सुरेंद्र राजभर
मुंबई– चीन के बुहान शहर से चला ‘कोरोना’ का वायरस विश्व के 200 देशों को अपनी चपेट में ले लिया है! यहां तक की इस वायरस से कुछ राष्ट्रों के नेता भी संक्रमित हो चुके हैं! उन्नतिशील राष्ट्रों ने घुटने टेक दिए हैं! ‘कोरोना’ ने भारत में भी महामारी का रूप ले चुका है! मुंबई सहित महाराष्ट्र में संक्रमित लोगों की संख्या सबसे अधिक हो गई है! देश की आर्थिक नगरी में तनिक सी चूक हज़ारों की बलि ले लेगी, ऐसी स्थिति निर्माण हो गई है! 5 अप्रैल तक मुम्बई के सभी मनपा वार्डो में संदिग्ध लोगों की संख्या 4 हज़ार के ऊपर चली गई है! महाराष्ट्र के साथ राजस्थान, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, केरल, तमिलनाडु भयानक स्थिति से गुजर रहे हैं!
‘कोरोना’ महामारी से निपटने के लिए पूरे देश में ‘लॉकडाउन’ कर दिया गया! कुछ राज्य सरकारें इस अवधि को आगे बढाने के लिए केंद्र को लिखित पत्र भी दिये हैं! ‘लॉकडाउन’ से कोरोना को थामने की आस बढ़ी मग़र तबलिगी जमात के हजारों देशी विदेशी सदस्य दिल्ली स्थित 4 मंजिला इमारत में रुके थे! जिसकी अनुमति नहीं ली गई थी! कारण राजनीतिक दलों की बोटबैंक की कुराजनीति है! ज्ञांत होने पर वहां से निकाल दिया गया! काश उन सबकी जांच की गई होती तो देश के समक्ष कोरोना के थर्ड स्टेज में जाने का आसन्न ख़तरा न होता! दिल्ली से निकलकर वे लोग दूसरे राज्यों में सुरक्षित पनाह ले लिया! राज्यसरकारें उनसे कहती रहीं कि आप आकर जांच कराइये! यदि संक्रमित हैं तो निःशुल्क इलाज़ कराइये मग़र दुर्भाग्य देश के कुछ नेता इसमें भी कुराजनीति करने लगे! पीएम नरेंद्र मोदी पर आक्षेप करने लगे! ज़मात के लोगों ने तो गालियों के साथ पीएम को मारने की धमकी देने लगे! पत्रकारों को देख लेने की धमकियां दी जाने लगी! उन्हें पकड़कर जांच कराना सभी राज्यों की प्रमुख ज़िम्मेदारी होनी चाहिए! वक़्त राजनीति का नहीं मिलकर कोरोना को हराने के लिए एकजुट होने की ज़रूरत है!
मुंबई भी बुरी तरह कोरोना संक्रमण की चपेट में है! कई कई परिवार तो वायरस की चपेट में आ चुके हैं! मुंबई के सभी सरकारी अस्पताल, हॉटेल्स, रिसॉर्ट्स और कुछ इमारतों में ‘आइसोलेशन वार्ड’ बनाकर संक्रमित मरीजों को निगरानी में रखा गया है, लेकिन वहां की ख़बरें विचलित करने वाली हैं! किसी को 24 घण्टे हो जाने पर भोजन नहीं मिला तो कहीं कहीं लंच और डिनर के समय आधा लीटर पीने के पानी मिलने और नाश्ते के समय पानी नहीं दिए जाने की शिकायत है! कहीं 10 दिनों से ‘आइसोलेशन वार्ड’ में रहने वालों की शिकायतें डॉक्टरों द्वारा उपेक्षा किये जाने की है, क्योंकि उनके अनुसार उनसे 10 दिनों में किसी डॉक्टर ने कोई बात ही नहीं की, यानी किसी ने हाल पूछना भी मुनासिब नहीं समझा! यदि इसी तरह संक्रमितों या संदिग्धों के साथ दुर्व्यवहार किया जाता रहा तो मानसिक अवसाद की स्थिति भयंकर रूप ले सकती है! कुछ ऐसे लोग हैं जो कहते हैं काश उन्हें यहां ‘आइसोलेशन वार्ड’ में न लाकर घर में ही मरने के लिए छोड़ दिया जाता तो अच्छा होता!
सरकार, प्रशासन, डॉक्टर्स, नर्सेस और मनपा के ज़िम्मेदार कर्मियों को इसपर ध्यान देना होगा ताकि किसी को भी शिकायत न हो! दूसरी तरफ़ मुंबईकर महंगी साग सब्जियों से परेशान है! 50 रुपये किलो आलू बेचा जा रहा है! अन्य सब्ज़ियों के मूल्य 100 रुपये के पार हैं! जिनके पास पैसा हैं वे तो खरीद सकते हैं लेकिन जो रोज़ कुआं खोदकर पानी पीने वाले हैं, उनके पास खाने को अन्न नहीं, पैसे नहीं हैं! उनके लिए कोई व्यवस्था नहीं दिख रही! ऐसे लोग झुग्गी झोपड़ियों और चालों में बहुतायत से मिल जाएंगे! सरकारी हेल्पलाईन से काम नहीं चलेगा बल्कि समाज सेवकों, मनपा कर्मियों और राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं को चाहिए कि वे ज़रूरतमंदों की जानकारी के लिए घर-घर पहुंचें और सरकार फौरी तौर पर सर्वप्रथम खाद्यान्नों, तेल, साग-सब्ज़ियों के रेट निर्धारित कर समाचार माध्यमों से घर-घर पहुंचाए! ज़रूरत मंद लोगों के भोजन की व्यवस्था यदि नहीं की जाती तो ‘कोरोना’ से भले ही बच जाएं मग़र भूख से अवश्य लोग मरेंगे!
Discover more from
Subscribe to get the latest posts sent to your email.