गड़चिरोली में नक्सली गिरफ्तार, तडगांव जंगल में तोड़फोड़ की साजिश नाकाम

गड़चिरोली पुलिस ने भामरागढ़ इलाके से एक खूंखार नक्सली को गिरफ्तार किया। आरोपी शंकर भीमा महाका 2022 में सड़क निर्माण के 19 वाहन जलाने की वारदात में शामिल था और तडगांव जंगल में तोड़फोड़ की साजिश रच रहा था।

डिजिटल डेस्क
गड़चिरोली: महाराष्ट्र पुलिस ने नक्सल प्रभावित भामरागढ़ उपविभाग के तिराकामेटा गांव के जंगल इलाके से एक खूंखार माओवादी को गिरफ्तार किया है। आरोपी की पहचान शंकर भीमा महाका (32 वर्ष) के रूप में हुई है, जो गड़चिरोली जिले के परायणार गांव का रहने वाला बताया जा रहा है।

पुलिस के मुताबिक, यह माओवादी भामरागढ़ दलम से जुड़ा हुआ है और इलाके में तोड़फोड़ की साजिश रच रहा था।

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2022 की बड़ी वारदात से जुड़ा आरोपी

शंकर भीमा महाका कोई साधारण नक्सली नहीं है। पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार, वह 21 जनवरी 2022 की उस बड़ी घटना में शामिल था जिसमें नक्सलियों ने सड़क निर्माण के लिए काम कर रहे 19 वाहनों को आग के हवाले कर दिया था। यह हमला गड़चिरोली में नक्सलियों की ताकत और उनके आतंकी इरादों को साफ दिखाता था।

इस घटना के बाद से ही पुलिस उसकी तलाश में थी। अब उसकी गिरफ्तारी को गड़चिरोली पुलिस की बड़ी सफलता माना जा रहा है।

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पुलिस ने कैसे पकड़ा?

शनिवार को पुलिस की एक टीम ने तडगांव जंगल के इलाके में पेट्रोलिंग शुरू की थी। इसी दौरान उन्हें एक संदिग्ध व्यक्ति जंगल में घूमता नजर आया।

  • पुलिस ने उसे रोककर पूछताछ की।
  • पहचान करने पर पता चला कि यह शख्स शंकर भीमा महाका है।
  • पुलिस को शक है कि वह इलाके की टोह ले रहा था और आगे किसी बड़े हमले या तोड़फोड़ की तैयारी कर रहा था।

नक्सलियों की “तोड़फोड़ की रणनीति”

गड़चिरोली और आसपास के इलाके लंबे समय से नक्सली गतिविधियों से प्रभावित रहे हैं। नक्सली अक्सर सड़क निर्माण, पुल निर्माण, और सरकारी विकास प्रोजेक्ट्स को निशाना बनाते हैं ताकि स्थानीय लोगों तक सुविधाएं न पहुंच सकें।

पुलिस अधिकारियों का कहना है कि शंकर महाका जैसे नक्सली इलाके में सर्वे और रेकी (reconnaissance) करते हैं और फिर अपनी टीम को बुलाकर हमला कराते हैं।

नक्सलियों का नेटवर्क और दबाव

गड़चिरोली के भामरागढ़, एटापल्ली और कोरची इलाकों में नक्सलियों का मजबूत नेटवर्क बताया जाता है।

  • स्थानीय युवाओं को डर और लालच देकर नक्सली अपने संगठन में शामिल करते हैं।
  • विकास कार्यों का विरोध करके वे सरकार और जनता के बीच दूरी पैदा करते हैं।
  • आदिवासी इलाकों में वे अपने प्रभाव को बचाए रखने के लिए हिंसा और डर का सहारा लेते हैं।

शंकर महाका जैसे नक्सली इस नेटवर्क का अहम हिस्सा होते हैं।

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पुलिस-नक्सली संघर्ष का इतिहास

गड़चिरोली पुलिस और नक्सलियों के बीच पिछले कुछ सालों में कई मुठभेड़ें हुई हैं। पुलिस ने लगातार ऑपरेशन प्रहार जैसे अभियान चलाकर नक्सलियों पर दबाव बनाया है।

  • कई टॉप नक्सली कमांडर मुठभेड़ों में मारे गए।
  • कई बार नक्सली संगठन को भारी नुकसान भी हुआ।
  • लेकिन जंगल और कठिन भौगोलिक परिस्थितियों का फायदा उठाकर नक्सली आज भी सक्रिय रहते हैं।

शंकर महाका की गिरफ्तारी क्यों अहम है?

इस गिरफ्तारी के कई मायने हैं:

  1. 2022 की वारदात का आरोपी पुलिस के हाथ लगा।
  2. उसकी गिरफ्तारी से नक्सलियों की कई साजिशें सामने आ सकती हैं।
  3. पुलिस को अब उसके नेटवर्क और संपर्कों के बारे में भी अहम सुराग मिल सकते हैं।
  4. इलाके में विकास कार्यों की सुरक्षा को लेकर राहत मिलेगी।
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गड़चिरोली में नक्सलवाद का इतिहास

गड़चिरोली महाराष्ट्र का सबसे नक्सल प्रभावित जिला माना जाता है। यहां का जंगल इलाका, पहाड़ी और दुर्गम भूगोल नक्सलियों को छिपने और ऑपरेशन चलाने के लिए मदद करता है।

  • 1980 के दशक में आंध्र प्रदेश और छत्तीसगढ़ से नक्सलियों ने गड़चिरोली में कदम रखा।
  • धीरे-धीरे उन्होंने आदिवासी इलाकों में अपनी पकड़ मजबूत कर ली।
  • शिक्षा, रोजगार और स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी का फायदा उठाकर नक्सली खुद को “गरीबों और आदिवासियों के मसीहा” के तौर पर पेश करते हैं।
  • लेकिन समय के साथ यह साफ हो गया कि नक्सली सिर्फ हिंसा, खून-खराबा और विकास विरोध की राजनीति करते हैं।

गड़चिरोली पुलिस बनाम नक्सली संघर्ष की टाइमलाइन

  • 2009: गड़चिरोली में नक्सलियों ने पुलिस की बस पर हमला किया, जिसमें 17 जवान शहीद हुए।
  • 2013: एटापल्ली इलाके में नक्सलियों ने कांग्रेस नेताओं के काफिले पर हमला किया, कई बड़े नेता मारे गए।
  • 2018: पुलिस ने एटापल्ली और भामरागढ़ में बड़ी मुठभेड़ों में दर्जनों नक्सलियों को मार गिराया।
  • 2022: शंकर महाका जैसे नक्सलियों ने सड़क निर्माण रोकने के लिए 19 गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया।
  • 2023-24: ऑपरेशन प्रहार के तहत पुलिस ने कई नक्सली कैडर को खत्म किया और दर्जनों को गिरफ्तार किया।

गड़चिरोली की मौजूदा स्थिति

आज भी गड़चिरोली, खासकर भामरागढ़, एटापल्ली, कोरची और धानोरा इलाकों में नक्सलियों का दबदबा है।

  • यहां नक्सली ठेकेदारों, पंचायत प्रतिनिधियों और आम लोगों पर दबाव डालते हैं।
  • कई बार वे स्कूल जलाते हैं, सड़कें और पुल तोड़ते हैं ताकि सरकारी योजनाएं न पहुंच सकें।
  • लेकिन पुलिस और सरकार लगातार विकास और सुरक्षा दोनों मोर्चों पर काम कर रही है।

जनता की बदलती सोच

जहां पहले लोग नक्सलियों से डरकर चुप रहते थे, वहीं अब धीरे-धीरे लोग पुलिस पर भरोसा करने लगे हैं।

  • शिक्षा और सड़क की पहुंच बढ़ने से लोग समझने लगे हैं कि नक्सली सिर्फ विकास के दुश्मन हैं।
  • अब कई आदिवासी परिवार अपने बच्चों को पढ़ाई के लिए शहर भेज रहे हैं।
  • पुलिस भी “जनसंवाद अभियान” चलाकर लोगों का विश्वास जीतने की कोशिश कर रही है।

इलाके के लोगों की प्रतिक्रिया

गांव के लोगों ने पुलिस की इस कार्रवाई का स्वागत किया है। उनका कहना है कि जब तक नक्सली इलाके में रहेंगे, विकास रुकता रहेगा और लोग डर में जीते रहेंगे।

पुलिस का कहना है कि शंकर महाका की गिरफ्तारी से इलाके के लोगों का भरोसा बढ़ेगा और वे धीरे-धीरे नक्सलियों के खिलाफ खड़े होंगे।

आगे क्या होगा?

गिरफ्तार नक्सली से पुलिस गहन पूछताछ कर रही है। संभावना है कि वह कई और नक्सलियों के नाम और उनके ठिकानों की जानकारी दे सकता है।

इस जानकारी के आधार पर पुलिस आने वाले दिनों में और ऑपरेशन्स चलाएगी और नक्सली नेटवर्क को तोड़ने की कोशिश करेगी।


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