मुंबई सहित महाराष्ट्र के अलग-अलग शहरों में फेरीवालों पर हो रही पुलिस कार्रवाई और भारी जुर्माने के खिलाफ सामाजिक संगठनों ने मंत्रालय में अधिकारियों से मुलाकात की और ज्ञापन सौंपा। अधिकारियों ने इस मुद्दे को विधानसभा के शीतकालीन सत्र में उठाने का भरोसा दिलाया।
मुंबई: देश की आर्थिक राजधानी मुंबई और महाराष्ट्र के अन्य शहरों में फुटपाथ पर रोज़ी-रोटी कमाने वाले फेरीवालों पर बार-बार की जा रही कार्रवाई को लेकर सामाजिक संगठनों ने आवाज़ बुलंद की है। फेरीवालों का कहना है कि मुंबई पुलिस अधिनियम की धाराओं का दुरुपयोग कर उनसे हजारों रुपये का जुर्माना वसूला जा रहा है। इसी मुद्दे पर 18 सितंबर 2025 को मंत्रालय में कई सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने अधिकारियों से मुलाकात की और एक विस्तृत ज्ञापन सौंपा।
🚶♂️ फेरीवालों का संघर्ष और परेशानी
मुंबई महानगर और उपनगरों में हज़ारों लोग फेरी लगाकर अपना पेट पालते हैं। लेकिन पुलिस प्रशासन द्वारा रोज़ाना किए जाने वाले छापों और कार्रवाई के कारण इनकी ज़िंदगी मुश्किल हो गई है।
- एक ही फेरीवाले पर ₹1200 तक का जुर्माना लगाया जाता है।
- कई बार दिन में दो-दो बार भी जुर्माना वसूला जाता है।
- कई पुलिस कर्मियों पर धारा 102, 115 और 117 का गलत इस्तेमाल करने के आरोप लगे हैं।
🏢 मंत्रालय में हुआ प्रतिनिधिमंडल
इस मुद्दे को गंभीरता से उठाने के लिए महाराष्ट्र हॉकर्स फेडरेशन, लाल बावटा जनरल वर्कर्स यूनियन, महाराष्ट्र राज्य राष्ट्रीय मजदूर संघ, शहीद भगत सिंह हॉकर्स यूनियन मुंबई, महाराष्ट्र एकता हॉकर्स यूनियन सहित कई संगठन एक साथ आए।
बैठक में उपस्थित रहे प्रमुख लोग:
- कर्नल प्रकाश रेड्डी
- श्री मिलिंद ताम्बड़े
- कर्नल सुरेश सावंत
- शांताराम जाधव
- कर्नल अखिलेश गौड़
इन सभी ने मिलकर फेरीवालों पर हो रहे अन्याय की विस्तृत जानकारी दी और अधिकारियों को ठोस सबूत भी दिखाए।
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📑 ज्ञापन की मुख्य बातें
संगठनों ने मंत्रालयीन अधिकारियों को जो ज्ञापन सौंपा, उसमें मुख्य रूप से यह मुद्दे उठाए गए:
- पुलिस द्वारा धारा 102, 115 और 117 का दुरुपयोग।
- अनुचित और भारी जुर्माना, जिससे फेरीवालों की रोज़ी-रोटी पर असर।
- पुलिसकर्मियों द्वारा एक ही दिन में बार-बार जुर्माना लगाने की घटनाएँ।
- गरीब और मेहनतकश तबके पर आर्थिक बोझ।
- स्थायी समाधान की ज़रूरत ताकि फेरीवाले सम्मान के साथ जीवन जी सकें।
⚖️ अधिकारियों की प्रतिक्रिया
मंत्रालय के उप सचिव और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने शिष्टमंडल की बातों को गंभीरता से सुना।
- उन्होंने आश्वासन दिया कि यह मुद्दा आगामी विधानसभा के शीतकालीन सत्र में रखा जाएगा।
- अधिकारियों ने माना कि जुर्माना लगाने की प्रक्रिया में कुछ गड़बड़ियाँ हो सकती हैं।
- आगे की कार्रवाई के लिए विस्तृत रिपोर्ट तैयार करने का आदेश दिया गया है।
🗣️ संगठनों की मांग
संगठनों ने साफ कहा कि:
- फेरीवालों को रोज़ परेशान करने का सिलसिला बंद होना चाहिए।
- मुंबई पुलिस अधिनियम में बदलाव कर फेरीवालों के लिए अलग गाइडलाइन बने।
- पुलिस और स्थानीय निकायों द्वारा की जाने वाली कार्रवाई पर निगरानी समिति बने।

📊 फेरीवालों की संख्या और अहमियत
- सिर्फ मुंबई में अनुमानित 2.5 से 3 लाख फेरीवाले रोज़ाना काम करते हैं।
- ये छोटे कारोबार शहर की अर्थव्यवस्था का हिस्सा हैं।
- आम जनता को सस्ता सामान और रोज़मर्रा की ज़रूरतें उपलब्ध कराते हैं।
फेरीवालों का कहना है कि अगर उनकी सुरक्षा और कामकाज सुनिश्चित हो तो वे भी टैक्स और रजिस्ट्रेशन के लिए तैयार हैं।
🛑 लगातार कार्रवाई का असर
- फेरीवालों के परिवारों पर आर्थिक संकट।
- बच्चों की पढ़ाई पर असर।
- छोटे-छोटे कर्ज़ चुकाना मुश्किल।
- रोज़ कमाने-खाने वालों की रोज़ी-रोटी खतरे में।
🚨 नतीजा और आगे की राह
यह मुलाकात फेरीवालों के लिए उम्मीद की किरण लेकर आई है।
अगर विधानसभा में इस मुद्दे पर चर्चा होती है और ठोस कदम उठाए जाते हैं तो हजारों परिवारों को राहत मिलेगी।
❓ FAQ – मुंबई में फेरीवालों पर कार्रवाई और मंत्रालय को सौंपा गया ज्ञापन
Q1. फेरीवालों पर बार-बार कार्रवाई क्यों की जा रही है?
👉 स्थानीय निकाय और पुलिस प्रशासन मुंबई पुलिस अधिनियम की धारा 102, 115 और 117 का हवाला देकर कार्रवाई करते हैं। इन धाराओं के तहत फुटपाथ अतिक्रमण और असुविधा को रोकने के लिए प्रावधान है, लेकिन सामाजिक संगठनों का आरोप है कि इन धाराओं का दुरुपयोग हो रहा है।
Q2. एक फेरीवाले पर कितना जुर्माना लगाया जाता है?
👉 फेरीवालों पर नियमित रूप से ₹1200 तक का जुर्माना लगाया जाता है। कुछ मामलों में तो एक ही दिन में दो-दो बार चालान काटा जाता है।
Q3. इस मुद्दे पर मंत्रालय में किन-किन संगठनों ने ज्ञापन सौंपा?
👉 महाराष्ट्र हॉकर्स फेडरेशन, लाल बावटा जनरल वर्कर्स यूनियन, महाराष्ट्र राज्य राष्ट्रीय मजदूर संघ, शहीद भगत सिंह हॉकर्स यूनियन मुंबई, महाराष्ट्र एकता हॉकर्स यूनियन समेत कई संगठन शामिल रहे।
Q4. सरकार की ओर से क्या आश्वासन मिला है?
👉 मंत्रालयीन अधिकारियों और उप सचिव ने कहा है कि इस मुद्दे को गंभीरता से लिया जाएगा और विधानसभा के आगामी शीतकालीन सत्र में इसे उठाने का प्रयास किया जाएगा।
Q5. फेरीवालों की मुख्य मांगें क्या हैं?
👉
- अनुचित और बार-बार किए जा रहे जुर्माने को रोका जाए।
- मुंबई पुलिस अधिनियम की धारा 102, 115 और 117 के दुरुपयोग पर रोक लगे।
- स्ट्रीट वेंडर्स एक्ट 2014 के तहत फेरीवालों को कानूनी सुरक्षा मिले।
- नगर पालिका और पुलिस की ओर से पारदर्शी और न्यायपूर्ण व्यवस्था बनाई जाए।
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