दीपावली की खुशीयों को ग्रहण लगने से मालाड़ RPF ने बचाया

संवाददाता – (इस्माईल)
मुंबई
– रेल सुरक्षा बल की सक्रियता मे मालाड़ आरपीएफ आए दिन तबदीली लाता दिखाई दे रहा है! दिन-ब-दिन इनके सराहनीय कार्य चर्चा का विषय बना हुआ है! यहां चोरी की मंशा लेकर आने वाले अपराधिक तत्वों की धर-पकड़ के साथ यात्री की हर परेशानी पर सुरक्षा बल के जवान मुस्तैदी के साथ उनकी सहायता करते नजर आ रहे हैं!

यहां न्हन्ने यात्रियों का भी पूरा खयाल किया जाता है!…

खबर के मुताबिक दिपावली के ऐन मौके पर रेल सफर के दौरान अलग-अलग कुछ मासूम बच्चे अपने परिवार से बिछड़ कर भटक गए थे, जिनपर निशानदेही करते हुए सही सलामत उनके परिवार से मिलवाने मे मालाड आरपीएफ ने अपनी अहम भूमिका निभाकर बच्चों के परिवार वालों से बधाई के पात्र हुए हैं!

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छुटना-बिछड़ने का सिलसिला…

मुंबई शहर के भीड-भाड़़ वाले लोकल ट्रेन मे सफर के दौरान लोग कहीं अपना सामान छोड़ देते हैं, तो कहीं अपने नौनिहालों से बीछड़ भी जाते हैं, और मुंबई की लोकल ट्रेन सफर मे घाई-गड़बड़ी, कभी जान का खतरा भी साबित होती है! ऐसे मे उनकी समस्याओं पर पूरा खयाल रखना अपना कर्तव्य समझते हुऐ, मालाड़ आरपीएफ के वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक सतीश कुमार ने अपने जवानों को काम करने के लिए खास ट्रेनिंग दी है, ऐसा एक जवान ने हमें जानकारी देते हुए बताई, साथ ही आरपीएफ के जवान ने हमें यह भी बताया, कि सतीश कुमार खुद मालाड़ से गोरेगांव और राम मंदिर रेलवे स्टेशन के बीच निगरानी करते हैं, ये उन्होंने रोज का रूटिन बनाया हुआ है! आगे उनके किस्से मे शुमार, वाक्या बताते हुए कहा, कि एक चोर को उन्होंने सीसीटीवी मे पहचान कर दो दिन बाद पकड़ा, जब वह चोर दुबारा चोरी करने के लिए रेल ब्रिज़ से शिकार की खोज कर रहा था, चोर यात्रियों के कीमती सामन पर हाथ साफ करने से पहले शिकार का चयन करते हैं! सीसीटीवी के सहारे भीड़ के बीच फिर से अपराधी को पहचानना मुश्किल हो जाता है! अब यहां चोरी तो कम हो गई है पर भारी भीड़ की वजह से उनका किमती सामान का छुटना बरकरार बना हुआ है! आए दिन बैग, मोबाइल, लॉपटोप जैसे किमती सामान छुट ही जाते हैं, उनकी जांच पड़ताल करने के साथ उनके सही मालिक को उनका सामान दिलवाना हमारे लिए हमेशा का कार्य बनगया है! ऐसे ही सफर के दौरान उनके छोटे बच्चे का छुटजाना काफी दुःखद होता है और जब तक बिछड़े हुए बच्चे को हम उसके परिवार तक मिला नही देते तब तक का समय हमारे लिए काफी नाज़ुक होता है! ऐसे मे डरे हुए बच्चे को सामान्य स्थिति मे लाना हमारे लिए काफी मुश्किल समय होता है!

कोई सो गया तो कोई भीड़ मे चड़ ना पाया…

सायन से सांताक्रूज के लिए सफर कर रहे 10 साल के नैतिक विनोद केसरवानी काफी घबराया हुआ रोते हुए गोरेगांव रेल्वे स्टेशन पर मिला, उसे शांत कराकर पूछा गया तो बताया, कि वह दादर से ट्रेन बदलने के बाद सो गया था आँख खोला तो साथ के महिला यात्रियों ने बताया कि गोरेगाव रेल्वे स्टेशन है! बच्चे ने आरपीएफ को अपना पूरा पता बताते हुए मोबाइल नंबर भी बताया जो धारावी का रहने वाला था! परिवार के सदस्य को बूलवाकर बच्चे को सौपा गया, दुसरे मामले मे विरार से चर्चगेट के लिए जा रही ट्रेन मे 6 साल की बच्ची बिछड़ गई थी, जो अपनी दादी के साथ सफर कर रही थी, पर भीड़ ज्यादा होने के कारण उसकी दादी बोरीवली स्टेशन पर गाडी नही पकड़ पाई! उस बच्ची को अपनी मां का मोबाइल नंबर याद था, फोन लगाने पर उसकी मां ने बताया, कि वह कांदिवली मे अपने कार्यालय पर है, तुरंत पहुच कर बच्ची को अपने पास लिया, साथ ही मालाड़ आरपीएफ के जवानों का शुक्रिया अदा करते हुए उन्हें दिपावली के खुशियों के साथ शुभकामनाए दी! मां और बच्ची तथा दादी के उस मिलन को देखकर, हमारे कुछ जवानों की आंखे नम हो गई थी! जानकारी मे बता दें, कि आरपीएफ के कुछ जवान अपने परिवार से दूर रह कर अपनी ड्यूटी निभाते हुए, हमारी सुरक्षा का पूरा खयाल रख रहे हैं, जिन्हें त्योहारों के हर रंग अकेले रह कर देखने पड़ते हैं!

दिपावली पर खास संदेश…

मामले से मुलाकात मे वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक सतीश कुमार ने दिपावली और नूतन वर्ष की शुभकामनाओं के साथ रेल यात्रियों के लिए खास संदेश दिया, उन्होंने कहा, कि “सफर के दौरान छोटे बच्चों का आप खास खयाल रखें, वह चाहे आप के हों या किसी और के, अगर आप ऐसा करेंगे तो हमारे बच्चे सुरक्षित रहेंगे और अगर हम दुसरों को परेशान होने से बचा सकें, तो इससे बड़ा पुण्य का कार्य क्या हो सकता है, हर कोई यहां अपना है! बच्चों के परिवार वालों को चाहिए, कि वह अपने बच्चों को खासकर ऐसे मामलों के लिए तैय्यार करें! हम उनकी सहायता तब आसानी से कर पाते हैं जब बच्चा आसानी से अपनी पहचान बताता है! दोनों मामलों मे बच्चे अपने परिवार का मोबाइल नंबर जानते थे, जो कार्य हमारे लिए काफी आसान रहा, नही तो हमारी मुश्किल बढ़ सकती थी! मुंबई काफी भीड़-भाड़ वाला शहर है और यहां की लोकल ट्रेन मे छोटे बच्चे के साथ सफर करना, उनके परिवार के लिए चेलेंजिंग पार्ट है, उन्हें काफी तैय्यार रहना चाहिए!”


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