भायखला कारागृह में बदलाव की हवा

मुंबई के भायखला कारागृह में कैदियों के जीवन स्तर को बेहतर बनाने के लिए नई मॉड्युलर किचन और तृतीयपंथी कैदियों के लिए अलग सेल बनाए गए हैं – जानिए कैसे ये कदम जेल सुधार की दिशा में एक बड़ी पहल बन सकते हैं।

मुंबई: शहर के सबसे पुराने कारागृहों में से एक, भायखला (Byculla) जेल में एक बड़े स्तर पर नई पहल शुरू की गई है, जिसमें कैदियों के लिए एक मॉड्युलर किचन बनवाया गया है। इस किचन के ज़रिए पारंपरिक विधियों पर आधारित स्वयंपाक व्यवस्था को आधुनिक उपकरणों के साथ बदलने का काम किया गया है।

नए किचन में ऑटोमेटिक कटिंग मशीन, शीतगृह (cold storage) जैसी सुविधाएँ शामिल हैं, जिससे सब्ज़ियों की कटिंग, भंडारण और सफाई आसान हो गई है। इसके अलावा अब बची हुई सब्ज़ियां बर्बाद नहीं होंगी और उन्हें चार दिन तक संरक्षित रखा जा सकेगा। पारंपरिक पद्धति में अनेक अड़चने थीं – स्वच्छता, समय की खपत और वेस्टेज—इन समस्याें को कम करने के लिए यह कदम उठाया गया है।

Advertisements

जेल प्रशासन के अनुसार, इस किचन के ज़रिए प्रतिदिन लगभग 900 कैदियों के लिए भोजन बनाए जाने की प्रक्रिया तेज, स्वच्छ और कारगर होगी। कारागृह अधीक्षक विकास रजनलवार ने भी कहा है कि इस सुविधा से कैदियों की जीवन गुणवत्ता बेहतर होगी।

तृतीयपंथी बंदियों के लिए अलग सेल का निर्माण

भायखला जेल सुधार योजना में एक अन्य महत्वपूर्ण परिवर्तन है कि तृतीयपंथी (transgender / अन्य लिंग पहचान वाले) कैदियों के लिए स्वतंत्र सेल बनाए गए हैं। पहले ये कैदी सामान्य पुरुष या महिला ब्लॉकों में रखे जाते थे, जिससे उन्हें शारीरिक, मानसिक और सामाजिक असुरक्षा का सामना करना पड़ता था।

अब इस जेल में छह (6) भागों में तृतीयपंथी कैदियों के लिए अलग सेल बनाए गए हैं। हर एक सेल में स्वच्छतागृह की सुविधा दी गई है, और कुछ सेल ऐसे हैं, जो विशेष रूप से बिमार कैदियों के लिए उपयोग किए जाएंगे। यह सुनिश्चित किया गया है कि इन कैदियों को अलगाव, सम्मान और सुरक्षा मिले।

Mumbai- जॉगिंग कर रही महिला को जंगल में घसीटा मिली एक साल की सज़ा

इससे पहले महाराष्ट्र राज्य में तृतीयपंथी कैदियों के लिए अलग स्थान सुनिश्चित करना एक गंभीर समस्या थी। अब यह कदम इस दिशा में एक महत्वपूर्ण सुधार की पहल माना जा रहा है।

सुधार कार्यक्रम: व्यापक और बहुआयामी

भायखला जेल में सिर्फ किचन और सेल तक ही सीमित नहीं, बल्कि कैदियों के शारीरिक–मानसिक स्वास्थ्य, शिक्षा और सामाजिक पुनर्वसन की दिशा में भी कई कदम उठाए गए हैं। निम्नलिखित सुधार प्रयास किए जा रहे हैं:

1. वी़डियो कॉन्फ्रेंसिंग

न्यायालय सुनवाई और मेडिकल सलाह हेतु कैदियों को जेल से बाहर ले जाने की आवश्यकता कम की गई है। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सुविधा अब उपलब्ध होगी, जिससे उनका समय एवं संसाधन की बचत होगी।

2. अंगणवाड़ी सुविधा

महिला कैदियों के साथ रहने वाले छह वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए जेल परिसर में अंगणवाड़ी व्यवस्था शुरू की जाएगी। इससे बच्चों के स्वास्थ्य व पोषण पर विशेष ध्यान दिया जा सकेगा।

3. प्रशिक्षण और कौशल विकास

महिला कैदियों के पुनर्वास हेतु डिजिटल फोटोग्राफी, बेडसाइड केयर, फाइन आर्ट प्रशिक्षण, योग क्लासेस आदि का आयोजन किया गया है। यह उपाय उन्हें जेल से बाहर निकलने पर आर्थिक स्वावलंबन की दिशा में सहायक हो सकते हैं।

4. मनोरंजन एवं हित गतिविधियाँ

कैदियों के मनोरंजन हेतु “दिवाळी पहाट” जैसे कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। इससे मानसिक तनाव कम होगा और सामाजिक माहौल बेहतर बनेगा।

इस पहल का प्रभाव और चुनौतियाँ

सकारात्मक प्रभाव

  • भोजन निर्माण प्रक्रिया में समय की कमी, स्वच्छता और गुणवत्ता में सुधार होगा
  • तृतीयपंथी कैदियों को सम्मान और सुरक्षा मिल सकेगी
  • स्वास्थ्य, शिक्षा और सामाजिक पुनर्वासन की गतिविधियाँ कैदियों की मनोशिक्षा को बेहतर बनाएंगी
  • इस प्रकार की सुधार गतिविधियाँ जेल को ‘शिक्षा केंद्र’ की तरह रूपांतरित कर सकती हैं

चुनौतियाँ

  • बजट एवं संसाधन की कमी: नए उपकरण, रखरखाव एवं प्रशिक्षण पर खर्च बढ़ेगा
  • कार्मिक प्रशिक्षण की ज़रूरत: जेल पुलिस, प्रशासन और संसाधन दलों को आधुनिक उपकरण उपयोग करना आना चाहिए
  • सुरक्षा व निगरानी: नए सुविधाओं में सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित करना ज़रूरी होगा
  • सामाजिक विरोध: कुछ लोग इस तरह के सुधारों को “बहुत नरम” या “अनावश्यक” मान सकते हैं

तीन वर्ष पहले की स्थिति और अन्य जेलों में अभ्यास

भायखला जेल जैसी सुधार पहल महाराष्ट्र की जेल व्यवस्था में नई नहीं है। पहले अन्य जिलों में भी तृतीयपंथी कैदियों के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं। और नागपुर सेंट्रल जेल में अलग बैरक बनाने की मंजूरी राज्य सरकार ने दी है।

माना जा रहा है कि मुंबई में भायखला जेल को आगे चलकर ऊँची इमारत (vertical prison) के रूप में पुनर्निर्मित करने की योजना है, ताकि सीमित जमीन में अधिक क्षमता सुनिश्चित की जा सके।

भायखला कारागृह में यह बदलाव, अर्थात् मॉड्युलर किचन और तृतीयपंथी कैदियों के लिए स्वतंत्र सेल, जेल सुधार की दिशा में उल्लेखनीय कदम हैं। यह पहल दिखाती है कि कैदियों को सिर्फ ‘सजा’ न देकर उनका जीवन थोड़ा बेहतर और मानवतावादी बनाया जाना संभव है।

भविष्य में अन्य जेलों में भी ऐसे ही सुधार लागू हो सकते हैं और यह उम्मीद है कि इन प्रयासों से अपराधियों की पुनर्स्थापना व समाज में पुन: स्वीकार्यता बेहतर होगी।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)

Q1. यह मॉड्युलर किचन क्या है और यह परंपरागत किचन से कैसे अलग है?
A. मॉड्युलर किचन आधुनिक स्टील और सीएनसी (कम्पोनेंट) आधारित इकाइयां होती हैं। इसमें कटिंग मशीन, स्टोरेज, खाद्य प्रसंस्करण उपकरण शामिल होते हैं। पारंपरिक किचन में मैन्युअल कटिंग, मिट्टी या साधारण स्टोवा आदि होते हैं, जिससे समय और स्वच्छता की समस्या रहती है।

Q2. अन्य जेलों में पहले से तृतीयपंथी कैदियों के लिए अलग सुविधा थी क्या?
A. कुछ केंद्रीय जेलों में अलग सेल बनाए गए थे, लेकिन समुचित व्यवस्था हिमाचल में नहीं होती थी। महाराष्ट्र राज्य सरकार ने अब कई जेलों में सुविधा विस्तार का फैसला लिया है।

Q3. यह सुधार पहल कितनी लागत में पूरी की गई?
A. मीडिया रिपोर्ट में विशेष लागत का खुलासा नहीं किया गया है। संभव है कि इस परियोजना को जिल्हा नियोजन निधि से वित्तपोषित किया गया हो।

Q4. ऐसे सुधारों से अपराध नियंत्रण में क्या अंतर आएगा?
A. सीधे तौर पर सुधारों से अपराध नियंत्रण नहीं होगा, लेकिन बेहतर जीवन, पुनर्स्थापना तथा सुधार कार्यक्रमों से अपराधियों के सुधार की संभावना बढ़ सकती है।

Q5. अन्य राज्यों में इस तरह की सुधार प्रथाएँ हैं क्या?
A. हाँ, भारत के कई राज्यों में जेल सुधार योजनाएँ चल रही हैं, जैसे स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा, कौशल प्रशिक्षण और विशेष सेल व्यवस्था।


Discover more from  

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisements
Scroll to Top

Discover more from  

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading