मनपा नन्हें मासूम प्रिंस को दे मुआवजा !
सुरेंद्र राजभर
मुंबई- दिल में जन्म से छिद्र होने के कारण मऊ जिला उत्तर प्रदेश का 3 माह का शिशु प्रिंस राजभर को डॉक्टर की सलाह पर मुंबई लाकर के एम अस्पताल में भर्ती कराया गया !
वेंटिलेटर पर उसे रखा गया ! यकायक आग लग गई ! आग से बच्चे का बिस्तर जलने लगा ! जान बचाने के लिए शिशु का हाथ काटना पड़ा !
अब प्रश्न यह उठता है कि जिसको गंभीर हालत में उपचार के लिए k.e.m. लाया गया था बेड पर अकेला क्यों छोड़ा गया ? आग कैसे लगी? ज्ञात है बताया जाएगा कि आग शार्ट सर्किट से लगी जिसे मानवीय बोल हजन कर सकते हैं लेकिन यही प्रश्न उठता है कि इतने बड़े अस्पताल में बिजली की आग क्यों पकड़ी? इंजीनियर ने पहले ही सावधानी क्यों नहीं बरती?
अस्पताल के उस वार्ड में किस डॉक्टर और नर्स की ड्यूटी लगी थी? आग लगते समय नर्स कहां और क्यों थी? निश्चित ही नर्स उस वार्ड में नही थी! आग पहले वायर में लगी होगी जहां से शिशु के बेड पर फैली होगी यदि नर्स वार्ड में होती तो निश्चित ही शिशु इतना नहीं जलता उसे बचाया जा सकता था! समय रहते 3 माह के शिशु का हाथ काट कर उसे अपंग कर दिया गया, जिससे उसका भविष्य अंधकार हो गया! इतनी लापरवाही क्यों और कैसे हुई ? जांच का विषय जरूर है ! लेकिन इतना तो निश्चित है कि अस्पताल की लापरवाही से शिशु जला और अपंग कर दिया गया ! निश्चित ही यह मानवीय घोर लापरवाही है ! इसके लिए जिम्मेदारों को सजा अवश्य मिलनी चाहिए मगर जिम्मेदारों को सजा देने मात्र से शिशु और उसके परिजनों को क्या न्याय मिलेगा? नहीं, निश्चित ही मनपा का यह बड़ा अस्पताल सेवा में कमी का भी दोषी है !
शीशु के परिजनों को कम से कम 50 लाख का मुआवजा मिलना चाहिए!
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