हम घंटों जाम में फंसे थे, पानी तक नहीं था। तभी कुछ लोग आए और शरबत व नाश्ता दिया। उन्होंने नहीं पूछा हम कौन हैं — बस इंसानियत दिखाई।”

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🌇 ट्रैफिक खुला, लेकिन ज़ार एम्पायर की कहानी याद रह गई

गुरुवार को जब ट्रैफिक सामान्य हुआ, तब भी यात्रियों के दिलों में ज़ार एम्पायर के लोगों की सेवा भावना की याद रह गई।
रिज़वान खान ने आखिर में कहा —

“हमने ये शोहरत के लिए नहीं किया। हमारी मज़हब और इंसानियत दोनों यही सिखाती हैं — मदद करो, चाहे कोई भी हो।”

🕊️ संदेश साफ़ है — धर्म नहीं, इंसानियत सबसे बड़ी है

मुंबई जैसे शहर में जहां रोज़ाना भीड़ और तनाव की खबरें आती हैं, वहीं ज़ार एम्पायर के इन लोगों ने एकता, भाईचारे और मोहब्बत की नई मिसाल कायम की है।


FAQ सेक्शन

Q1. मुंबई-अहमदाबाद हाइवे पर ट्रैफिक जाम कब लगा था?
👉 मंगलवार से शुरू होकर दो दिन तक चला, जिससे सैकड़ों गाड़ियां फंसी रहीं।

Q2. ज़ार एम्पायर सोसायटी कहाँ स्थित है?
👉 वसई फाटा, मुंबई के पास।

Q3. मुस्लिम समाज ने क्या मदद की?
👉 यात्रियों को पानी, चाय, नाश्ता और शरबत बांटा।

Q4. इस पहल में कितने परिवार शामिल थे?
👉 लगभग 300 मुस्लिम परिवार।

Q5. क्या यह सेवा किसी संगठन द्वारा थी?
👉 नहीं, यह पूरी तरह स्थानीय निवासियों की स्वैच्छिक पहल थी।


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