महाराष्ट्र के नंदुरबार जिले में एक दूरदराज उदाड्या नामक आदिवासी गांव में आजादी के बाद पहली बार तिरंगा फहराया गया है। जहां बिजली, सड़क और सरकारी स्कूल जैसी बुनियादी सुविधाएं अभी तक नहीं पहुंच पाई है। कार्यक्रम के आयोजकों ने बताया, कि इस कार्यक्रम का मकसद ग्रामीणों को उनके लोकतांत्रिक अधिकारों के प्रति जागरूक करना था। The tricolor was hoisted for the first time in these villages of Maharashtra
डिजिटल डेस्क
महाराष्ट्र/ नंदुरबार: सतपुड़ा की पहाड़ियों में बसे एक सुदूर आदिवासी गांव उदाड्या में इस बार देश की 79वां स्वतंत्रता दिवस के मौके पर एक ऐतिहासिक क्षण देखने को मिला। गांव में पहली बार राष्ट्रीय ध्वज यानी तिरंगा फहराया गया, इस कार्यक्रम के दौरान यहां के निवासियों में गर्व और देशभक्ति की भावना की लहर दौड़ गई। इस गांव में न अब तक बिजली की सुविधा प्राप्त हो पाई है, न सड़क और न ही सरकारी स्कूल या ग्राम पंचायत जैसी आधारभूत व्यवस्थाएं यहां को लोगों को मिली है। The tricolor was hoisted for the first time in these villages of Maharashtra
आजादी के बाद पहली बार फहरा तिरंगा
गांव में तैनात शिक्षक गणेश पावरा ने स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर इंटरनेट से वीडियो डाउनलोड कर तिरंगा फहराने की विधि सीखी और फिर गांव के 30 बच्चों और स्थानीय लोगों के साथ मिलकर तिरंगा फहराया। यह पहल वाईयूएनजी फाउंडेशन की ओर से की गई, यह संस्था इस क्षेत्र के चार अनौपचारिक स्कूलों का संचालन करती है। संस्था के संस्थापक संदीप देओरे ने बताया कि पहली बार झंडा फहराने के साथ-साथ लोगों को उनके संवैधानिक और लोकतांत्रिक अधिकारों के प्रति जागरूक करना इस कार्यक्रम का मकसद था। The tricolor was hoisted for the first time in these villages of Maharashtra
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200 से अधिक बच्चों ने लिया भाग
करीब 250 बच्चों और उदाड्या, खपरमाल, सदरी और मंझनीपड़ा जैसे चार गांवों के लोगों ने इस आयोजन में हिस्सा लिया। इन गांवों में संचार, परिवहन, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी मूलभूत सुविधाएं अभी तक प्राप्त नही हो पाई हैं। यहां के लोग पावरी बोली बोलते हैं, जो हिंदी या मराठी से काफी अलग है, इस वजह से संवाद में भी इनको चुनौतियों का सामना करना पडता है। The tricolor was hoisted for the first time in these villages of Maharashtra
संस्था के अध्यक्ष देओरे ने बताया, कि इन गांवों में शिक्षा की बेहद कमी है और इस वजह से लोग अक्सर अपने अधिकारों से वंचित रह जाते हैं। कुछ जगहों पर आंगनबाड़ी सेवाएं भी ठीक से नहीं पहुंची है, हालांकि खपरमाल जैसे गांवों में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता आजमीबाई अपने गांव में ही रहकर ईमानदारी से बच्चों को सेवा प्रदान कर रही है। The tricolor was hoisted for the first time in these villages of Maharashtra
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