विशेष संवाददाता
मुंबई- महाराष्ट्र सरकार ने सुशांत सिंह राजपूत के पिता के.के सिंह पर कई गंभीर आरोप लगाते हुए, सुप्रीम कोर्ट में अपना हलफनामा पेश किया है! जिसमें महाराष्ट्र पुलिस की रिपोर्ट में यह कहा गया है, कि “सुशांत सिंह राजपूत की मौत के फौरन बाद मामले को लेकर सुशांत के पिता या किसी भी नजदीकी रिश्तेदार ने बयान दर्ज नहीं करवाया है! किसी ने तब आत्महत्या पर कोई संदेह नहीं जताया और मामले को लेकर किसी दूसरे व्यक्ति पर शक भी जाहिर नहीं किया गया था!” महाराष्ट्र पुलिस ने आगे रिपोर्ट में सुशांत के पिता पर आरोप लगाते हुए कहा, कि “वे सोच-समझ कर आरोप लगा रहे हैं!”
आप को बता दें की, 11 अगस्त सुप्रीम कोर्ट में रिहा चक्रबोर्ती और सुशांत मामले में सुनवाई प्रक्रिया करने वाली है! जिसके लिए महाराष्ट्र सरकार ने हलफनामे के साथ सील बंद लिफाफे में अबतक की जांच का पूरा ब्योरा सुप्रीम कोर्ट में जमा कर दिया है! अपने हलफनामे में महाराष्ठ्र सरकार ने सीबीआई जांच का भी विरोध किया है! साथ ही बिहार सरकार के रवैये पर भी आपत्ति जाहिर की है!
इसमें मुंबई पुलिस का साफ कहना है की मुंबई में राज्य की सहमति के बिना सीबीआई जांच नहीं कर सकती! पुलिस का कहना है कि उनके पास मौत के मामले में जांच करने के लिए विशेष क्षेत्राधिकार है! कहना है कि अगर सुशांत के पिता ने मुंबई पुलिस से संपर्क किया होता तो एफआईआर दर्ज की जाती! मुंबई पुलिस ने बिहार सरकार पर एफआईआर दर्ज करने और सीबीआई जांच की सिफारिश करने में दुर्भावना का आरोप लगाया है!
आप को और अधिक जानकारी देते हुए बता दें की, सुप्रीम कोर्ट ने अपनी पिछली सुनवाई में महाराष्ट्र पुलिस और बिहार पुलिस से तीन दिनों के भीतर जांच रिपोर्ट दाखिल करने के लिए कहा था! इसपर उद्धव सरकार अपने हलफनामे में कहा है, कि “जब मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित था तो ऐसे में केंद्र सरकार को सुप्रीम कोर्ट के आदेश का इंतजार करना चाहिए था! सुप्रीम कोर्ट को मुंबई पुलिस की जांच के आधार पर तय करना है कि जांच सही हो रही है या नहीं! जांच कौन करेगा ये भी सुप्रीम कोर्ट को तय करना है! ऐसे में केंद्र सरकार ने कोर्ट के आदेश का इंतजार किए बिना सीबीआई को जांच क्यों सौंप दिए?”
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महाराष्ट्र सरकार ने अपने हलफनामे में सीबीआई जांच पर जोर दिए जाने पर कहा है, कि “सीबीआई जांच के लिए इतनी जल्दबाजी क्यों की जा रही है? सीबीआई जांच का आदेश गैरकानूनी है! के.के सिंह ने कभी भी मुंबई पुलिस से एफआईआर दर्ज करने को नहीं कहा! अगर वह एफआईआर दर्ज करने की मांग करते और पुलिस उन्हें मना करती तो उनको बिहार या कहीं और एफआईआर दर्ज कराने का अधिकार था! लेकिन उन्होंने मुंबई पुलिस से कभी ऐसी मांग की ही नहीं! सुशांत की मौत के 38 दिनों बाद अचानक पटना में एफआईआर दर्ज करा दिया! जबकि, मुंबई पुलिस संदिग्ध मौत का मामला दर्ज कर जांच कर रही थी! केके सिंह ने ये जानते हुए भी पटना में मुकदमा दर्ज करवाया! मुंबई पुलिस ने अब तक 56 लोगों से पूछ ताछ कर ली है!”
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