अजीब व्यवस्था है, उल्टा चोर कोतवाल को डांटे !

शासन, प्रशासन क्यों नहीं लेता संज्ञान ?

पी/उत्तर विभाग के भ्रष्टाचार पर क्यों नहीं लगाई जाती लगाम?

सुभाष कोटियन
मुंबई-
शासन, प्रशासन द्वारा भ्रष्टाचार की खबरों, शिकायत पत्रों पर संज्ञान नहीं लेने से! साथ ही भ्रष्ट मनपा अधिकारियों द्वारा संज्ञान न लेने से, जहां खुलकर भ्रष्टाचार करने का हौसला बढ़ रहा है, वहीं ताकतवर हो चुके भ्रष्टाचारी अधिकारी समाज सेवकों, शिकायतकर्ताओं, पत्रकारों, एडिटरों और आरटीआई कार्यकर्ताओं को झूठे एक्सटॉर्शन केस बनाकर जेल भेजने की साजिश रच रहे हैं!

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मामला पी/उत्तर विभाग का है, जो भ्रष्टाचार में पारंगत हो चुके हैं! हालांकि स्थानीय पुलिस थाने के भ्रष्ट कर्मियों को मोटी रकम दी जा चुकी है! ऐसी सूचना खुद मनपा कर्मी दे चुके हैं की साजिश रची जा रही है!

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बताते चलें कि सहाय्यक आयुक्त संजोग कबरे और सहायक अभियंता दत्तात्रय भोये सांठगांठ कर सरकार की खाली भूखंडों का सौदा भूमाफिया से करते हैं! लाखों रुपयों का वारा न्यारा होकर उनकी जेब में जाता है! वेबसाइट पर झोपड़ों के छोटे-मोटे रिपेयर लिख कर भेजते हैं! जिस पर शायद अधिकारी संतुष्ट होते हैं, या माना जाए कि लूट की रकम का हिस्सा पाने के कारण सभी शिकायतों की जांच क्यों नहीं करते ? जांच न करना भ्रष्टाचार को बढ़ावा देना होता है!

इंडियन फास्ट ट्रैक दोनों द्वारा की गई लूट, साजिश की खबर प्रकाशित, ब्रॉडकास्ट करता हैं! कलेक्टर लैंड की कभी एसआरए (SRA) की बताते हुए प्रशासन, मीडिया, समाज सेवकों को अंधेरे में रखते हैं!

चाहे खड़कपाड़ा में कलेक्टर भूमि पर 180 रुमों के अवैध निर्माण का हो, या एंगल स्टूडियो द्वारा कलेक्टर की खाली जमीन पर 10, 000 (दस हजार) वर्ग फुट का गैरकानूनी निर्माण हो, इंडियन फास्टट्रैक न्यूज़ अपनी खबर जरूर बनाता है! खबर बिना प्रमाण के नहीं प्रसारित करता! जो ईमानदार अधिकारी जांच करें हम प्रमाण जरूर देंगे!

जब हमने इनके भ्रष्टाचार को सार्वजनिक कर दिया, तो यह दोनों स्थानीय पुलिस थाने के भ्रष्ट पुलिसकर्मी के माध्यम से पत्रकार, एडिटर, आरटीआई कार्यकर्ताओं और समाज सेवकों को फर्जी एक्टॉर्शन केस में फंसाने की चाल चलते हैं! उन्होंने पुलिस को मोटी रकम भी फर्जी केस बनाकर फांसने और मुंह बंद करने की साजिश रच चुके हैं!

कलेक्टर लैंड किसी को बेची या लीज़ पर दी गई है या नहीं ? यदि बेची या लीज़ पर दी गई है, तो क्या टेंडर निकाला गया था ? यदि कलेक्टर ने जमीन दी हो, या मनपा के भ्रष्ट अधिकारी जो अवैध कब्जा करा रहे हैं, तो यहां प्रश्न उठता है, कि लैंड रेवेन्यू किस के खाते में गई है ? कलेक्टर या मनपा के सहाय्यक आयुक्त संजोग कबरे और भ्रष्टतम सहाय्यक अभियंता दत्तात्रय भोये के खाते में गई है ? क्या भ्रष्टाचार होने देना चाहती है राज्य सरकार और मनपा ? यदि नहीं तो तुरंत न्यायिक जांच कराई जाए प्रमाण कब्जे का हम देंगे!

यक्ष प्रश्न– क्या राज्य सरकार प्रमुख, शीर्ष प्रशासनिक अधिकारी, मनपा कायदा समिति के चेयरमैन संज्ञान लेकर कानूनी कार्रवाई कर भ्रष्टाचारियों को जेल भेजने की जहमत उठाएंगे ?

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