महाराष्ट्र में पुणे जिला परिषद ने एक अनोखी पहल की है। इसमें साइकिल बैंक के उपयोग से ग्रामीण भाग की लड़कियों की शिक्षा को नई गती मिलेगी और उनकी मुश्किलें कम होंगी। Girls’ education will get a boost through ‘Cycle Bank’, a unique initiative of Pune Zila Parishad
पुणे: ग्रामीण इलाकों में पढ़ने वाली छात्राओं को अब स्कूल आने-जाने में परेशानी नहीं होगी। पुणे जिला परिषद ने इसके लिए ‘साइकिल बैंक’ नाम का अनोखा उपक्रम शुरू किया है। इस पहल को समाज से भी जबरदस्त प्रतिसाद मिल रहा है और अब तक प्रशासन को 1,430 साइकिलें दान में मिल चुकी हैं। Girls’ education will get a boost through ‘Cycle Bank’, a unique initiative of Pune Zila Parishad
कैसे काम करेगी ‘साइकिल बैंक’?
यह योजना फिलहाल पांचवीं से आठवीं तक पढ़ने वाली छात्राओं के लिए है। स्वतंत्रता दिवस के मौके पर कई गांवों में साइकिलें बच्चियों को दी गईं।
नियम यह है कि आठवीं तक पढ़ाई पूरी करने के बाद छात्राओं को साइकिल वापस ‘साइकिल बैंक’ में जमा करनी होगी, ताकि वही साइकिल दूसरी ज़रूरतमंद बच्ची को मिल सके। इस तरह एक साइकिल से कई छात्राओं को फायदा मिलेगा। Girls’ education will get a boost through ‘Cycle Bank’, a unique initiative of Pune Zila Parishad
उद्देश्य क्या है?
ग्रामीण छात्राओं को अक्सर स्कूल जाने के लिए लंबा रास्ता तय करना पड़ता है। कई बार पैदल दूरी ज्यादा होने की वजह से लड़कियां स्कूल छोड़ भी देती हैं। इस समस्या को हल करने और नियमित हाज़िरी बढ़ाने के मकसद से जिला परिषद ने यह पहल शुरू की है।
मुख्य कार्यकारी अधिकारी गजानन पाटील ने बताया – “इस उपक्रम से ग्रामीण भाग की लड़कियों की शिक्षा को नई गती मिलेगी और उनकी मुश्किलें कम होंगी।” Girls’ education will get a boost through ‘Cycle Bank’, a unique initiative of Pune Zila Parishad
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अब तक कितनी साइकिलें मिलीं?
अब तक पुणे जिले के अलग-अलग तालुकों से 1,430 साइकिलें जमा हुई हैं। इनमें सबसे ज्यादा साइकिलें शिरूर (331) और खेड (250) से आई हैं। इसके अलावा मुळशी (125), जुन्नर (112), मावळ (112), बारामती (110), पुरंदर (108), इंदापूर (101), आंबेगाव (60), दौंड (51), हवेली (30), भोर (15) और राजगड/वेल्हे (25) तालुकों से भी योगदान मिला है। Girls’ education will get a boost through ‘Cycle Bank’, a unique initiative of Pune Zila Parishad
खास बातें
- यह योजना इसी शैक्षणिक वर्ष से शुरू हुई है।
- जिले में पांचवीं से आठवीं तक करीब 32 से 35 हजार छात्राएं हैं।
- साइकिलें ज्यादातर CSR फंड से खरीदी जाएंगी, जरूरत पड़ने पर जिला निधि से भी खरीदी होगी।
- इन साइकिलों का लाभ सिर्फ जरूरतमंद और ग़रीब परिवार की बच्चियों को मिलेगा।
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