महाराष्ट्र सरकार ने 2025 में दो अहम नीतियाँ मंज़ूर की हैं — एक है “सीवेज ट्रीटमेंट और रीयूज पॉलिसी” और दूसरी है मुंबई के स्लम क्लस्टर-रीडेवलपमेंट मॉडल। इनमें जल पुनरुपयोग, संसाधन सुरक्षा और बेहतर आवास व्यवस्था पर ज़ोर है।
मंत्रालय प्रतिनिधि
मुंबई: महाराष्ट्र सरकार ने एक साथ दो बड़े फैसले दिए हैं जो राज्य की शहरी योजनाओं और पर्यावरणीय संवेदनशीलता को एक नए कीर्ति-चिन्ह पर ले जाने का प्रयास हैं। पहली, “सीवेज ट्रीटमेंट और रीयूज पॉलिसी, 2025” है, जिसमें लगभग ₹5,000 करोड़ का बजट रखा गया है। दूसरी, मुंबई में स्लम रीडेवेलपमेंट को अब “क्लस्टर आधारित” तरीके से करने का नया मसौदा है, जो पुरानी पद्धति — प्लॉट दर प्लॉट तरीके — को बदलता है। ये नीतियाँ सिर्फ योजनाएँ नहीं, बल्कि एक बड़ा संदेश हैं कि महाराष्ट्र जल सुरक्षा और सामाजिक न्याय दोनों को एक साथ आगे बढ़ाना चाहता है।
सीवेज ट्रीटमेंट और रीयूज पॉलिसी का मकसद और खास बातें
उद्देश्य: पानी की बचत और वृत्ताकार उपयोग
नई पॉलिसी का मुख्य लक्ष्य है कि शहरी निकायों द्वारा निर्मित या संचालित सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (STPs) में निकलने वाला निर्मल जल — यानी ट्रीटेड वेस्टवॉटर — बर्बाद न हो, बल्कि उसका पुनः उपयोग हो सके। इसे औद्योगिक उपयोग, हरियाली, कृषि, और शहर की उपयोगिताओं (जैसे सड़कों की धुलाई, पार्कों की सिंचाई) में लगाया जाएगा।
कवरेज और वित्तीय प्रावधान
यह नीति महाराष्ट्र के 424 शहरी स्थानीय निकायों (municipalities, नगर निगम आदि) में लागू होगी, जो राज्य की लगभग 48 % आबादी को कवर करती हैं।
इसके लिए लगभग ₹5,000 करोड़ का बजट तय किया गया है।
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निगरानी ढाँचे की व्यवस्था
नीति के सही क्रियान्वयन के लिए मल्टी-लेवल निगरानी तंत्र बनाया गया है:
- जिला स्तर की समितियाँ — जिला कलेक्टर या संबंधित नगरायुक्त की अध्यक्षता में कार्य करेंगी।
- राज्य स्तरीय स्टीयरिंग ग्रुप — जो मुख्य सचिव की अध्यक्षता में होगी।
इस तंत्र से यह सुनिश्चित करना है कि नीति हर जगह एक जैसा और निरंतर रूप से लागू हो।
संभावित चुनौतियाँ और जोखिम
- सभी शहरी निकायों में STP की क्षमता बढ़ाना और रखरखाव
- ट्रीटमेंट की गुणवत्ता सुनिश्चित करना
- पुनः उपयोग के लिए उपयुक्त वितरण और पाइपलाइन नेटवर्क बनाना
- सामाजिक जागरूकता और उचित शुल्क निर्धारण
मुंबई में स्लम रीडेवेलपमेंट — अब नई पॉलिसी के साथ
पुराने मॉडल की सीमाएँ
पहले मुंबई में स्लम रीडेवेलपमेंट “प्लॉट दर प्लॉट” या “प्लाट दर प्लाट” तरीके से होती थी — यानी हर झुग्गी या झोपड़ी हिस्से को व्यक्तिगत रूप से पुनर्वास या पुनर्निर्माण का रास्ता मिलता था। इस मॉडल में बिखराव, अनुपयुक्त प्लानिंग और जटिलता बहुत रही है।
क्लस्टर-आधारित मॉडल क्या है?
नए मॉडल में, एक बड़े क्षेत्र (क्लस्टर) को पहचान कर उसका एकसाथ रीडेवेलपमेंट किया जाएगा। इसके मुख्य बिंदु हैं:
- कम से कम 50 एकड़ का क्षेत्र
- उस क्षेत्र में 51 % से अधिक स्लम आबादी हो
- SRA (Slum Rehabilitation Authority) के CEO द्वारा पहचान, उसके बाद उच्च स्तरीय आवास समिति और राज्य स्तर की मंज़ूरी
पुनर्वास के रास्ते
रीडेवलपमेंट करने के तीन तरीके हो सकते हैं:
- सार्वजनिक एजेंसी के साथ साझेदारी (public agency collaboration)
- प्राइवेट डेवलपर्स को टेंडर देना
- अगर कोई डेवलपर उस क्लस्टर की 40 % से अधिक जमीन का मालिक हो, तो उसे स्वीकृति देना
निजी ज़मीन मालिकों की हिस्सेदारी
निजी ज़मीन मालिक अगर भाग लेना चाहें, तो उन्हें उनकी ज़मीन की कुल वैल्यू के लगभग 50 % FSI (मंज़िल स्थानांक) के विकास योग्य भूखंड दिए जाएंगे।
अगर भाग नहीं लेना चाहें, तो उस जमीन को Land Acquisition Act, 2013 के तहत अधिग्रहित किया जा सकता है, और अधिग्रहण की लागत डेवलपर को वहन करनी होगी।
CRZ (Coastal Regulation Zone) संबंधी प्रावधान
- CRZ-I इलाकों में: स्लम को हटा कर सार्वजनिक आधारभूत संरचनाओं के लिए उपयोग किया जाएगा।
- CRZ-II हिस्सों में: डेवलपमेंट कंट्रोल और प्रमोशन नियम, 2034 के अनुसार कुछ बिक्री योग्य हिस्से बनाए जा सकते हैं।
FSI की छूट और प्रोत्साहन
रीहैबिलिटेशन (पुनर्वास) मकानों और प्रभावित परिवारों के लिए FSI को 4 तक या उससे ऊपर करने की छूट दी गई है।
अगर केंद्र सरकार या PSU (Public Sector Undertaking) की ज़मीन इस क्लस्टर में हो, तो उनकी सहमति से उसे भी इस कार्यक्रम में शामिल किया जा सकेगा।
नीति का सामाजिक, पर्यावरणीय और शहरी प्रभाव
जल संसाधन संरक्षण
सीवेज रीयूज पॉलिसी के कारण बड़े पैमाने पर ताजे पानी की बचत होगी। शहरों को ताजे पानी पर निर्भरता कम होगी और जल तनाव वाले क्षेत्रों में राहत मिलेगी।
बेहतर शहरी व्यवस्था और बुनियादी सुविधा
क्लस्टर-आधारित पुनरुद्धार से एक समेकित नियोजन होगा — सड़क, जल, सीवरेज, पार्किंग, सामुदायिक केंद्र आदि — जिसमें अनियोजित और बिखरी व्यवस्था की समस्या कम होगी।
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सामाजिक न्याय और पुनर्वास
स्लम निवासियों को उचित पुनर्वास, बेहतर बुनियादी सुविधाएँ, स्वच्छ आवास मिलेगी।
निजी ज़मीन मालिकों को भी हिस्सा मिलता है — यह हिस्सा-बाँट की भावना बनाएगी।
निवेश और विकास
प्राइवेट डेवलपर्स को अवसर मिलेगा बड़े स्केल पर काम करने का।
उत्तम नियोजन और संसाधन प्रबंधन से समेकित शहरी विकास को बल मिलेगा।
चुनौतियाँ और सावधानियाँ
- बड़े क्लस्टर की पहचान और उनकी स्वीकृति — राजनीतिक, सामाजिक दबाव
- उचित वित्तीय मॉडल — लागत, राजस्व हिस्सेदारी, समय सीमा
- पर्यावरण संवेदनशील क्षेत्रों जैसे CRZ में विवाद और कानूनी जटिलताएँ
- भूमि मालिकों एवं स्लम निवासियों के बीच विवाद और सहमति
- समय पर काम पूरा करना और भ्रष्टाचार नियंत्रण
नीति लागू करने की रणनीति और समयसीमा
चरणबद्ध कार्य
- पहचान एवं सर्वेक्षण — क्लस्टर एवं Slum आबादी का मापा जाना
- स्वीकृति एवं योजना — SRA CEO, आवास समिति, राज्य मंजूरी
- टेंडरिंग / साझेदारी / निजी भागीदारी
- निवेश एवं बुनियादी ढाँचा निर्माण — सड़क, पाइपलाइन, STP आदि
- निवास स्थानों का पुनर्वास एवं हस्तांतरण
- मॉनिटरिंग एवं गुणवत्ता नियंत्रण
समय रेखा (कालक्रम अनुमान)
- Year 1 (2025–26): योजना तैयार करना, क्लस्टर चयन, प्रारंभिक सर्वेक्षण
- Year 2–3: टेंडरिंग, जमीन स्वीकृति, अनुबंध प्रक्रिया
- Year 4–5: निर्माण, पुनर्वास एवं बुनियादी संरचनाएँ लागू करना
- Year 6+: परियोजनाओं का समापन, निगरानी एवं सुधार
FAQ (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)
Q1: यह पॉलिसी कब तक पूरी तरह लागू होगी?
A1: पूरी तरह लागू होने में अनुमानतः 4–6 वर्ष या उससे अधिक लग सकते हैं — पहले सर्वेक्षण, क्लस्टर चयन, निर्माण योजना, पुनर्वास प्रक्रिया आदि चरणों को पूरा करने में समय लगेगा।
Q2: क्या हर स्लम में इसे लागू किया जाएगा?
A2: नहीं। यह सिर्फ उन क्लस्टरों में लागू होगा जो न्यूनतम 50 एकड़ हों और उनमें 51 % से अधिक स्लम आबादी हो। अन्य छोटे स्लमों को अभी भी पारम्परिक रीडेवेलपमेंट पद्धति से देखा जाएगा।
Q3: निजी ज़मीन मालिकों की भूमिका क्या होगी?
A3: वे चाहें तो भाग ले सकते हैं और अपनी ज़मीन के मूल्य के लगभग 50 % FSI के अनुसार विकसित भूखंड ले सकते हैं। यदि वे भाग नहीं लेना चाहें, तो जमीन अधिग्रहित हो सकती है और लागत डेवलपर उठाएगा।
Q4: जल पुनरुपयोग से क्या सस्ता पानी मिलेगा?
A4: हाँ, यदि ट्रीटमेंट और वितरण सही ढंग से हो जाए, तो शहर को ताजे पानी पर निर्भरता कम होगी और पानी की कीमतों व उपलब्धता में सुधार होगा।
Q5: CRZ इलाकों में क्या विशेष प्रावधान हैं?
A5: CRZ-I इलाकों में स्लम को हटाकर सार्वजनिक उपयोग हेतु क्षेत्र बनाया जाएगा। CRZ-II में बिक्री योग्य हिस्से बनाए जा सकते हैं, बशर्ते नियमों का पालन हो।
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